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राजस्थान के सबसे युवा MLA रविंद्र सिंह भाटी की कहानी:दिग्गजों को हराया, 2019 में बने छात्रसंघ अध्यक्ष, दोस्तों ने चुनाव मैनेज किया

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राजस्थान के सबसे युवा MLA रविंद्र सिंह भाटी की कहानी:दिग्गजों को हराया, 2019 में बने छात्रसंघ अध्यक्ष, दोस्तों ने चुनाव मैनेज किया

शिव विधानसभा से विधायक बनने के बाद रविंद्र सिंह भाटी विधानसभा में शपथ लेते हुए। - Dainik Bhaskar

शिव विधानसभा से विधायक बनने के बाद रविंद्र सिंह भाटी विधानसभा में शपथ लेते हुए।

तारीख 3 दिसंबर 2023। जगह, शिव (बाड़मेर) विधानसभा के तहसील मुख्यालय के सामने का ग्राउंड…। समय, रात के 8:00 बज रहे थे। यहां एक छोटा सा मंच बना हुआ था। जिसके सामने सैकड़ों की संख्या में युवा और बुजुर्ग लोग बैठे हुए थे। उस भीड़ से एक-एक करके लोग मंच पर आते है और एक नौजवान के गले में फूल मालाएं डाल देते हैं। यह सिलसिला रात लगभग 3:00 बजे तक चला।

सभी का अभिवादन करने वाला यह नौजवान थोड़ी देर बाद खड़ा होता है और कहता है, ‘आप लोगों के प्यार और वोट देने की वजह से आज चुनाव जीता हूं। जब मैं निर्दलीय चुनाव लड़ रहा था, तब लोगों ने कहा था, राजबेरा से लेकर ढोक गांव तक 200 किलोमीटर लंबा विधानसभा क्षेत्र है। विधायकी का चुनाव लड़ना हंसी मजाक का काम नहीं। पर उस असंभव काम को मेरी शिव की जनता ने संभव कर दिखाया। यह जीत मैं शिव की जनता को समर्पित करता हूं। मैंने चुनाव से पहले कहा था – जीत मिले या हार, मैं आपके बीच हमेशा आता रहूंगा।’

इसके बाद वह नौजवान अपना हर वादा पूरा करने का भरोसा देता है। यह नौजवान है, शिव विधानसभा से निर्दलीय विधायक रविंद्र सिंह भाटी, जो चुनाव जीतने के बाद से अपने क्षेत्र में सक्रिय हो गए हैं। राजस्थान की विधानसभा पहुंचने वाले विधायकों में रविंद्र सिंह भाटी सबसे कम उम्र के MLA हैं। उनकी उम्र सिर्फ 25 वर्ष है।

चुनाव प्रचार के दौरान जनसभा को संबोधित करते हुए रविंद्र सिंह।

चुनाव प्रचार के दौरान जनसभा को संबोधित करते हुए रविंद्र सिंह।

भाजपा से बागी हुए, निर्दलीय लड़कर 3,950 वोट से चुनाव जीते

2023 के विधानसभा चुनाव से पहले रविंद्र सिंह भाटी ने भाजपा जॉइन की थी। उम्मीद थी, कि पार्टी उन्हें टिकट देगी। पार्टी ने टिकट RSS के करीबी और बाड़मेर भाजपा जिला अध्यक्ष स्वरूप सिंह खारा को दिया। रविंद्र भाजपा से बागी होकर चुनाव मैदान में उतरे। चुनाव पंच कोणीय बन गया। शिव विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस पार्टी ने 84 साल के अमीन खां को लगातार 10वीं बार चुनाव मैदान में उतारा। अमीन खां 2018 में इस सीट से विधायक बने थे। राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी ने पूर्व विधायक रहे जालम सिंह को अपना प्रत्याशी बनाया। वहीं कांग्रेस से बागी होकर निर्दलीय फतेह खान भी मैदान में थे। रविंद्र ने सभी को पछाडते हुए 3,950 वोट से चुनाव जीता।

चुनाव जीत कर पहली बार विधानसभा पहुंचने पर सीढ़ियों को प्रणाम करते रविंद्र सिंह।

चुनाव जीत कर पहली बार विधानसभा पहुंचने पर सीढ़ियों को प्रणाम करते रविंद्र सिंह।

साल 2019 में JNVU से निर्दलीय अध्यक्ष बनकर चमके भाटी

पश्चिमी राजस्थान में सबसे बड़ी जय नारायण व्यास यूनिवर्सिटी के छात्रसंघ चुनाव नजदीक आ रहे थे। युवा रविंद्र ने चुनाव लड़ने के लिए अपनी ताल ठोंकी और परंपरा के अनुसार अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् से टिकट मांगने की कोशिश की, लेकिन अचानक समाचार आते हैं की विद्यार्थी परिषद ने इस बार टिकट एमबीएम इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्र को दे दिया है. वह भी, राजपूत बिरादरी के छात्र को।

ये फैसला रविंद्र और उनके समर्थकों को मंजूर नहीं था और उन्होंने अपने गुट के छात्रों को हॉस्टल में एकत्रित करके ऐलान कर दिया कि वह निर्दलीय के तौर पर छात्रसंघ का चुनाव लड़ेंगे। उस समय रविंद्र ने अपने साथियों को बोला गिनती के 13 दिन बचे हैं और छात्र संघ अध्यक्ष बनेंगे। उस समय का उनका यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और लाखों लोगों ने इसे देखा। बस क्या था, उसी दिन का ही इंतजार था। उनके समर्थकों ने दिन-रात एक कर दिया और आखिरकार विश्वविद्यालय के 57 साल के इतिहास में पहली बार निर्दलीय रविंद्र सिंह भाटी 1290 वोटों से जीते।

वोटिंग से पहले रविंद्र सिंह भाटी का शिव मुख्यालय पर शक्ति प्रदर्शन।

वोटिंग से पहले रविंद्र सिंह भाटी का शिव मुख्यालय पर शक्ति प्रदर्शन।

कहते हैं ना कि ‘किसी के जीवन में राजनीति उनके नसीब में लिखी होती है’। ऐसा ही भाटी के साथ भी हुआ। रविंद्र सिंह भाटी के छात्रसंघ अध्यक्ष बनने के बाद अगले साल कोरोनाकाल आ गया। इसके कारण भाटी लगातार 3 साल तक JNVU छात्रसंघ अध्यक्ष रहे। इस दौरान उन्होंने अनेक मुद्दे उठाए, जिसके कारण उनकी लोकप्रियता राज्य से बढ़कर राष्ट्रीय स्तर तक पहुंच गई।

पढ़िए… राजनीति के वे फैक्टर, जिनकी बदौलत भाटी देश में राष्ट्रीय स्तर तक छा गए।

कर्मचारी पेंशन मुद्दा उठाने के दौरान पुलिस ने रविंद्र सिंह को गिरफ्तार किया।

कर्मचारी पेंशन मुद्दा उठाने के दौरान पुलिस ने रविंद्र सिंह को गिरफ्तार किया।

  • विश्वविद्यालय की भूमि को JDA के कन्वेंशन सेंटर के लिए बेचे जाने से रोका और बड़े आंदोलन का नेतृत्व किया।
  • विश्वविद्यालय के कर्मचारियों के पेंशन के मुद्दे को लेकर बड़ा आंदोलन किया, जिसके बाद पुलिस ने गिरफ्तार किया। इसके बाद रविंद्र 9 दिनों तक जोधपुर सेंट्रल जेल में रहे। उसके बाद प्रदेश भर में राजनेताओं ने सोशल मीडिया पर भाटी की गिरफ्तारी को लेकर सरकार की आलोचना की।
  • कोविड-19 महामारी के चुनौतीपूर्ण समय के दौरान फीस के मुद्दों पर विश्वविद्यालयों और कॉलेजों के खिलाफ राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन किया। इसके बाद उन्हें शांति भंग करने और कोविड प्रोटोकॉल का उल्लंघन करने के आरोप में जोधपुर में गिरफ्तार किया गया।
  • सितंबर 2021 में उन्होंने हरियाणा में आरक्षण नीतियों के समान, राजस्थान के युवाओं के लिए रोजगार में 75% आरक्षण की मांग करते हुए गहलोत सरकार के खिलाफ जयपुर में विधानसभा का घेराव किया और पूरे प्रदेश की छात्र राजनीति का नेतृत्व किया।
जीत के बाद समर्थकों का अभिवादन स्वीकार करते रविंद्र सिंह।

जीत के बाद समर्थकों का अभिवादन स्वीकार करते रविंद्र सिंह।

रविंद्र सिंह अध्यक्ष से विधायक बनने तक के 5 प्रमुख पहलू

रविंद्र सिंह भाटी बखूबी जानते थे कि अगर उन्हें अपने क्षेत्र में चुनाव को जीतना है, तो उन्हें अपने क्षेत्र के युवा और पशुपालकों को अपने साथ जोड़ना पड़ेगा। विधानसभा क्षेत्र के लोगो को जोड़ने के लिए 5 पॉइंट में प्लानिंग बनाई।

पहला :- रविंद्र सिंह भाटी ने शिव विधानसभा क्षेत्र के युवाओं को अपने साथ जोड़ने के लिए अपने विधानसभा क्षेत्र में रन फॉर रेगिस्तान मैराथन का आयोजन करवाया। मैराथन के जरिए विधानसभा क्षेत्र के हजारों युवाओं को युवा रविंद्र सिंह भाटी ने अपने साथ जोड़ा।

दूसरा :- राजस्थान में लंपी महामारी पशुओं में फैली थी। उस दौरान रविंद्र सिंह भाटी ने अपने साथियों के साथ विधानसभा क्षेत्र में प्रत्येक गांव पहुंचकर क्षेत्र के पशुपालकों को मुफ्त में पशुओं के लिए लंपी महामारी से बचाव के इंजेक्शन और दवा उपलब्ध करवाई। ये उनका पहला मास्टर स्ट्रोक रहा।

तीसरा :- भाटी ने सोशल मीडिया की ताकत को देखते हुए इलेक्शन वॉर रूम बनाया। इसमें यूनिवर्सिटी के पूर्व छात्र नेताओं को जिम्मेदारी दी। विधानसभा क्षेत्र के प्रवासी लोगों कि लिस्ट बनाई। एक- एक वोटर की जिम्मेदारी अपनी टीम को सौंपी। नतीजा, इस बार शिव का वोटिंग पर्सेंटेज भी पिछली बार से बढ़ा।

चौथा :- रविंद्र सिंह भाटी ने क्षेत्रीय मुद्दे जैसे पानी, सड़क, रोजगार और बिजली को प्रमुखता से उठाया। बुजुर्गों से मिलकर उनको आश्वासन दिलाया कि विधायक बनने पर क्षेत्र की मूलभूत सुविधाओं को तुरंत पूरा करेंगे। भाटी की भावुक अपील लोगों को कनेक्ट कर गई।

पांचवां :- रविंद्र सिंह भाटी जानते थे कि अगर अपने क्षेत्र के हर वर्ग तक पहुंचना है तो अपने क्षेत्र की भाषा में ही लोगों से संवाद करना होगा। वह हमेशा से ही छात्रसंघ अध्यक्ष बनने से लेकर विधायक बनने तक मारवाड़ी में ही बात करते थे, ताकि लोग उनकी बातों से प्रभावित होकर वोट करें।

जयपुर में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के साथ शिव विधायक रविंद्र सिंह।

जयपुर में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के साथ शिव विधायक रविंद्र सिंह।

भाटी ने सोशल मीडिया को अपने चुनाव प्रचार का हथियार बनाया

2019 में छात्रसंघ अध्यक्ष बनने के बाद भाटी लगातार सोशल मीडिया पर एक्टिव है। विधानसभा क्षेत्र के मुद्दों और अपने वादों को उन्होंने सोशल मीडिया के जरिये लोगों तक पहुंचाया। भाटी के सोशल मीडिया पर लाखों फॉलोअर्स होने के कारण उनके वीडियो देश भर में वायरल हो जाते है। चुनाव के दौरान उन्होंने सोशल मीडिया के जरिये पूरे देश में माहौल बना दिया।

भाटी के चुनाव के दौरान दोस्तों ने प्रचार के लिए गाड़ियां फ्री में दी। राजस्थान, मध्यप्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, दिल्ली और हरियाणा से उनको चाहने वाले लोग शिव पहुंचे। रविंद्र के साथ फोटो और सेल्फी लेने का युवाओं में जबरदस्त क्रेज है।

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