विपक्षी पार्टी के दो और नेताओं के अश्लील वीडियो:किसने कहा- मंत्रीजी शिकायतें तो आपके खिलाफ भी हैं; नेताजी नहीं लगवा सके मर्जी का एसडीएम
- हर शनिवार पढ़िए और सुनिए- ब्यूरोक्रेसी, राजनीति से जुड़े अनसुने किस्से
दमदार नेताजी नहीं लगवा सके मर्जी का एसडीएम
सत्ता वाली पार्टी के विधायकों को सिस्टम बदलने का एहसास होने लगा है। पिछले दिनों आरएएस अफसरों के ट्रांसफर में तो जैसे आईना ही दिखा दिया, हर कोई नाम देखकर चौंक रहा था। तबादला लिस्ट में अपने पसंद का एसडीएम नहीं देख राजधानी के एक नेताजी ने सब तरफ फोन घुमाए। सत्ता के सबसे बड़े केंद्र से लेकर सब जगह फोन कर लिए, लेकिन पार नहीं पड़ी। आखिर में ब्यूरोक्रेसी के मुखिया का पता बताया गया। पुराने सिस्टम के हिसाब से नेताजी ने अपनी पसंद का एसडीएम नहीं होने की शिकायत की। नेताजी को जवाब मिला कि सब कुछ पड़ताल करने के बाद ही एसडीएम लगा है, अब कुछ नहीं हो सकता। नेताजी को समझ आ गया कि सिस्टम वाकई बदल चुका है। यह हालत लगभग हर नेता की बताई जा रही है, मतलब डिजायर सिस्टम खत्म।
मंत्री को मिला जवाब, शिकायत तो आपके खिलाफ भी है
सत्ता वाली पार्टी में ट्रांसफर-पोस्टिंग के नए यूनिफाइड सिस्टम से कई मंत्री तक हैरान हैं। पिछले दिनों नए मंत्रियों के यहां सचिवालय का स्टाफ लगाया गया। स्टाफ की लिस्ट देखकर एक मंत्रीजी ने नाराजगी जताई। जिस कर्मचारी को उनके स्टाफ में लगाया गया, वह पसंद नहीं आया, उसे लेकर कुछ शिकायतें भी थीं। मंत्रीजी ने जब स्टाफ बदलने के लिए बात की तो सरकारी सिस्टम में साफ मना कर दिया कि पहले मूल जगह से अप्रूवल दिलवा दीजिए। मंत्रीजी ने मूल जगह बात की और तर्क दिया कि उनके स्टाफ में जिसे लगाया है, उसके खिलाफ भारी शिकायतें हैं। मूल जगह से मंत्रीजी को नया सिस्टम समझाते हुए दो टूक कह दिया कि शिकायतें तो आपके खिलाफ भी बहुत हैं, लेकिन फिर भी आप मंत्री हैं, कर्मचारी की शिकायत है तो क्या? इसे निभाइए। मंत्रीजी मन मसोस कर रह गए।
राहुल गांधी ने राजस्थान के नेताओं के लिए क्या सलाह दी?
श्रीकरणपुर चुनाव के रिजल्ट ने विपक्षी पार्टी में नई एनर्जी का संचार कर दिया है। हार की हताशा से उबरने में इस जीत ने संजीवनी का सा काम किया है। लोकसभा चुनाव के लिए जोर शोर से तैयारी शुरू हो गई है। हाल ही में देश की राजधानी में लोकसभा चुनावों को लेकर एक रणनीतिक बैठक में राजस्थान के लिए सलाह दी गई। बैठक में चुनिंदा दिग्गज थे। सलाह यह दी गई कि सभी दिग्गजों को लोकसभा चुनाव लड़वाया जाए, जब इसका कारण पूछा तो जवाब आया कि एक तो पार्टी को पैसा खर्च नहीं करना पड़ेगा और दिग्गजों का ग्राउंड का आकलन भी हो जाएगा। फिलहाल इस सलाह पर विचार ही चल रहा है।
सांसद को अचानक क्यों याद आया ढाई दिन का झोंपड़ा ?
सत्ता वाली पार्टी में लोकसभा चुनावों की तैयारियों के बीच टिकट की दावेदारी शुरू हो चुकी है। राजधानी की शहर और ग्रामीण की दोनों सीटों पर दिग्गजों की नजरें हैं, इस बार चेहरे बदलने की संभावना है। राजधानी के सांसद को पिछले दिनों ढाई दिन का झोंपड़ा ऐसे ही याद नहीं आया था। राजधानी की सीट पर केंद्रीय मंत्री की नजर है। शायद ऊपर से ही इशारा बताया जा रहा है। केंद्रीय मंत्री के शहर के नेताओं की बैठक लेने के बाद इस बात की चर्चा और तेजी से होने लगी है। शेखावाटी बेल्ट के एक नेता ने भी शहर की सीट को लेकर ताल ठोक दी है। नेताजी संगठन में पदाधिकारी भी हैं और संगठन वाले भाई साहब के नजदीकी भी हैं। नेताजी ने राजधानी में माहौल भी बनाना शुरू कर दिया है। राजधानी से सटी ग्रामीण सीट पर भी दावेदारों की भरमार हैं।
विपक्षी पार्टी के दो और नेताओं के अश्लील वीडियो चर्चा में
विपक्षी पार्टी के सीमावर्ती जिले से विधायक रहे नेताजी की अश्लील सीडी के बाद दो और नेताओं के अश्लील वीडियो चर्चा में है। इनमें से एक नेताजी का वीडियो तो विधानसभा चुनावों के वक्त भी खूब चर्चा में आया था। जिस नेता के वीडियो की चर्चा है वे दक्षिणी राजस्थान से सियासी परिवार से जुड़े हैं। दूसरा अश्लील वीडियो एक पूर्व मंत्री से जुड़ा बता रहे हैं। पूर्व मंत्री का वीडियो अभी सर्कुलेट नहीं हुआ है, जबकि नेताजी का वीडियो बाहर आ चुका है। विपक्षी पार्टी में अश्लील वीडियो की सियासत नई बात नहीं है, पहले भी इसे लेकर खूब बवाल हो चुका है।
मुखिया के जिले में रह चुके अफसरों के अरमानों पर पानी
पिछले दिनों प्रदेश में हुए प्रशासनिक फेरबदल में बहुत कुछ ऐसा हुआ, जिसने कइयों के मुगालते दूर कर दिए। प्रदेश के मुखिया के जिले में रह चुके अफसरों को मलाईदार पोस्टिंग की उम्मीद थी, लेकिन जब तबादला लिस्ट आई तो नतीजा कुछ और ही निकला। मुखिया के गृह जिले में रह चुके एक अफसर ने तो दूसरों को भी बेहतर जगह लगवाने के वादे कर लिए थे, लेकिन दूसरों की छोड़िए खुद को पहले से कमजोर पोस्टिंग मिली। अब काटो तो खून नहीं की हालत हो रही है। अब पराए पावर पर आंख मूंद कर भरोसा करने पर यही होता है।
छवि चमकाने वाले महकमे में विदाई पर मिठाइयां?
सरकार की छवि चमकाने वाले महकमे में बदलाव हो चुका है। पुराने बॉस की जगह नए आ गए हैं। सरकारी दफ्तरों में बॉस बदलना कोई बड़ी बात नहीं है, लेकिन इस बार का माहौल अलग ही दिख रहा था। बदलाव के बाद मिठाइयां बांटकर खुशी का इजहार किया। महकमे में पुराने बॉस के जाने के बाद मिठाइयां बांटकर खुशी मनाने के मामले की पावर कॉरिडोर्स में जबरदस्त चर्चा है। किसी महकमे से बॉस की विदाई पर जूनियर्स नम आंखों से विदाई दें या जाने पर मिठाइयां बांटें, यह तो व्यवहार पर निर्भर है।
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