अहमदाबाद: कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) मोदी सरनेम मानहानि केस में मिली सजा को सूरत में ही चुनौती देंगे। बुधवार से पहले सूरत की सेशन कोर्ट में राहुल गांधी की तरफ से याचिका दाखिल की जा सकती है। सूरत की सीजेएम कोर्ट के 168 पेज के फैसले का अध्ययन करने के बाद याचिका लगभग तैयार कर ली गई है। सूत्रों के अनुसार कांग्रेस पार्टी की लीगल सेल और राहुल गांधी के वकीलों की तरफ से जल्द से जल्द फैसले को चुनौती दी जाएगी। 23 मार्च को सूरत के जिला एंव सत्र न्यायालय की एक सीजेएम कोर्ट के फैसले के बाद राहुल गांधी ( Rahul Gandhi) की लोकसभा की सदस्यता जा चुकी है। इस मुद्दे पर पार्टी देशभर में संकल्प सत्याग्रह चला रही है, पार्टी का आरोप हैं कि राहुल गांधी ने लोकसभा में जिस तरह से अडानी के मुद्दे को उठाया। उसके बाद उन्हें निशाना बनाया है। तो वहीं राहुल गांधी (Rahul Gandhi) पूरे मामले पर नहीं झुकने की बात कह रहे हैं।
अलर्ट मोड़ पर हैं नेता
गुजरात प्रदेश कांग्रेस समिति (GPCC) के शीर्ष के नेता इस मुद्दे पर हाईकमान के संपर्क में हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार सूरत कोर्ट का पूरा फैसला गुजराती भाषा में था। ऐसे में इस ट्रांसलेट करने और इसके अध्ययन में कुछ समय लगा, लेकिन अब फैसले का अध्ययन पूरा हो चुका है। याचिका को तैयार किया जा रहा है। जल्द ही केंद्रीय लीगल टीम गुजरात पहुंचकर सूरत की सेशन कोर्ट में निचली अदालत के फैसले को चुनौती देगी। याचिका को कम से कम समय में दाखिल करने की तैयारी की जा रही है। पार्टी को डर है कि कहां लक्ष्यद्वीप के सांसद के मामले की तरह चुनाव आयोग वायनाड में चुनावों की घोषणा न कर दे। ऐसे में प्रदेश कांग्रेस समिति के कुछ नेता निरंतर केंद्रीय नेतृत्व के संपर्क में है। कांग्रेस नेता और सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने 24 मार्च को कहा था कि हम कानूनी विकल्प आजमाएंगे। उन्होंने कहा था कि आमतौर पर ऐसे मामलों में सेशन कोर्ट में अपील की जाती है।
अपील कोर्ट में क्या होगा?
कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi)की तरफ से सेशन कोर्ट में अर्जी लगाए जाने पर उसी दिन सुनवाई होने की उम्मीद है। कानून के जानकारों का कहना है अपील कोर्ट दो चीजें कर सकती है। सेशन कोर्ट निचली अदालत के फैसले पर रोक लगा सकती है। अगर ऐसा नहीं होता है सजा है उसे भी कम कर सकती है। इन दोनों स्थिति में राहुल गांधी को राहत मिल जाएगी। अगर अपील कोर्ट भी निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखती है तो फिर राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को राहत के लिए गुजरात हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ेगा।
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