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वो कौनसी वजह, जिसने बना दिया अपनों का हत्यारा?:एक ही परिवार के पांच जने घर में मुर्दा मिले; बेटे ने मां-बाप और बहन को कुल्हाड़ी से काटा

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वो कौनसी वजह, जिसने बना दिया अपनों का हत्यारा?:एक ही परिवार के पांच जने घर में मुर्दा मिले; बेटे ने मां-बाप और बहन को कुल्हाड़ी से काटा

जयपुर

  • नागौर के डीडवाना में दो सगी बहनों और बड़ी बहन के बेटे-बेटी के शव पड़े मिले।
  • बीकानेर में एक ही परिवार के 5 लोगों ने घर में सामूहिक सुसाइड किया।
  • नागौर में 18 साल के लड़के ने अपने माता-पिता और बहन को कुल्हाड़ी से काट डाला।
  • जोधपुर के रामनगर गांव में भतीजे ने अपने चाचा के पूरे परिवार को मार डाला।

पिछले 6 महीने में सामूहिक मर्डर और सामूहिक आत्महत्या की ऐसी 15 बड़ी घटनाएं सामने आ चुकी है, जिसने पूरे राजस्थान को झकझोर कर रख दिया। पिछले कुछ सालों में ये ट्रेंड इतना तेजी से बढ़ा है कि कई परिवार बर्बाद हो चुके हैं।

छोटी सी बात पर पूरे परिवार की हत्या कर देना, हताश होकर पूरे परिवार का गला घोंट देने जैसी घटनाएं डर पैदा कर रही हैं। आखिर कौनसी वो वजहें हैं जो अपने ही लोगों को हैवान बना रही हैं? क्यों ये मामले तेजी से बढ़ रहे हैं?

पिछले 6 महीने में घटित ऐसे 4 मामलों की भास्कर ने एक्सपर्ट की मदद से स्टडी की, साथ ही उन केस में पुलिस की पड़ताल किस नतीजे तक पहुंची यह भी जाना।

पढ़िए- संडे बिग स्टोरी में…

केस-1 : एक कमरे में मिली चार लाशें
20 जनवरी 2023 के दिन सुबह कुचामन-डीडवाना जिले के नुवां गांव में घर में मां साजिया बानो (30) पत्नी लियाकत अली और उसके बेटे अबीर (4) व बेटी कनिष्का बानो (7) के शव कमरे में बेड पर और एक दूसरी महिला नाजिया (32) पत्नी सलाउद्दीन की बॉडी फर्श पर पड़ी मिली। नाजिया बेड पर पड़ी मृतका साजिया की सगी बहन और जेठानी थी। दोनों महिलाओं के शौहर कई सालों से सऊदी अरब में रह रहे थे।

नाजिया और साजिया दोनों बहनें ससुराल नुंवा में परिवार से अलग रहती थीं।

नाजिया और साजिया दोनों बहनें ससुराल नुंवा में परिवार से अलग रहती थीं।

पुलिस जांच में ये आया सामने?
मौलासर SHO सुनील चौधरी ने बताया कि प्राइमरी इन्वेस्टिगेशन में सामने आया है कि दोनों सगी बहनें पारिवारिक विवाद से परेशान थीं और इसी के चलते उन्होंने एक साथ सामूहिक आत्महत्या कर ली। पीहर पक्ष और ससुराल पक्ष में विवाद था और उन्हें ससुराल में प्रताड़ित किया जा रहा था।

दोनों के शौहर भी उनके पास नहीं रह रहे थे। रोज-रोज के तानों और जिल्लत से परेशान होकर उन्होंने ये कदम उठा लिया। फिलहाल इन्वेस्टिगेशन चल रहा है।

कनिष्का बानो नुवां के ही स्कूल में पढ़ती थी, जबकि अबीर का एडमिशन नहीं कराया था।

कनिष्का बानो नुवां के ही स्कूल में पढ़ती थी, जबकि अबीर का एडमिशन नहीं कराया था।

एक्सपर्ट ने बताया- घरेलू कलह और पति की बेरुखी बनी वजह
साइकेट्रिस्ट डॉक्टर मनीषा गौड़ ने बताया कि इस मामले में दोनों सगी बहनें घरेलू हिंसा और अपनों की प्रताड़ना से तंग आ चुकी थीं। दोनों अपने-अपने शौहर की बेवफाई और बेरुखी से भी परेशान थी। उन्हें पीहर पक्ष या ससुराल पक्ष से कोई सपोर्ट नहीं मिला था। वो अवसाद में आ चुकी थी। उन्हें ये भी लगा कि जब हमारे जिंदा रहते बच्चों का ये हाल है तो मरने के बाद इनका क्या होगा? यही सोचकर उन्होंने उन बच्चों की भी हत्या कर दी।

केस-2 एक ही परिवार के पांच जने घर में मुर्दा मिले
महीने भर पहले बीकानेर के मुक्तानगर थाना क्षेत्र में किराए के मकान में रहने वाले हनुमान सोनी के घर में मकान मालिक किराया लेने पहुंचा तो पता चला कि अंदर पांच शव पड़े हैं। हनुमान सोनी की पत्नी विमला (40), दो बेटे मोहित (18) , ऋषि (16) और एक बेटी गुड़िया (14) के शव अलग-अलग कमरे में बनाए फंदे पर हुक से लटक रहे थे तो वहीं खुद हनुमान सोनी का शव घर के आंगन में पड़ा था।

हनुमान सोनी पिछले कई सालों से इसी घर में रह रहा था।

हनुमान सोनी पिछले कई सालों से इसी घर में रह रहा था।

जांच में क्या सामने आया?
बीकानेर रेंज आईजी ओम प्रकाश ने बताया कि प्रारंभिक जांच में सामने आया कि हनुमान सोनी जेवरात का काम करते थे। मौके से महिला विमला का लिखा हुआ सुसाइड नोट भी मिला है, इसमें उन्होंने लिखा था कि पीहर वाले और ससुराल वाले दोनों पैसे मांगते थे। ससुराल वालों ने घर में भी कोई हिस्सा नहीं दिया। ऐसे में पूरे परिवार के पास मरने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है।

एक्सपर्ट ने बताया- फैमिली सपोर्ट नहीं मिलने से उठाया इतना बड़ा कदम
डॉक्टर मनीष गौड़ बताते हैं इस मामले की स्टडी से पता चलता है कि पति लोन के बोझ तले दबा हुआ था। उसने पीहर और ससुराल से भी काफी कर्जा ले लिया था। जिसे चुकाने के लिए भी उस पर प्रेशर था। सबसे पहले उसे लगा कि अब कोई रास्ता नहीं बचा है और उसे मरना ही पड़ेगा।

उसकी यही नेगेटिविटी धीरे-धीरे पूरे घर में आ गई। पत्नी को भी यही लगने लगा था कि अब मरना ही पड़ेगा। इस केस में भी सुसाइड से पहले बच्चों को मारा और इसके बाद खुद को मार लिया।

केस-3 : बेटे ने मां-बाप और बहन को कुल्हाड़ी से काट डाला

एक महीने पहले नागौर के पादूकलां कस्बे में रहने वाले ज्वेलर दिलीप सिंह (45), उसकी पत्नी राजेश कंवर (42) और बेटी प्रियंका (15) की घर में लहूलुहान लाश मिली। घर के इकलौते बेटे 20 साल के मोहित ने ही उन्हें कुल्हाड़ी से काटकर मारा था। कुल्हाड़ी के वार इतने जोरदार थे कि दिलीप सिंह, राजेश कंवर और प्रियंका के शरीर से खून की पिचकारियों के चलते घर में चारों और खून ही खून बिखर गया था। दीवारों पर भी 10-12 फीट तक खून के छींटे थे।

पड़ताल में ये आया सामने?
पादूकलां एसएचओ मानवेन्द्र सिंह ने बताया कि इन्वेस्टिगेशन में सामने आया कि मोहित अकेलेपन का शिकार था। वो खुद को भी मारना चाह रहा था। यही सोच कर उसने दो बार घर में बने पानी के टांके में कूदकर जान देने की भी कोशिश की लेकिन वो खुद को मारने में कामयाब नहीं हो पाया। उसे अपने परिवार को खत्म करने का भी पछतावा नहीं था। उसका तो ये मानना था कि ये सब जिंदा रह कर क्या करेंगे?

20 साल के मोहित के मोबाइल में सुसाइड करने के तरीकों को सर्च करने की हिस्ट्री भी मिली थी।

20 साल के मोहित के मोबाइल में सुसाइड करने के तरीकों को सर्च करने की हिस्ट्री भी मिली थी।

एक्सपर्ट ने बताया- मोबाइल एडिक्शन और अकेलेपन ने माइंड को किया फ्रीज
डॉक्टर मनीषा गौड़ कहती हैं कि इस तरह के मामलों में बच्चे का माइंड फ्रीज हो जाता है। हत्या करने वाले बच्चे का कोई दोस्त नहीं था, वो मोबाइल को ही दुनिया मान बैठा था। अकेलेपन ने भी उसे नेगेटिविटी से भर दिया था। उसकी सोचने-समझने की शक्ति खत्म हो गई थी। वो एक काल्पनिक दुनिया में चला गया। इसी कारण पहले उसने परिवार को खत्म कर दिया और इसके बाद खुद को मारने के भी प्रयास किए।

केस-4 : भतीजे ने ही चाचा का परिवार खत्म कर दिया
6 महीने पहले जोधपुर के रामनगर में एक युवक ने अपने ही परिवार की 6 महीने की मासूम बच्ची समेत 4 लोगों की गला काटकर हत्या कर दी और फिर उनके शव में आग लगा दी। घर के आंगन में एक साथ 4 जले शव देखकर गांव वालों के होश उड़ गए।

परिवार के मुखिया मृतक पूनाराम के भतीजे पप्पूराम (19) ने ही पूनाराम (55), उसकी पत्नी भंवरी (50), बहू धापू (24) और उसकी 6 महीने की बेटी को मौत के घाट उतारा था। बच्ची का शव तो पूरी तरह जल गया था।

जांच में ये आया सामने
ग्रामीण एसपी धर्मेंद्र सिंह यादव ने बताया कि हत्यारे पप्पूराम के भाई ने कुछ साल पहले सुसाइड किया था, उसे शक था कि उसके चाचा पूनाराम के बेटे ने उसे उकसाया है। इसी बात को लेकर वो अपने चाचा के परिवार से रंजिश रखने लगा था। परिवार में पुश्तैनी जमीन को लेकर पहले से विवाद चल ही रहा था। दोनों ही रंजिश के चलते पप्पू राम ने अपने चाचा समेत उसके पूरे परिवार को खत्म कर दिया।

हत्या के आरोपी पप्पूराम ने मोबाइल पर मर्डर करने के तरीके ढूंढे थे।

हत्या के आरोपी पप्पूराम ने मोबाइल पर मर्डर करने के तरीके ढूंढे थे।

एक्सपर्ट ने बताया- रिवेंज और शक ने करवा दिया परिवार का खात्मा
मनोचिकित्सक डॉ. अनिता गौतम ने बताया कि ये मामला मास मर्डर का है। इस तरह की हत्या इंसान उन परिस्थितियों में करता है, जब उसके दिमाग में गुस्सा ट्रिगर हो चुका हो। हत्या करने वाले पप्पूराम के दिमाग में रंजिश इस कदर बैठ गई थी कि उसने एक 6 महीने की बच्ची को भी नहीं बख्शा।

इन मामलों से भी सहमा राजस्थान
3 महीने पहले जयपुर स्थित बालाजी विहार, निवारू रोड निवासी नवीन सैन (41), उसकी पत्नी सीमा सैन (39) और बेटा मयंक (14) ने रात को पपीते के जूस में जहर मिलाकर पी लिया था। तीनों को तुरंत अस्पताल पहुंचाया गया, जहां पति-पत्नी को मृत घोषित कर दिया, जबकि मयंक ने इलाज के दौरान अगले दिन दोपहर में दम तोड़ दिया।

8 महीने पहले बाड़मेर के बानियावास गांव की रहने वाली उर्मिला (27) ने अपने चार बच्चों भावना (8), विक्रम (5), विमला (3) और मनीषा (2) की अनाज के ड्रम में बंद कर हत्या कर दी। हत्या के बाद उर्मिला ने भी फांसी लगाकर सुसाइड कर लिया। वह प्रेग्नेंट भी थी।

बाड़मेर के गंगासरा में महिला ने बेटे-बेटी को टंकी में फेंककर क्यों सुसाइड किया था।

बाड़मेर के गंगासरा में महिला ने बेटे-बेटी को टंकी में फेंककर क्यों सुसाइड किया था।

9 महीने पहले बाड़मेर के गंगासरा निवासी झीमो देवी (30) पत्नी चीमाराम ने वॉट्सऐप पर सुसाइड नोट का स्टेटस लगाया। इसी गांव में बड़ी बहन कमला उसके घर पर पहुंची तो घर में कैश और ज्वैलरी जल रहे थे। वहीं झीमो देवी अपने 8 साल के बेटे संतोष और ढाई साल की बेटी भावना के शव के साथ पानी के टांके में मृत पड़ी थी। झीमो की शादी 8 साल पहले हुई थी।

जोधपुर के रातानाडा क्षेत्र में दो साल पहले कपड़ा व्यवसायी 45 साल के दीनदयाल अरोड़ा ने अपनी पत्नी 42 वर्षीय सरोज, 14 साल की बेटी हिरल और 7 वर्षीय बेटी तन्वी की हत्या कर दी। फिर खुद फांसी के फंदे पर लटक गया। घटना का जब पता चला और पुलिस मौके पे पहुंची तो घर में पड़े शवों पर चींटियां रेंग रही थीं।

ऐसी घटनाएं क्यों बढ़ रही हैं?
जयपुर की मनोचिकित्सक डॉ. अनिता गौतम बताती हैं मौजूदा दौर में लोग तेजी से डिप्रेशन का शिकार हो रहे हैं। जब उनके साथ पारिवारिक कलह, कर्ज, अकेलापन के साथ ही अपनों के सपोर्ट की कमी होती है तो ऐसी घटनाएं बढ़ती हैं। आदमी को जब ये लगता है कि अब इस दुनिया में उसका कोई नहीं है और उसके सर्वाइव करने का मौत ही एकमात्र तरीका है तो वो इस तरह के कदम उठाता है।

घर में कोई डिप्रेशन में तो नहीं है, यह कैसे पहचानें?
ऐसी स्थिति एकदम से नहीं होती हैं। आदमी धीरे-धीरे अवसाद में आता है। वो इससे पहले नेगेटिविटी की बातें करता है। घर में और दोस्तों जिंदगी से बेरुखी वाली बातें कहता है। अकेला और गुमसुम रहने लग जाता है। हर किसी से या तो बहुत ज्यादा नफरत या बहुत ज्यादा प्यार जताने लग जाता है। अपने डेली रूटीन को भी बदल लेता है। यही लक्षण हैं जो ये बताने के लिए काफी है कि परिवार में किसकी मेन्टल हेल्थ गड़बड़ हो रही है और वो अवसाद में जा सकता है।

कैसे पता लगाएं कि घर का कोई मेंबर कोई घातक स्टेप ले सकता है?
इस मामले में भी अचानक कुछ नहीं होता है। वो पहले छोटी-छोटी बातों पर उलझने लगता है। फिर धीरे -धीरे गुमसुम और अकेला हो जाता है। हर बात पर मरने-मारने की बातें करने लग जाता है। हर बात पर चुप हो जाता है या बहुत ज्यादा रिएक्शन देता है, या फिर रिएक्शन देने बंद कर देता है। इन दोनों ही स्थितियों में वो घातक हो जाता है।

कैसे इन सामूहिक हत्याकांड और आत्महत्याओं को रोका जा सकता है?
इन सामूहिक हत्याकांड और आत्महत्याओं को रोकने के लिए हमें हमारे अपने की हर बदली एक्टिविटी पर पूरा ध्यान रखना चाहिए। उसके हर बदलाव को मेजर करना चाहिए। ये भी ध्यान रखना होगा कि कहीं वो नेगेटिविटी में तो नहीं है, कहीं अकेला और गुमसुम तो नहीं हो गया है।

उसके एक्शन और रिएक्शन अगर विचित्र हों तो तुरंत ही उसे साइकेट्रिस्ट (मनोचिकित्सक) के पास ले जाएं। इस हालत में उसे ट्रीटमेंट दिलाकर ही अवसाद और नेगेटिविटी से बाहर लाया जा सकता है। पॉजिटिविटी के माध्यम से ही उन्हें रोका जा सकता है।

सामूहिक आत्महत्या मामले में राजस्थान देश में दूसरे स्थान पर
एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार राजस्थान में साल 2022 में 2,186 केस खुदकुशी के सामने आए थे, इनमें 22 मामले सामूहिक आत्म हत्या के दर्ज हुए थे। इसमें से 67 लोगों ने अपनी जान गंवा दी थी। इस मामले में पहले नंबर पर रहे तमिलनाडु राज्य है, जहां सामूहिक आत्महत्या के 33 केस एक साल में दर्ज हुए थे।

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