शैक्षिक आगाज़ की पांच दिवसीय कार्यशाला का समापन
शैक्षिक आगाज़ की पांच दिवसीय कला समेकित शिक्षा पर आधारित कलाकृति कार्यशाला का समापन समारोह बड़े ही उल्लास के साथ हुआ। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में अटल फाउंडेशन की संस्थापक एवं स्वर्गीय श्री अटल बिहारी बाजपेई जी की भतीजी श्रीमती माला बाजपेई तिवारी जी रहीं। शिक्षकों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि शिक्षक को सदैव अपने ज्ञान को निरंतर उन्नत करते रहना चाहिए ताकि उस ज्ञान से उनसे जुड़े सभी विद्यार्थी लाभान्वित हो सकें। शैक्षिक आगाज के कलाकृति कार्यक्रम की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि इस मंच से भारत के सभी राज्यों के सरकारी शिक्षक जुड़कर जिस तरह से सीखने सिखाने का कार्य कर एक दूसरे के कौशलों को विकसित कर रहें हैं तो वह दिन दूर नहीं जब भारत के शिक्षक फिर से खुद को गुरु के रूप में स्थापित करेंगे। कार्यशाला के आज के मास्टर ट्रेनर श्रीमती रुचिरा हजरा जी एवं श्री चांद कुमार जी नई दिल्ली से रहे जिन्होंने शास्त्रीय दक्षिण भारतीय चित्रकला शैली तंजोर एवं राहत कला के बारे में सभी को बारीकी से समझाया।तंजावुर तमिलनाडु का एक महत्वपूर्ण शहर है जो कि इस शैली का उद्गम स्थान है। इस कला का प्रेरणास्रोत 1600 ई की नायकों की कलायें हैं जिन में मुख्यतः हिन्दू मन्दिरों की विषयवस्तु होती है जिसके ऊपर स्वर्ण की परत चढ़ी होती है। किन्तु अपने वर्तमान रूप में तंजावुर चित्रकला मराठा राजदरबार में उत्पन्न हुई। धार्मिकता से ओतप्रोत और पौराणिक वृत्तांत ही इसके मुख्य विषय होते हैं। कला और शिल्प दोनों का ही एक अच्छा मिश्रित रूप तंजौर की चित्रकारी में दिखाई देता है। चित्रकारी में हिन्दू देवी-देवताओं को ही मुख्य विषय बनाया जाता है। वहीं राहत शब्द एक मूर्तिकला पद्धति को संदर्भित करता है जिसमें मूर्तिकला के टुकड़े एक ही सामग्री की ठोस पृष्ठभूमि से बंधे होते है। राहत में एक मूर्तिकला बनाने के लिए यह आभास देना होता है कि गढ़ी गई सामग्री को पृष्ठभूमि के तल से ऊपर उठाया गया है। राहत मूर्तिकला पत्थर या राहत नक्काशी लकड़ी की सपाट सतह पर उकेरी जाती है। यह कला भवनों की दीवारों को सजाने में मुख्य रूप से इस्तेमाल होती है। कार्यशाला की समाप्ति पर संयोजक श्रीमती स्मृति चौधरी एवं श्री पूरन लाल चौधरी ने लिटिल हेल्प ट्रस्ट की संस्थापक सुश्री समृद्धि चौधरी एवं राष्ट्रीय संयोजक सुश्री सृष्टि चौधरी का हार्दिक आभार व्यक्त किया जिनके दिशा निर्देशन से यह कार्यशाला संपन्न हो सकी।
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