शेखावत बोले- गहलोत ने ERCP पर सिर्फ राजनीति की:सीएम थे, तब दिल्ली जाकर चर्चा नहीं की, सिर्फ बयान दिए, कांग्रेस ने झूठ फैलाया
जयपुर
‘मुख्यमंत्री रहते हुए न तो कभी अशोक गहलोत ने पीएम नरेन्द्र मोदी से या मुझसे मुलाकात कर ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट (ERCP) पर बात की, न कभी उनके किसी मंत्री ने दिल्ली आकर मुलाकात की। गहलोत ने ERCP को सिर्फ राजनीतिक गोटी की तरह इस्तेमाल किया।’
यह कहना है केन्द्रीय जलशक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत का।
शेखावत बोले- जब मैंने अपने मंत्रालय के तहत 2023 में हुई एक बैठक में इस संबंध में बात की, तब तत्कालीन अतिरिक्त मुख्य सचिव सुबोध अग्रवाल (जल संसाधन) ने मुझे बताया कि हमें ERCP पर काम करने के लिए सीएम के स्तर पर पॉलिटिकल अप्रूवल ही नहीं मिली हुई है।
ऐसे में जब राजस्थान और केन्द्र दोनों जगहों पर आज जब डबल इंजन की सरकार बनी है, तो ERCP को लेकर मध्य प्रदेश, राजस्थान व केन्द्र सरकार के स्तर पर एमओयू (मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग) होना संभव हो सका है।
शेखावत ने ERCP को लेकर भास्कर से बात की।
पढ़िए पूरा इंटरव्यू…
रविवार को केन्द्रीय जलशक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत की उपस्थिति में दिल्ली में राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन लाल यादव के बीच ईआरसीपी को लेकर एमओयू हुआ है।
भास्कर: ईआरसीपी पर आपके मंत्रालय के तहत दोनों राज्यों के सीएम ने एमओयू कर लिया है। अब आगे क्या उम्मीद है?
शेखावत: राजस्थान में अर्थव्यवस्था, उद्योग, कृषि और रोजगार के लिए यह प्रोजेक्ट वरदान साबित होगा।
भास्कर: लंबे समय से ईआरसीपी चर्चाओं में रहा। अब तक सहमति क्यों नहीं बन सकी थी? क्या राजनीतिक इच्छाशक्ति नहीं होने की बाधा थी?
शेखावत: नदियों को जोड़ने की योजना मूलत: पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी की योजना थी, लेकिन राजस्थान और एमपी दोनों राज्यों के बीच आम सहमति नहीं बनने से यह काम पूरा नहीं हो सका।
बाद में राजस्थान की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे (2013-2018) ने इसका खाका तैयार किया, लेकिन सरकार बदल गई और सीएम अशोक गहलोत बन गए।
उनकी हठधर्मिता के चलते यह योजना सिरे नहीं चढ़ पाई। गहलोत इसे राजनीतिक गोटी की तरह इस्तेमाल कर रहे थे। बार-बार इसके बारे में राजनीतिक टिप्पणियां करते थे।
मैंने जब ईआरसीपी के विषय में पीएम नरेन्द्र मोदी से बातचीत की तो उन्होंने रास्ता सुझाया। बाद में हमने देश भर के जल विशेषज्ञों (हाइड्रो एक्सपट्र्स) से बातचीत की।
दोनों राज्यों के इंजीनियर्स को साथ बैठाकर बातचीत की और इस तरह से रास्ता निकलता गया। गहलोत और कांग्रेस सरकार ने तो लोगों के प्यासे कंठों पर राजनीति की थी, जिसकी सजा भी जनता ने उन्हें विधानसभा चुनावों में दे दी।
शेखावत का कहना है कि पूर्व सीएम अशोक गहलोत ईआरसीपी को राजनीतिक गोटी की तरह इस्तेमाल कर रहे थे।
भास्कर: विधानसभा चुनावों से ठीक पहले सितंबर-2023 में आपने एक सभा में कहा था कि राजस्थान में ईआरसीपी मंजूर हो जाएगी, जो हो भी गया। अब जनता क्या उम्मीद कर सकती है?
शेखावत: पीएम मोदी ने भी चुनावों से पहले अपनी सभाओं में इस पर गारंटी दी थी। सवाईमाधोपुर की एक सभा में गृहमंत्री अमित शाह ने भी बोला था। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे. पी. नड्डा ने ईआरसीपी पर बात की थी।
ऐसे ही मैंने भी यह वादा किया था कि भाजपा की सरकार राजस्थान में बनने पर चुनावों के बाद पहली कैबिनेट बैठक में इसे मंजूर करवाएंगे। यही किया है हमने।
पीएम मोदी हमेशा कहते हैं कि केन्द्र सरकार को टीम इंडिया की तरह काम करना चाहिए। वही हम कर रहे हैं। संघीय सरकार राज्यों के साथ सहयोग से ही चलती है।
भास्कर: कांग्रेस और नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली का कहना है कि भाजपा ने इसे राजनीतिक लाभ लेने का एजेंडा बना दिया। केन्द्र की भाजपा सरकार ने इसे बेवजह लटकाए रखा। क्या कहेंगे?
शेखावत: जूली से पूछा जाना चाहिए कि उन्होंने कब और कितनी बार इस प्रोजेक्ट पर चिंता जताई थी। यहां तक कि जब गहलोत साहब सीएम थे, तब उन्होंने एक बार भी कभी दिल्ली आकर इस प्रोजेक्ट पर चर्चा नहीं की।
केवल बयानबाजी करते रहे। कांग्रेस के लोगों ने ईआरसीपी के मामले में केवल झूठ बोला है और कुछ नहीं।
नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली का आरोप है कि राजनीतिक लाभ लेने के लिए केंद्र सरकार ने जान-बूझकर ईआरसीपी को लटकाए रखा।
भास्कर: पूर्व सीएम गहलोत अक्सर इसे राष्ट्रीय परियोजना (नेशनल प्रोजेक्ट) घोषित करने की मांग करते रहे हैं?
शेखावत: उन्होंने इस प्रोजेक्ट के बारे में केवल भ्रामक बातें ही की थीं। नेशनल प्रोजेक्ट घोषित करना क्या होता है?
नेशनल प्रोजेक्ट घोषित होने पर जो प्रोजेक्ट होता है, उसकी कुल लागत में से 50-60 प्रतिशत राशि संबंधित राज्यों को देनी होती है और शेष प्रतिशत राशि केन्द्र सरकार को देनी होती है।
हमने इसे केन्द्र सरकार की नदी जोड़ो परियोजना में शामिल कर लिया है। अब यह प्रोजेक्ट पार्वती-कालीसिंध-चंबल पूर्वी राजस्थान नहर लिंक परियोजना (पीकेसी-ईआरसीपी) हो गया है।
भास्कर: पीकेसी-ईआरसीपी हो जाने से राजस्थान को क्या लाभ होगा?
शेखावत: अब इस प्रोजेक्ट की सम्पूर्ण राशि केन्द्र सरकार ही वहन करेगी। इस प्रोजेक्ट में राज्य सरकारों पर कोई आर्थिक भार नहीं पड़ने देंगे। इस प्रोजेक्ट में कहीं कोई वित्तीय समस्या नहीं आने देंगे। पैसे की कोई कमी इस प्रोजेक्ट के लिए नहीं रहने वाली।
भास्कर: प्रोजेक्ट कितने करोड़ रुपए का होगा और कब तक पूरा होगा?
शेखावत: यह प्रोजेक्ट लगभग 40-45 हजार करोड़ रुपए का होगा। इसे बनने में करीब 5 वर्ष का समय लग सकता है। इसे पूरा होने में कोई बाधा नहीं आएगी। सब कुछ क्लियर है।
अभी केन्द्र सरकार के स्तर पर वित्तीय मंजूरी के लिए एक एमओयू और होना है। वो भी जल्द ही हो जाएगा। उसके बाद काम शुरू होगा।
उम्मीद है कि काम इसी वर्ष में शुरू हो जाएगा। कुछ काम (कम्पोनेंट) राजस्थान सरकार को करने हैं और कुछ काम मध्य प्रदेश सरकार को करने हैं।
पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ERCP) में पानी के बंटवारे को लेकर राजस्थान और मध्य प्रदेश के बीच समझौता हो गया।
भास्कर: एक सामान्य मजदूर से लेकर इंजीनियर तक कितने लोगों को प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिल सकेगा ?
शेखावत: साफ बात यह है कि ऐसा कोई आंकलन नहीं किया गया है, लेकिन इतना तय है कि हजारों लोगों को रोजगार मिलेगा। इसके तहत पानी, बिजली, सड़क, बांध, सीमेंट, डामर, कार्यालय निर्माण सहित हजारों तरह के काम-काज होंगे। निर्माण कार्य चलेंगे।
भास्कर: जिस तरह से 50-60 साल पहले पश्चिमी राजस्थान में इंदिरा गांधी नहर आने से कायाकल्प हो गया था, क्या वैसा ही कुछ अब पूर्वी राजस्थान में हो सकेगा?
शेखावत: निस्संदेह। ऐसा ही होगा। पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों सहित मध्य प्रदेश के बड़े भू-भाग को भी फायदा मिलेगा।
भास्कर: कितना पानी इस प्रोजेक्ट से राजस्थान को मिल सकेगा और कितनी भूमि पर कृषि के लिए सिंचाई हो सकेगी ?
शेखावत: 7 लाख एकड़ जमीन पर कृषि कार्यों के लिए सिंचाई संभव हो सकेगी। इंदिरा गांधी नहर योजना से जितना पानी राजस्थान को मिलता है, उसका करीब दो तिहाई पानी ईआरसीपी से राजस्थान को मिलेगा। गुजरात से नर्मदा नदी का जितना पानी (0.5 एमएएफ-मिलियन एकड़ फीट) हमें मिलता है, उससे लगभग 4 गुणा पानी (2.0 एमएएफ) हमें ईआरसीपी से मिल सकेगा।
3 करोड़ लोगों को फायदा
- 13 जिलों सवाईमाधोपुर, टोंक, दौसा, करौली, भरतपुर, धौलपुर, अलवर, कोटा, बूंदी, बारां, झालावाड़, जयपुर और अजमेर को पेयजल और सिंचाई का लाभ मिल सकेगा।
- 3 करोड़ लाेग रहते हैं इन 13 जिलाें में
- 25 लाख किसान और पशुपालक इन जिलों में
ईआरसीपी के राजनीतिक मायने, जल्द लगेंगे पोस्टर
तीन महीने बाद होने वाले लोकसभा चुनावों में ईआरसीपी के जरिए भाजपा ने जयपुर ग्रामीण, दौसा, करौली-धौलपुर, टोंक-सवाईमाधोपुर, अजमेर, बूंदी-कोटा, अलवर, भरतपुर सीटों पर माहौल बनाने की कोशिश की है।
भाजपा ने इसके लिए पोस्टर तैयार करवाने पर काम शुरू कर दिया है। ‘ईआरसीपी प्रोजेक्ट के साथ पीएम मोदी की एक और गारंटी हुई पूरी’ के स्लोगन के साथ पोस्टर छपवाए जाएंगे, जिन्हें राजधानी जयपुर सहित पूरे प्रदेश में लगाया जाएगा।
भाजपा लोगों को यह बताना चाहेगी कि कैसे केन्द्र और राजस्थान में उसकी सरकार बनने का सीधा फायदा प्रदेश को मिल रहा है।
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