सिक्किम में 7000 लोग फंसे, एयरफोर्स हेलिकॉप्टर से रेस्क्यू:अब तक 7 जवानों समेत 25 की मौत, 143 अभी भी लापता; सर्च ऑपरेशन जारी
गंगटोक
- 1:17बाढ़ से पाक्योंग जिले में बने आर्मी कैंप में मिलिट्री की 41 गाड़ियां डूब गई थीं।
- सिक्किम के रंगपो में मकानों के अंदर मलबा भर गया है। कई गाड़ियां भी डूब गई हैं।
- पश्चिम बंगाल के कलिम्पोंग में तीस्ता नदी के पानी में कई घर डूब गए।
- सिक्किम में बाढ़ के साथ आई मिट्टी में कई क्रेन पूरी तरह से दब गईं।
- सिक्किम के सिंगतम में बाढ़ के बाद मलबा हटाया जा रहा है।
- बादल फटने के बाद पश्चिम बंगाल के कलिम्पोंग में भी बाढ़ आ गई।
- नदी पर बने कुछ पुल-पुलिया और सड़कों को भी नुकसान पहुंचा है।
- भारतीय वायुसेना द्वारा राज्य में आपदा अभियान चलाया जा रहा है।
सिक्किम में 3 अक्टूबर को बादल फटने के बाद तीस्ता नदी में बाढ़ आ गई थी। इस आपदा में जान गंवाने वालों की संख्या शुक्रवार को बढ़कर 25 हो गई। रेस्क्यू ऑपरेशन लगातार जारी है।
मुख्यमंत्री पीएस तमांग ने बताया कि बुरदांग इलाके से लापता हुए सेना के 23 जवानों में से 7 के शव नदी के निचले इलाकों से बरामद कर लिए गए हैं। लापता जवानों में से एक को बचा लिया गया था। 15 जवान समेत कुल 143 लोग अभी भी लापता हैं। इन्हें ढूंढने के लिए NDRF, SDRF और वायुसेना के हेलिकॉप्टर लगाए गए हैं।
सिक्किम के मुख्य सचिव विजय भूषण ने बताया, बाढ़ के चलते अलग-अलग इलाकों में 7 हजार लोग फंसे हुए हैं। जिनमें से 3 हजार लोग लाचेन और लाचुंग में फंसे हैं। 700-800 ड्राइवर और 3 हजार से ज्यादा बाइकर्स भी वहां अटके हुए हैं। सभी को निकालने की कोशिश जारी है।
बाढ़ के हालात देखते हुए शिक्षा विभाग ने 15 अक्टूबर तक सभी स्कूल बंद करने के निर्देश दिए हैं। विभाग ने पहले 8 अक्टूबर तक ही बंद करने की बात कही थी।
10 सेकंड में ही 60 मीटर ऊंचा बांध ध्वस्त
वैज्ञानिकों को आशंका है कि नेपाल में आए भूकंप से सिक्किम की ल्होनक झील टूटी। उसका दायरा एक तिहाई रह गया। जब बादल फटा तो झील इतना पानी रोक नहीं पाई। इससे तीस्ता नदी में बाढ़ आ गई। नदी का जलस्तर 15 से 20 फीट तक बढ़ गया। नदी से लगे इलाके में ही आर्मी कैंप था, जो बाढ़ में बह गया और यहां खड़ी 41 गाड़ियां डूब गईं।
बमुश्किल 10 सेकंड में, 13,000 करोड़ रुपए के तीस्ता-3 हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट का 60 मीटर ऊंचा बांध लहोनक झील से आई बाढ़ से पूरी तरह बह गया। शोधकर्ताओं की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने दो साल पहले चेतावनी दी थी कि सिक्किम में दक्षिण झील भविष्य में फट सकती है और निचले क्षेत्र को तबाह कर सकती है।
पश्चिम बंगाल के कलिम्पोंग में तीस्ता नदी के पानी में कई घर डूब गए।
नदी के साथ बहकर आया मोर्टार फटा, 2 की मौत
पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले में कथित रूप से सेना का एक मोर्टार बाढ़ के पानी के साथ बहकर आ गया। एक व्यक्ति इसे घर ले गया और उसका लोहा बेचने के लिए तोड़ने की कोशिश की। तभी शेल फट गया। हादसे में 2 लोगों की मौत हो गई और 4 घायल हो गए।
इस बीच, जलपाईगुड़ी पुलिस ने एडवाइजरी जारी कर लोगों से नदी में बहने वाले किसी भी गोला-बारूद या विस्फोटक से दूर रहने के लिए कहा है। साथ ही पुलिस को इसकी सूचना देने की अपील की है।
सिक्किम सरकार ने भी इसी तरह की चेतावनी जारी की है। उसमें कहा है कि तीस्ता नदी के बेसिन में जाएं तो सावधान रहें, क्योंकि गंदे पानी के नीचे विस्फोटक और गोला-बारूद हो सकता है।
सिक्किम में JCB की मदद से राहत-बचाव का काम जारी है। मलबे को धीरे-धीरे हटाया जा रहा है।
सिक्किम के 4 जिलों में हुआ सबसे ज्यादा नुकसान
सिक्किम के 4 जिलों- मंगन, गंगटोक, पाक्योंग और नामची में बाढ़ से सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। यहां 22 हजार से ज्यादा लोग प्रभावित हुए हैं, वहीं 2 हजार से ज्यादा लोगों का रेस्क्यू किया गया है। यहां 26 रिलीफ कैंप लगाए गए हैं। इन चार जिलों में पानी की पाइपलाइन, सीवेज लाइन और 250 से ज्यादा घर टूट गए हैं। 11 ब्रिज तबाह हो गए हैं।
सिक्किम से लगे पश्चिम बंगाल के तीन जिले- जलपाईगुड़ी, कलिमपोन्ग और कूचबिहार में भी बाढ़ जैसे हालात हैं।
सिक्किम के रंगपो में मकानों के अंदर मलबा भर गया है। कई गाड़ियां पानी में डूब गई हैं।
NH-10 बह गया, सैकड़ों गांवों का संपर्क कटा
सिक्किम में सैकड़ों गांव मुख्य मार्गों से कट चुके हैं। दिखचू, सिंगतम और रांगपो शहर पानी में डूब गए हैं। बाढ़ में सिक्किम को देश से जोड़ने वाला नेशनल हाईवे NH-10 भी बह गया।
राज्य सरकार ने इस घटना को आपदा घोषित किया है। उधर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सिक्किम के हालात जानने के लिए मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग से बातचीत की। उन्हें मदद देने का आश्वासन दिया।
बाढ़ के साथ आई मिट्टी में कई क्रेन पूरी तरह से दब गईं।
2 साल पुरानी स्टडी में जताई थी बाढ़ आने की आशंका
2021 में इंटरनेशनल रिसर्चर्स की एक स्टडी सामने आई थी, जिसमें कहा गया था कि सिक्किम की साउथ ल्होनक झील कभी भी फूट सकती है। इसका प्रभाव निचले इलाकों में पड़ने की आशंका जताई गई थी।
यह स्टडी जियोमॉर्फोलॉजी नाम के जर्नल में प्रकाशित हुई थी। इसमें कहा गया था कि बीते एक दशक में ल्होनक झील में तेजी से ग्लेशियर पिघले हैं। इसकी वजह से झील में बाढ़ आने की आशंका बढ़ी है।
सिक्किम के सिंगतम में बाढ़ के बाद की तस्वीर। गाड़ियां मलबे में दब गई हैं और लोग घर छोडकर सुरक्षित जगहों पर जा रहे हैं।
बादल फटने के बाद पश्चिम बंगाल के कलिम्पोंग में भी बाढ़ आ गई।
नदी पर बने कुछ पुल-पुलिया और सड़कों को भी नुकसान पहुंचा है।
इस साल बादल फटने की 4 बड़ी घटनाएं…
24 अगस्त: हिमाचल प्रदेश के मंडी में बादल फटा था। जिसमें 51 लोग फंस गए थे। NDRF की टीम ने सभी को सुरक्षित बचा लिया था। बद्दी जिले में बारिश के चलते बालद नदी में उफान आने से पुल दो हिस्सों में टूट गया था। वहीं पंडोह में मलबे की चपेट में आने से एक व्यक्ति की मौत हो गई थी जबकि एक स्कूल की बिल्डिंग नाले में बह गई थी।
9 अगस्त: हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के पांवटा साहिब में बादल फटा, जिसके कारण सिरमौरी ताल गांव में बाढ़ से एक मकान ढह गया था। इसकी चपेट में एक ही परिवार के 5 लोग आए थे। इनमें दो बच्चे भी शामिल थे। दो लोगों के शव बरामद कर लिए गए थे।
22 जुलाई: शिमला में बादल फटने से आई बाढ़ में कई गाड़ियां बह गई थीं। वहीं काफी घर क्षतिग्रस्त हुए थे। इसमें किसी के हताहत होने की सूचना नहीं थी। हालांकि बारिश के चलते चंबा-पठानकोट NH पर लैंडस्लाइड होने से हाईवे बंद हो गया था।
25 जुलाई: हिमाचल के शिमला जिले के रामपुर में बादल फटने से भारी तबाही हुई। रामपुर ब्लॉक की सरतारा पंचायत के कंदार गांव में बादल फटने से प्राथमिक पाठशाला, युवक मंडल सहित लोगों के 6 मकान ढह गए। डेढ़ दर्जन से ज्यादा पालतू मवेशी बाढ़ में बह गए। कई घरों में पानी घुस गया और आधा दर्जन गाड़ियों को भी इससे नुकसान हुआ था।
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