संयुक्त राष्ट्र में रूस के खिलाफ चीन ने दिया वोट, क्या टूट रही दोस्ती? जानिए क्या है सारा माजरा
China Russia Relations: चीन और रूस के बीच मार्च में रिश्ते उस समय नए मुकाम पर पहुंचे थे जब चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग मॉस्को पहुंचे थे। यहां पर उन्होंने अपने रूसी समकक्ष व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की थी। पुतिन को प्यारा दोस्त कहने वाले जिनपिंग ने लगता है अब अपने सुर बदल लिए हैं।
हाइलाइट्स
- UN में यूक्रेन पर रूस के हमले को लेकर हुई एक वोटिंग में चीन ने किया वोट
- चीन ने प्रस्ताव के पक्ष में वोट किया है और वह रूस के खिलाफ चला गया
- प्रस्ताव में यूक्रेन में रूस के आक्रमण का जिक्र था
बीजिंग: चीन और रूस (China Russia) के बीच कुछ ठीक नहीं है। जो जानकारी आ रही है उसके मुताबिक तो कुछ ऐसा ही लगता है। संयुक्त राष्ट्र (UN) में यूक्रेन पर रूस के हमले को लेकर हुई एक वोटिंग में चीन ने यूएन के प्रस्ताव के पक्ष में वोट किया है और वह रूस के खिलाफ चला गया है। चाइना टाइम्स की तरफ से इसकी पुष्टि की गई है। जो प्रस्ताव यूएन की तरफ से आया था उसमें यूक्रेन में रूस के आक्रमण का जिक्र था और स्पेशल मिलिट्री एक्शन की बात कही गई थी। इस नई जानकारी के बाद हर कोई यह कयास लगा रहा है कि आखिर माजरा क्या है। कुछ विशेषज्ञ यह मान रहे हैं कि शायद चीन किसी एक बात को लेकर रूस पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है।
26 अप्रैल को आया प्रस्ताव
यूएन में जो वोटिंग हुई थी उसमें यूक्रेन के खिलाफ रूस की आक्रामकता का जिक्र था। 26 अप्रैल को इससे पहले यूएन की तरफ से एक प्रस्ताव आया था। इस प्रस्ताव में यूरोपियन कमीशन के साथ सहयोग को मजबूत करने की बात थी। प्रस्ताव में कहा गया था, ‘यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद यूरोप को असाधारण कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है।’ इस प्रस्ताव का मुख्य विषय यूरोपियन कमीशन के लिए होने वाले योगदान का स्वागत करना और उसकी प्रशंसा करना था। इस प्रस्ताव का एक पैराग्राफ में यूक्रेन में रूस की आक्रामकता के बारे में बताया गया था। इसमें लिखा था कि जॉर्जिया में भी रूस की तरफ से ऐसी ही आक्रामकता दिखाई गई थी। इसकी वजह से यूरोपियन काउंसिल में उसकी सदस्यता को खत्म कर दिया गया था।
क्या था यूएन का ड्राफ्ट
यूएन के मुताबिक किसी भी देश की क्षेत्रीय अखंडता और राजनीतिक स्वतंत्रता को बहाल करने के लिए शांति सुरक्षा, मानवाधिकारों के अलावा अंतरराष्ट्रीय कानूनों के उल्लंघन करने वालों को सजा देना जरूरी है।’ यूएन की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक मीटिंग का जो वीडियो आया है उसमें वोटिंग हुई थी। यह वोटिंग इस बात से जुड़ी थी कि इस बयान को कायम रखा जाए या नहीं। रूस की तरफ से इसका विरोध किया गया था। 26 अप्रैल को हुई वोटिंग में 81 ने इसके पक्ष में वोट डाला, 10 इसके खिलाफ थे और 48 इससे गायब रहे। गायब रहने वालों में चीन भी शामिल था
बदल गया सारा खेल
इसके बाद जब आम महासभा में इस पूरे बिल पर वोटिंग हुई तो सारा खेल बदल गया। इस बार 122 देशों ने इसके पक्ष में वोट किया, पांच देशों ने इसके खिलाफ वोट डाला और 18 देश गायब रहे। इस बार रूस और बेलारूस ने इसके खिलाफ वोटिंग की थी। जबकि चीन ने इसके पक्ष में वोट डाला था। 24 फरवरी 2022 को रूस ने यूक्रेन पर हमला किया था। तब से ही चीन ने रूस की निंदा नहीं की है। न ही उसकी तरफ से रूस के लिए ‘आक्रामकता’ जैसे शब्द का प्रयोग किया है।
25 फरवरी को चीन ने कहा था कि यूक्रेन संकट का राजनीतिक हल निकलना चाहिए। चाइना टाइम्स के मुताबिक यूएन में चीन की तरफ से वोटिंग उसी समय हुई है जब चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की से फोन पर बात की थी।
चीन की दुर्लभ प्रतिक्रिया
चीन में फुदान यूनिवर्सिटी में सेंटर फॉर अमेरिकन स्टडीज के एक प्रोफेसर झांग जियाडोंग ने इंटरनेट पर एक आर्टिकल पोस्ट किया, जिसमें कहा गया है कि इस बार चीन का वोट ‘बहुत पेचीदा’ है। यह पेचीदा इसलिए है क्योंकि ड्राफ्ट साफ तौर पर यूक्रेन के खिलाफ रूस के विशेष सैन्य अभियानों को ‘आक्रामकता’ के तौर पर परिभाषित करता है। ऐसे में रूस की निंदा करने वाले यूएन के प्रस्ताव के पक्ष में मतदान के लिए चीन की तरफ से यह एक दुर्लभ प्रतिक्रिया मानी जानी चाहिए। उनका कहना था, ‘ अगर आप इस प्रस्ताव का विरोध करते हैं, तो आप यूरोप के साथ दुविधा में पड़ जाएंगे। शायद यही वजह है कि चीन, भारत और ब्राजील ने इसके पक्ष में वोट डाला।’
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