बो ही है सूरज
रोशनी रूप बदले है नित
बे ही नदियां , बे ही झरने
पाणी रे बगणों रा ढब -ठौर l
बदले है नित
बो ही है, म्हारी जिंदगी
रोज़ाना
पण रोको न थारी चाल
कोसिस करो
नित, नुवी राह खोजै ताणी
अण नुवी मंज़िल ताईं
रजनी छाबड़ा
बहुभाषीय कवयित्री अर अनुवादिका
Add Comment