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रेसलर बजरंग पूनिया ने पद्मश्री अवार्ड लौटाया:PM को चिट्‌ठी में लिखा- महिला पहलवानों के अपमान के बाद ऐसी सम्मानित जिंदगी नहीं जी पाएंगे

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रेसलर बजरंग पूनिया ने पद्मश्री अवार्ड लौटाया:PM को चिट्‌ठी में लिखा- महिला पहलवानों के अपमान के बाद ऐसी सम्मानित जिंदगी नहीं जी पाएंगे

बजरंग पूनिया को 12 मार्च 2019 को तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया था। - Dainik Bhaskar

बजरंग पूनिया को 12 मार्च 2019 को तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया था।

रेसलर बजरंग पूनिया ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सोशल मीडिया के जरिए चिट्‌ठी लिखकर पद्मश्री अवार्ड लौटाने का ऐलान किया है। बजरंग पूनिया ने लिखा कि मैं अपना पद्मश्री पुरस्कार प्रधानमंत्री जी को वापस लौटा रहा हूं। कहने के लिए बस मेरा यह पत्र है। यही मेरी स्टेटमेंट है। ढाई पेज की इस चिट्‌ठी में बजरंग पूनिया ने भारतीय कुश्ती संघ (WFI) पर बृजभूषण के करीबी संजय सिंह की जीत का विरोध किया है।

बजरंग ने खुद को ‘असम्मानित पहलवान’ बताते हुए कहा कि महिला पहलवानों के अपमान के बाद वे ऐसी सम्मानित जिंदगी नहीं जी पाएंगे, इसलिए अपना सम्मान लौटा रहे हैं। अब वह इस सम्मान के बोझ तले नहीं जी सकते। बजरंग पूनिया को 12 मार्च 2019 को तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया था।

बजरंग पूनिया की चिट्‌ठी की अहम बातें…

सरकार ने ठोस कार्रवाई की बात कही थी
बजरंग पूनिया ने प्रधानमंत्री को लिखा- उम्मीद है कि आप स्वस्थ होंगे। आप देश की सेवा में व्यस्त होंगे। आपके इस भारी व्यस्तता के बीच आपका ध्यान हमारी कुश्ती पर दिलवाना चाहता हूं। आपको पता होगा कि इसी साल जनवरी महीने में देश की महिला पहलवानों ने कुश्ती संघ पर काबिज बृजभूषण सिंह पर सेक्शुअल हैरेसमेंट के गंभीर आरोप लगाए थे।

जब उन महिला पहलवानों ने अपना आंदोलन शुरू किया तो मैं भी उसमें शामिल हो गया था। आंदोलित पहलवान जनवरी में अपने घर लौट गए, जब उन्हें सरकार ने ठोस कार्रवाई की बात कही।

3 महीने कुछ न हुआ तो सड़कों पर उतरना पड़ा
लेकिन 3 महीने बीत जाने के बाद भी जब बृजभूषण पर एफआईआर तक नहीं की, तब हम पहलवानों ने अप्रैल महीने में दोबारा सड़कों पर उतरकर आंदोलन किया, ताकि दिल्ली पुलिस कम से कम बृजभूषण पर एफआईआर दर्ज करे। लेकिन फिर भी बात नहीं बनी तो हमें कोर्ट में जाकर FIR दर्ज करवानी पड़ी।

बृजभूषण के दबाव में 12 महिला पहलवान पीछे हटीं
जनवरी में शिकायतकर्ता महिला पहलवानों की गिनती 19 थी, जो अप्रैल तक आते-आते 7 रह गई थी। यानी इन 3 महीनों में अपनी ताकत के दम पर बृजभूषण ने 12 महिला पहलवानों को अपने न्याय की लड़ाई में पीछे हटा दिया था। आंदोलन 40 दिन चला।

इन 40 दिनों में एक महिला पहलवान और पीछे हट गईं। हम सब पर बहुत दबाव आ रहा था। हमारे प्रदर्शन स्थल को तहस-नहस कर दिया गया और हमें दिल्ली से बाहर खदेड़ दिया गया और हमारे प्रदर्शन करने पर रोक लगा दी।

गृहमंत्री ने कहा था- न्याय में साथ देंगे
जब ऐसा हुआ तो हमें कुछ समझ नहीं आया कि हम क्या करें?। इसलिए हमने अपने मेडल गंगा में बहाने की सोची। जब हम वहां गए तो हमारे कोच साहिबान और किसानों ने हमें ऐसा नहीं करने दिया। उसी समय आपके एक जिम्मेदार मंत्री का फोन आया और हमें कहा गया कि हम वापस आ जाएं, हमारे साथ न्याय होगा।

इसी बीच हमारे गृहमंत्री जी से भी हमारी मुलाकात हुई। जिसमें उन्होंने हमें आश्वासन दिया कि वे महिला पहलवानों के लिए न्याय में उनका साथ देंगे और कुश्ती फेडरेशन से बृजभूषण, उसके परिवार और उसके गुर्गों को बाहर करेंगे।

यह तस्वीर 30 मई 2023 की है जब पहलवान बजरंग पूनिया, साक्षी मलिक और विनेश फोगाट अपने मेडल गंगा में बहाने के लिए हरिद्वार में हर की पैड़ी पर गए थे। हालांकि बाद में उन्हें रोक दिया गया।

यह तस्वीर 30 मई 2023 की है जब पहलवान बजरंग पूनिया, साक्षी मलिक और विनेश फोगाट अपने मेडल गंगा में बहाने के लिए हरिद्वार में हर की पैड़ी पर गए थे। हालांकि बाद में उन्हें रोक दिया गया।

हमने बात मानी लेकिन बृजभूषण दोबारा संघ पर काबिज हो गया
हमने उनकी बात मानकर सड़कों से अपना आंदोलन समाप्त कर दिया क्योंकि कुश्ती संघ का हल सरकार कर देगी और न्याय की लड़ाई न्यायालय में लड़ी जाएगी, ये 2 बातें हमें तर्कसंगत लगीं। लेकिन बीती 21 दिसंबर को हुए कुश्ती संघ के चुनाव में बृजभूषण एक बार दोबारा काबिज हो गया है।

उसने स्टेटमेंट दी कि ‘दबदबा है और दबदबा रहेगा’। महिला पहलवानों के यौन शोषण का आरोपी सरेआम दोबारा कुश्ती का प्रबंधन करने वाली इकाई पर अपना दबदबा होने का दावा कर रहा था।

हमने रोते हुए रात काटी
इसी मानसिक दबाव में आकर ओलिंपिक पदक विजेता एकमात्र महिला पहलवान साक्षी मलिक ने कुश्ती से संन्यास ले लिया। हम सभी की रात रोते हुए निकली। समझ नहीं आ रहा था कि कहां जाएं, क्या करें और कैसे जियें। इतना मान-सम्मान दिया सरकार ने, लोगों ने, क्या इसी सम्मान के बोझ तले दबकर घुटता रहूं।

साल 2019 में मुूझे पद्मश्री से नवाजा गया। खेल रत्न और अर्जुन अवार्ड से भी सम्मानित किया गया। जब यह सम्मान मिले तो मैं बहुत खुश हुआ। लगा था कि जीवन सफल हो गया लेकिन आज उससे कहीं ज्यादा दुखी हूं और ये सम्मान मुझे कचोट रहे हैं। कारण सिर्फ एक ही है, जिस कुश्ती के लिए ये सम्मान मिले, उसमें हमारी साथी महिला पहलवानों को अपनी सुरक्षा के लिए कुश्ती तक छोड़नी पड़ रही है।

जिनका दबदबा कायम हुआ, वह महिला खिलाड़ियों को डराते हैं
खेल हमारी महिला पहलवानों के जीवन में जबरदस्त बदलाव लेकर आए थे। पहले देहात में यह कल्पना नहीं कर सकता था कि देहाती मैदानों में लड़के-लड़कियां एक साथ खेलते दिखेंगे। लेकिन पहली पीढ़ी की महिला पहलवानों की हिम्मत के कारण ऐसा हो सका। हर गांव में आपको लड़कियां खेलती दिख जाएंगी और वे खेलने के लिए देश-विदेश तक जा रही हैं।

मगर, जिनका दबदबा कायम हुआ है या रहेगा, उनकी परछाई तक महिला खिलाड़ियों को डराती है और अब तो वह पूरी तरह दोबारा काबिज हो गए हैं। उनके गले में फूलमालाओं वाली फोटो आप तक पहुंची होगी। जिन बेटियों को बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ की ब्रैंड एंबेसडर बनना था, उनको इस हाल में पहुंचा दिया गया कि उनको अपने खेल से ही पीछे हटना पड़ा।

मैं सम्मानित बनकर नहीं जी पाऊंगा
हम ‘सम्मानित पहलवान’ कुछ नहीं कर सके। महिला पहलवानों को अपमानित किए जाने के बाद मैं ‘सम्मानित’ बनकर अपनी जिंदगी नहीं जी पाऊंगा। ऐसी जिंदगी कचोटेगी ताउम्र मुझे। इसलिए ये ‘सम्मान’ मैं आपको लौटा रहा हूं। जब किसी कार्यक्रम में जाते थे तो मंच संचालक हमें पद्मश्री, खेल रत्न और अर्जुन अवार्डी पहलवान बताकर हमारा परिचय कराता था तो लोग बड़े चाव से तालियां पीटते थे। अब कोई ऐसे बुलाएगा तो मुझे घिन आएगी क्योंकि इतने सम्मान होने के बावजूद एक सम्मानित जीवन, जो हर महिला पहलवान जीना चाहती है, उससे उन्हें वंचित कर दिया गया। मुझे इश्वर में पूरा विश्वास है। उनके घर देर है अंधेर नहीं। अन्याय पर एक दिन न्याय की जरूर जीत होगी।

बजरंग पूनिया की पूरी चिट्‌ठी पढ़ें…

कल साक्षी मलिक ने लिया संन्यास
देश की इकलौती ओलिंपियन मेडल विजेता रेसलर साक्षी मलिक ने WFI चुनाव के रिजल्ट के बाद कल दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान संन्यास ले लिया था। साक्षी ने अपने जूते निकालकर वहीं टेबल पर रख दिए थे। इससे पहले साक्षी ने कहा कि हम लड़ाई नहीं जीत पाए, कोई बात नहीं। हमारा समर्थन करने देशभर से दूर-दूर से आए लोगों का आभार। हमारी लड़ाई आगे भी जारी रहेगी।

भरी हुई आवाज में साक्षी ने कहा कि पहलवानों ने WFI में महिला प्रेसिडेंट की मांग की थी, लेकिन सब जानते हैं कि बृजभूषण का तंत्र कितना मजबूत है। मैं और बजरंग पूनिया गृहमंत्री से मिले थे। हमने बाकायदा लड़कियों के नाम लेकर उन्हें बताया था कि रेसलिंग को बचा लें, लेकिन कुछ नहीं हुआ।

चुने गए नए अध्यक्ष संजय सिंह बृजभूषण सिंह के पार्टनर हैं। जब तक बृजभूषण सिंह और उनके जैसे लोग कुश्ती संघ से जुड़े हैं, न्याय की उम्मीद नहीं है। ऐसे में मैं आज से ही अपनी कुश्ती त्यागती हूं। आज से आप मुझे मैट पर नहीं देखेंगे।

जूते टेबल पर रख कुश्ती से रिटायरमेंट की घोषणा करती साक्षी मलिक।

जूते टेबल पर रख कुश्ती से रिटायरमेंट की घोषणा करती साक्षी मलिक।

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ओलिंपियन साक्षी मलिक के कुश्ती छोड़ने से मां भी आहत:बोलीं- देश के लिए मेडल जीतने पर भी बेटी को न्याय नहीं मिला, WFI में बृजभूषण की ही चलेगी

भारतीय कुश्ती संघ (WFI) के नए अध्यक्ष के चुनाव के बाद हरियाणा के रोहतक की रहने वाली ओलिंपियन साक्षी मलिक ने कुश्ती छोड़ दी। इस पर साक्षी मलिक की मां सुदेश मलिक ने कहा कि जितना ‘मैं आहत हूं उतना ही देश इस फैसले से आहत है।’ देश के लिए मेडल जीतने के बाद उस मुकाम पर पहुंचने पर भी न्याय नहीं मिला 

साक्षी मलिक के सन्यास पर बोले योगेश्वर दत्त:11 माह में भारतीय कुश्ती का सबसे बुरा समय, यौन शोषण के आरोप दुखदाई​​​​​​

साक्षी मलिक के सन्यास लेने पर योगेश्वर दत्त ने कहा कि संन्यास लेने का फैसला सभी खिलाड़ियों का अपना निजी होता है। हां इतना जरूर कहूंगा कि किसी भी खिलाड़ी के लिए किसी भी परिस्थिति में अपने खेल से दूर होना या गेम को अलविदा कहना बड़ा दुखदाई होता है

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