राज्यपालों को अपने अंदर झांकना चाहिए… आखिर क्या हुआ कि सुप्रीम कोर्ट ने कह दी इतनी बड़ी बात!
पंजाब सरकार बनाम राज्यपाल के मामले में उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने बहुत कड़ी टिप्पणी की है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने कहा कि राज्यपालों को अपने अंदर झांकना चाहिए। भगवंत मान सरकार और राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित में कई मुद्दों पर ठन जाती है।
हाइलाइट्स
- पंजाब सरकार बनाम राज्यपाल के केस में सुप्रीम कोर्ट की कड़ी टिप्पणी
- सीजेआई की अध्यक्षता वाली पीठ ने राज्यपालों को सख्त हिदायत दी
- तीन सदस्यीय पीठ ने कहा- राज्यपालों को अपने अंदर झांककर देखना चाहिए
सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपालों के लिए कड़ी टिप्पणी की, उच्चतम न्यायालय ने सुझाव दिया
सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपालों के लिए कड़ी टिप्पणी की, उच्चतम न्यायालय ने सुझाव दिया
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपालों के लिए बहुत कड़ी टिप्पणी की है। उच्चतम न्यायालय ने राज्यपालों को अपने अंदर झांकने तक का सुझाव दे दिया है। पंजाब सरकार की तरफ से दायर एक याचिका पर सुनवाई के दौरान प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि राज्यपालों को चाहिए कि वो विधेयकों से जुड़े मामलों को सुप्रीम कोर्ट तक नहीं पहुंचने दें, ऐसा हो इससे पहले वो कार्रवाई कर दें। सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को पंजाब विधानसभा से पारित विधेयकों पर राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित की ओर से उठाए गए कदमों पर अपडेट रिपोर्ट पेश करने का निर्देश भी दिया।
सीजेआई वाली पीठ की राज्यपालों पर कड़ी टिप्पणी
पंजाब के राज्यपाल की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट बेंच को बताया कि राज्यपाल ने उनके पास भेजे गए विधेयकों पर कार्रवाई की और पंजाब सरकार ने बेवजह ही याचिका दायर की है। सीजेआई की अगुवाई वाली पीठ में जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा शामिल हैं। इस पीठ ने कहा, ‘राज्यपालों को मामला उच्चतम न्यायालय आने से पहले ही कार्रवाई करनी चाहिए। उन्हें यह धारणा खत्म करनी होगी कि राज्यपाल तभी काम करते हैं जब मामला उच्चतम न्यायालय आता है… राज्यपालों को थोड़ा आत्मावलोकन की आवश्यकता है और उन्हें पता होना चाहिए कि वे जनता के निर्वाचित प्रतिनिधि नहीं हैं।’
स्टेटस रिपोर्ट देने का आदेश
सीजेआई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, ‘सॉलिसिटर जनरल कह रहे हैं कि पंजाब के गवर्नर ने काम कर दिया है और ताजा स्टेटस रिपोर्ट कुछ दिन में पेश की जाएगी। याचिका को शुक्रवार को सुनवाई के लिए लिस्ट करें और अदालत को राज्यपाल द्वारा की गई कार्रवाई के बारे में बताएं।’ उच्चतम न्यायालय ने मामले पर अगली सुनवाई के लिए 10 नवंबर की तारीख तय कर दी।
पंजाब में सरकार बनाम राज्यपाल
ध्यान रहे कि पंजाब के राज्यपाल का मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार के साथ कुछ मुद्दों पर टकराव है। गवर्नर बनवारी लाल पुरोहित ने मुख्यमंत्री भगवंत मान को पत्र लिखने के कुछ दिनों बाद उन्हें भेजे गए तीन में से दो विधेयकों को 1 नवंबर को अपनी मंजूरी दे दी थी। इस पत्र में उन्होंने कहा था कि विधेयकों को विधानसभा में पेश करने की अनुमति देने से पहले वो सभी प्रस्तावित कानूनों की गुण-दोष के आधार पर जांच करेंगे।
तीन धन विधेयकों पर राज्यपाल और सरकार में ठनी
राज्यपाल ने 19 अक्टूबर को मुख्यमंत्री को लिखे अपने पत्र में तीन धन विधेयकों को अपनी मंजूरी देने से इनकार कर दिया था। उन्होंने पंजाब राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन (संशोधन) विधेयक 2023, पंजाब माल और सेवा कर (संशोधन) विधेयक 2023 और भारतीय स्टांप (पंजाब संशोधन) विधेयक 2023 को मंजूरी नहीं दी थी जिन्हें 20-21 अक्टूबर के विधानसभा सत्र के दौरान सदन में पेश किया जाना था।
हालांकि, बाद में उन्होंने पंजाब माल और सेवा कर (संशोधन) विधेयक 2023 और भारतीय स्टांप (पंजाब संशोधन) विधेयक 2023 को मंजूरी दे दी। राज्यपाल ने विधानसभा के 20-21 अक्टूबर के सत्र को ‘अवैध’ बताया था और कहा था कि इस सत्र में किया गया कोई भी विधायी कार्य ‘गैर-कानूनी’ होगा। विधानसभा में धन विधेयक पेश करने के लिए राज्यपाल की मंजूरी की जरूरत होती है।
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