राजस्थान में मंत्रिमंडल विस्तार में देरी संभव:वसुंधरा गुट के लोगों पर फैसला होना बाकी, पार्टी पदाधिकारी बोले- एक-दो दिन लगेंगे
मंगलवार को बीजेपी ऑफिस में विधायकों और नेताओं का आना-जाना लगा रहा।
छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश के बाद अब राजस्थान में मंत्रिमंडल विस्तार होना है। सीएम भजनलाल शर्मा के मंत्रिमंडल विस्तार में अभी ओर अधिक समय लग सकता है। अभी तक संभावना थी कि बुधवार को मंत्रिमंडल विस्तार हो जाएगा। अब संभवत बुधवार को भी मंत्रिमंडल विस्तार नहीं होगा। क्योंकि वसुंधरा गुट के लोगों पर फैसला नहीं हुआ है। पार्टी पदाधिकारियों का भी कहना है कि मंत्रिमंडल विस्तार में अभी एक-दो दिन का समय लग सकता है। हालांकि मंत्रिमंडल के सवाल पर आज बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी ने कहा- जल्द आपको इसकी सूचना दे दी जाएगी। वहीं, बीजेपी प्रदेश उपाध्यक्ष मुकेश दाधीच ने कहा कि मंत्रिमंडल की सूचना आपको एक-दो दिन में मिल जाएगी।
वहीं, दूसरी ओर राजस्थान का राजभवन अलर्ट मोड पर है। किसी भी समय सरकार से सूचना आने पर तैयारियों को अंतिम रूप दे दिया जाएगा। आज सीएम भजनलाल शर्मा श्रीकरणपुर विधानसभा के दौरे पर थे। जो शाम को जयपुर लौट चुके हैं।
सीएम भजनलाल शर्मा, डिप्टी सीएम दीया कुमारी और प्रेमचंद बैरवा 20 दिसंबर की रात को दूसरी बार दिल्ली के दौरे पर गए थे। इस दौरान उन्होंने पीएम मोदी से मुलाकात की थी।
नामों पर नहीं बन पा रही सहमति
मंत्रिमंडल में देरी को लेकर सियासी चर्चाएं भी शुरू हो गई हैं। माना जा रहा है कि मंत्रिमंडल में शामिल नामों को लेकर सहमति नहीं बन पा रही है। इसके चलते संभवत मंत्रिमंडल विस्तार में देरी हो रही है। सीएम भजनलाल शर्मा के दिल्ली दौरे के बाद मानकर चला जा रहा था कि केन्द्रीय नेतृत्व से नामों को हरी झंडी मिल गई है। अब इस तरह की चर्चाएं है कि वसुंधरा गुट के कितने लोगों को मंत्रिमंडल में जगह दी जाए, वो चेहरे कौन होंगे। इस पर फैसला होना बाकी है।
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और दोनों उप मुख्यमंत्री दीया कुमारी और प्रेमचंद बैरवा ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से 21 दिसंबर को मुलाकात की थी।
विधायकों ने कहा हमारे पास नहीं है कोई सूचना
मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर अधिकतर विधायक जयपुर में ही ठहरे हुए हैं। कई विधायक सत्ता व संगठन के पास चक्कर भी लगा रहे हैं। बीजेपी कार्यालय पहुंचे कपासन विधायक अर्जुनलाल जीनगर ने कहा- उनके पास किसी तरह की कोई सूचना नहीं आई है कि मंत्रिमंडल कब होगा। उन्होंने कहा कि मंत्रिमंडल में कोई देरी नहीं हो रही है। मंत्रिमंडल को लेकर मंथन जारी है।
वहीं, शाहपुरा, भीलवाड़ा विधायक लालाराम बैरवा ने कहा कि मंत्रिमंडल हमारी पार्टी का आंतरिक मामला है। कांग्रेस को इसमें चिंता करने की जरूरत नहीं है। मंत्रिमंडल की सूचना को लेकर उन्होंने कहा कि मैं तो जयपुर में मेरे आवास पर रुका हुआ हूं। यहां पार्टी नेताओं से शिष्टाचार भेंट करने आया हूं। इसके बारे में कोई सूचना नहीं है।
सीएम और डिप्टी सीएम शपथ लेने के बाद 17 दिसंबर को पहली बार दिल्ली के दौरे पर गए थे। इस दौरान उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से उनके आवास पर मुलाकात की थी।
नए लोगों को मिल सकता है मंत्रिमंडल में मौका
सीएम भजनलाल शर्मा के मंत्रिमंडल में नए लोगों को मौका मिल सकता है। माना जा रहा है कि मंत्रिमंडल में वरिष्ठ की अपेक्षा उन विधायकों को मौका दिया जा सकता है, जो अभी तक कभी मंत्री नहीं बने। हालांकि कुछ वरिष्ठ विधायकों को भी मंत्री बनाया जा सकता है। इनकी संख्या ज्यादा नहीं होगी।
वहीं, लोकसभा चुनावों से पहले जातीय और क्षेत्रीय संतुलन बनाकर मंत्रिमंडल में विधायकों को शामिल किया जाएगा। इससे पार्टी लोकसभा चुनावों में इसे भुना सके। ऐसे में मानकर चला जा रहा है कि शेखावाटी अंचल जहां बीजेपी की परफॉर्मेंस फिसड्डी रही है, वहां जीते हुए अधिकतर विधायकों को मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है।
ये हैं प्रबल दावेदार
पूर्वी राजस्थान के सबसे कद्दावर नेताओं में शामिल डॉ किरोड़ीलाल मीणा के मंत्रिमंडल का चेहरा बनने की प्रबल संभावना है। वहीं, हिंदुवादी चेहरा और तिजारा से विधायक बाबा बालकनाथ भी भजनलाल मंत्रिमंडल का हिस्सा हो सकते हैं। महिला चेहरों में अनिता भदेल, दीप्ति माहेश्वरी और पहली बार विधायक बनीं नौक्षम चौधरी पर नजरें हैं।
वहीं, दलित वर्ग से जितेंद्र गोठवाल और वरिष्ठ विधायक मदन दिलावर भी नई सरकार में मंत्री की जिम्मेदारी संभालते हुए नजर आ सकते हैं। जबकि राजपूत समाज से पुष्पेंद्र सिंह राणावत, सिद्धि कुमारी जैसे वरिष्ठ विधायकों के समर्थकों को उम्मीद है कि उनके नेता इस बार जरूर मंत्री बनेंगे। ब्राह्मण समाज को भी उम्मीद है कि मुख्यमंत्री उनके बीच से बनने के बाद एक-दो मंत्री पद भी झोली में आ सकते हैं। इसलिए संजय शर्मा, संदीप शर्मा, जेठानन्द व्यास जैसे विधायक भी रेस में बने हुए हैं।
नए मंत्रिमंडल में सबसे अधिक निगाहें जाट समाज को मिलने वाले प्रतिनिधित्व पर टिकी हैं। क्योंकि मुख्यमंत्री, दो उप मुख्यमंत्री और विधानसभा अध्यक्ष जैसे पदों पर एक भी जाट चेहरे को भाजपा ने मौका नहीं दिया है। इसलिए 12 जाट विधायकों पर सभी की निगाहें हैं कि कितनों को मौका मिलेगा।
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