राम राम सा से राजस्थानी धरा के वाशिंदों को अभिवादन कर राष्ट्रपति ने जीता बीकानेर का दिल
देश की बहु आयामी संस्कृति को समेटे राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव का बीकानेर में राष्ट्रपति के कर कमलों से आगाज : दीप प्रज्वलन और नगाड़ा बजाकर किया उद्घाटन
बीकानेर। भारत के कला संस्कृति मंत्रालय द्वारा राजस्थान के बीकानेर में पहली बार आयोजित हो रहे राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव का देश की प्रथम नागरिक द्रोपदी मुर्मू ने दीप प्रज्वलन और नगाड़ा बजाकर आगाज किया।
राष्ट्रपति के बीकानेर के करणी सिंह स्टेडियम पहुंचने पर सात कल्चरल जोन के आंगन में विभिन्न संस्कृतियों द्वारा राष्ट्रपति का बीकानेर पहुंचने पर अभिनंदन किया गया। इसके बाद राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ किया।इस अवसर पर कला एवम संस्कृति कार्य राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने सात्विक ऊर्जा प्रदान करने के लिए महामहिम का स्वागत उद्बोधन किया। उन्होंने कहा कि होली के अवसर पर राष्ट्रपति के बीकानेर आगमन ने बीकानेर को रंगोत्सव और उल्लास से सराबोर किया है। इसमें 8 पद्मश्री कलाकार सहित देश के विभिन्न हिस्सों से आए 1000 से अधिक कलाकार प्रस्तुति दे रहे हैं। इसमें कला , संगीत , सीमा दर्शन का सांचू कार्यक्रम , कोलायत में आयोजन , फायर डांस का कार्यक्रम स्वयं में अनूठा है। उन्होंने कहा कि बीकानेर मां करणी का तपस्या स्थल सहित कोलायत जैसी तपोभूमि की ये छोटी काशी है, गुरु जम्भेश्वर, वीर तेजा की भूमि पर , सांप्रदायिक , संस्कृति की मिठास घोलने वाला ये शहर, अल्लाह जिलाई बाई से लेकर पेंटिंग में मेघा हर्ष तक विविध छटा बिखेरता है, रम्मत की उल्लास और उमंग की स्थली में बीकानेर आपके आगमन से अभिभूत है। इस दौरान जनजातीय कलाकार द्वारा शॉलऔर श्रीनाथ जी के चित्र भेंट कर महामहिम का सम्मान और अभिनंदन किया गया। कार्यक्रम में राज्यपाल का भी अभिनंदन शॉल और स्मृति चिन्ह द्वारा किया गया। राज्यपाल कलराज मिश्र ने इस उत्सव के आयोजन पर बधाई देते हुए कहा कि राजस्थान में उत्सवधार्मिता इतनी है कि सात वारों में नौ त्योहार मनाए जाते हैं।यजुर्वेद सहित उपनिषदों का हवाला देते हुए हुए उन्होंने कहा कि ऐसे कार्यक्रमों से कला संस्कृति का प्रचार प्रसार होता है।महाराणा प्रताप ,मीरा और पन्नाधाय के इस क्षेत्र में, दूर तक पसरे धोरों वाली ये धरा स्वयं में अनुपम है। इस महोत्सव के बहाने हम यहां की स्थापत्य और शिल्प कला को सहेजने तथा जीवन मूल्यों और संस्कारों की ओर लौट रहे हैं। उन्होंने कहा ये कार्यक्रम लोक का आलोक है।इससे देश की प्रमुख कलाओं को मंच मिल रहा है। ये विविध भारत में एकता के सूत्र को पिरोते हैं।
राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने राम राम सा से अपने उद्बोधन की शुरूआत से लोगों का दिल जीत लिया।बीकानेरी इतिहास, ऊंट और उत्सवों का हवाला देते हुए कहा कि वे यहां आकर अभिभूत हैं। इस नौ दिनों में देश के ख्याति नाम कलाकार आए हैं, ऐसे कार्यक्रम देश की कला संस्कृति के साथ देश को समृद्ध बनाते हैं। सिंधु घाटी सभ्यता काल से भारत की कला संस्कृति , पक्षियों के मधुर कलरव से मां की लोरी तक भारत में कला और संस्कृति अनूठी है।इंटरनेट द्वारा नई टेक्नोलॉजी से देश की कला संस्कृति का प्रचार करें, नए विचारों से युवा पीढ़ी को ऐसे कार्यक्रमों से जोड़े ताकि युवा भारत की कला को समझें। ऐसे अधिकाधिक कार्यक्रम हो ताकि युवाओं और कलाकारों के बीच संवाद बढ़े। भारत के गांवों में कला की सुगंध और ऊर्जा है वो हर जगह बिखरे। ये कला को सामने लाने का सुंदर उदाहरण है।इस काल में जब मॉर्डनाइजेशन हो रहा है ऐसे में इस प्रकार के आयोजनों से गांव गांव से कला को संचित करें। आज के युवा और बच्चे कला संस्कृति को समझें और विद्वजन इसमें सहयोग करें। परिवर्तन को स्वीकारें परंतु बुनियादी मूल्यों और सिद्धांतों को संजोए, वसुधैव कुटुंबकम् को अपनाते हुए संस्कृति धरोहरों को संरक्षण दें।
इसके पश्चात पद्मश्री अनवर खान ने सोने की धरती, चांदी रो आसमान, म्हारो प्यारो राजस्थान,धरती धोरा री से लोक संगीत की शुरुआत कर सबको मंत्रमुग्ध कर दिया। विभिन्न राज्यों के कलाकारों ने इस अवसर पर अपने अपने राज्यों के लोक नृत्य प्रस्तुत कर समां बांध दिया।आम जन सहित उपस्थित अतिथि भी असम, हरियाणा, पश्चिम बंगाल, अरुणाचल प्रदेश आदि राज्यों के लोक नृत्यों से अभिभूत हो गए। इस अवसर पर राष्ट्रपति के अतिरिक्त राज्यपाल कलराज मिश्र, कला और संस्कृति राज्य मंत्री अर्जुनराम मेघवाल, राजस्थान के शिक्षा मंत्री बी डी कल्ला , बीकानेर महापौर सुशीला कंवर राजपुरोहित , बीएसएफ डीआईजी पुष्पेंद्र सिंह राठौड़ सहित अनेक गणमान्य जन उपस्थित रहे। कार्यक्रम में राजपूताना राइफल्स के बैंड पर राष्ट्र गान की धुन बिखेरीं।
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