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रेमडेसिवर प्रकरण: एसओजी की पूछताछ के बाद डॉक्टर ने काटी हाथ की नस, डागा के नाम से फर्जी बिलिंग की आशंका, बढ़ी जांच अधिकारी की जिम्मेदारी

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बीकानेर। रेमडेसिवर इंजेक्शन की कालाबाजारी को लेकर एसओजी की जांच में नाम आने पर एक डॉक्टर ने हाथ की नस की काट ली। घटना बीती रात की है। एनेस्थीसिया डॉ धनपत डागा को एसओजी ने सदर थाने में पूछताछ के लिए बुलाया था। पूछताछ से निकलने के बाद उन्होंने थाना परिसर में खड़ी अपनी कार में बैठते ही हाथ की नस काट ली। गनीमत रही कि घटना के तुरंत बाद वे नज़र में आ गए और उनका इलाज शुरू हो गया। सूत्रों के हवाले से चौंकाने वाली बातें सामने आई है। दरअसल, एसओजी ने मई की शुरुआत में बीकानेर के 6 फार्मासिस्टों व ड्रग कंट्रोलर से रेमडेसिवर इंजेक्शन की खरीद बिक्री का स्टेटमेंट मांगा था। इसमें करीब 510 इंजेक्शन की गड़बड़ियां पाईं गईं। फार्मासिस्टों ने विभिन्न अस्पतालों व डॉक्टरों के नाम से बिल काट रखे थे, जिनमें जीवनरक्षा के डॉ विकास पारीक व डॉ धनपत डागा का नाम भी था। सूत्रों का कहना है कि एसओजी में नाम आने से काफी पहले से ही वे परेशान थे। कहा जा रहा है कि जीवनरक्षा में कुछ ऐसा चल रहा था जो उन्हें मंजूर नहीं था। इसी को लेकर वहां उनकी बन नहीं रही थी। सामने आया है कि डॉ धनपत जीवनरक्षा के अलावा भी 4-5 अस्पतालों में जाते हैं। दरअसल, एनेस्थीसिया के डॉक्टरों का काम अधिकतर ऑपरेशन के वक्त होता है। ऐसे में उनका जीवनरक्षा के अलावा अन्य अस्पतालों से भी टाइअप था। सवाल यह भी है कि रेमडेसिवर लेने में डॉ धनपत का नाम जीवनरक्षा के लिंक से ही क्यों जुड़ा? सूत्रों के हवाले से सामने आई बातें डॉ धनपत को फंसाए जाने की ओर इशारा करती है। आशंका है कि उनके नाम से फर्जी बिलिंग करवाई गई हो। हमने तहकीकात की तो डॉ धनपत का रिकॉर्ड साफ सुथरा निकला। ऐसे में एसओजी पर जांच को लेकर जिम्मेदारी बढ़ गई है। बता दें कि कानून कहता है कि सौ गुनाहगार छूट जाए लेकिन एक भी बेगुनाह को सजा नहीं होनी चाहिए।
सूत्रों के अनुसार डॉ धनपत बेहद संवेदनशील है तथा कोरोना मरीजों की दुर्दशा से भी अवसाद में थे। रेमडेसिवर प्रकरण में नाम आने के बाद वे और अधिक परेशान हो गए थे।

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