REPORT BY SAHIL PATHAN
हाय बेब! पाकिस्तान कैसे बनाता है हनी ट्रैप वाली हसीनाएं? हेयरकट से करती हैं पहचान , सेक्सटिंग से फंसाती हैं ये लड़कियां
DRDO Honey Trap: भारत में एक बार फिर हनी ट्रैप के मामले ने सुर्खियां बटोरी हैं। डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (डीआरडीओ) के वैज्ञानिक प्रदीप कुरुलकर इस बार इस हनी ट्रैप का शिकार हुए हैं। पाकिस्तानी हसीना के चक्कर में फंसकर प्रदीप ने देश की हर खुफिया जानकारी उस महिला को दे दी जिसका वास्ता दुश्मन देश से था।
हाइलाइट्स
- हनी ट्रैप का सबसे पहला जिक्र सन् 1974 में ब्रिटिश लेखक जॉन ले कैरे ने किया था
- यह पाकिस्तान का वह हथियार है जो पिछले कई सालों से उसके काम आ रहा है
- कराची, हैदराबाद और रावलपिंडी में आईएसआई लड़कियों को इसकी ट्रेनिंग देती है
रावलपिंडी: भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन यानी डीआरडीओ के वैज्ञानिक प्रदीप कुरुलकर ने एक पाकिस्तानी हसीना के जाल में फंसकर भारत का हर राज दुश्मन देश को सौंप दिया। प्रदीप हनी ट्रैप का शिकार हुए और उन्होंने भारतीय रक्षा क्षेत्र से जुड़ी हर संवेदनशील जानकारी पाकिस्तान के हवाले कर दी। प्रदीप ने ब्रह्मोस, अग्नि 6 मिसाइल लॉन्चर्स, जमीन से हवा तक निशाने लगानी वाली मिसाइलों से लेकर रूस्तम ड्रोन, राफेल सिस्टम, अस्त्र मिसाइल जैसी जानकारियां लीक कर दीं। प्रदीप उस जाल में फंसे थे जिसे हनी ट्रैप कहा जाता है। यह पाकिस्तान का वह हथियार है जो पिछले कई सालों से उसके काम आ रहा है। आज जानिए इसी हनी ट्रैप के बारे में सबकुछ।
रावलपिंडी में है ट्रेनिंग सेंटर!
रावलपिंडी, पाकिस्तान की सेना का हेडक्वार्ट्स जहां पर स्थित फातिमा जिन्ना वीमेन यूनिवर्सिटी । यही वह जगह है जहां पर माना जाता है कि हनी ट्रैप के लिए चुनी गई महिलाओं को ट्रेनिंग दी जाती है। इस बात की जानकारी साल 2019 में पहली बार तब लगी जब यूनिवर्सिटी की तरफ से सोशल मीडिया स्पेशलिस्ट का एक एड जारी किया गया था। साल 1998 में तत्कालीन पाक पीएम नवाज शरीफ ने इसका उद्घाटन किया था। हनी ट्रैप इस शब्द का सबसे पहला जिक्र सन् 1974 में ब्रिटिश लेखक जॉन ले कैरे ने अपने एक स्पाई नॉवेल में किया था। दुनिया में हनी ट्रैप का सबसे पहला केस प्रथम विश्व युद्ध में मिला था जब माताहारी ने जर्मनी के लिए फ्रेंच सैनिकों को अपने हुस्न के जाल में फंसाया था। अगर बात भारत की करें तो सन् 1980 में इसका पहला जिक्र मिलता है। उस समय भारतीय इंटेलीजेंस एजेंसी रॉ के ऑफिसर केवी उन्नीकृष्णन के हनी ट्रैप होने मामला सामने आया था।
क्या है हनी ट्रैप और इसका मकसद
हनी ट्रैप यानी किसी खास जानकारी को हासिल करने के लिए रोमांटिक या सेक्सुअल रिलेशंस का प्रयोग करना। कभी-कभी जबरन वसूली या ब्लैकमेल करने के लिए भी हनी ट्रैप बिछाया जाता है। इस बात को ध्यान में रखकर पाकिस्तानी इंटेलीजेंस एजेंसी आईएसआई महिलाओं को ट्रेनिंग देती है। कराची, हैदराबाद और रावलपिंडी में आईएसआई और पाकिस्तानी सेना लड़कियों को इसकी ट्रेनिंग देती है। इन लड़कियों को ऐसे ट्रेनिंग दी जाती है कि वो भारतीय सेना के जवानों को सेना के प्रतिष्ठानों, सैन्य गतिविधियों और मिसाइल लॉन्चिंग सेंटर्स के बारे में संवेदनशील जानकारी हासिल कर सकें। आईएसआई, व्हाट्सएप, फेसबुक और बाकी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को इस मकसद के लिए प्रयोग करती है। सोशल मीडिया इन कातिल हसीनाओं का सबसे बड़ा हथियार बनता है।
हिंदू बनने की ट्रेनिंग
एक रिपोर्ट के मुताबिक आईएसआई ने दर्जनों कॉल सेंटर स्थापित किए हैं। इन कॉल सेंटर्स पर पाकिस्तानी लड़कियां खुद को भारतीय हिंदू लड़की बताकर सोशल मीडिया के जरिए भारतीय सेना के जवानों को अपने जाल में फंसाने की कोशिशें करती हुई नजर आती हैं। इस खतरनाक खेल को अंजाम देने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस टूल्स और इंटरनेट का भरपूर प्रयोग किया जाता है। ये लड़कियां फर्जी प्रोफाइल बनाती हैं और खुद को भारतीय सेना के जवानों की महिला रिश्तेदारों के रूप में पेश करती हैं। माथे पर बिंदी लगाते हैं और खुद को हिंदू दिखाने के लिए अपनी कलाई पर ‘कलावा’तक पहन लेती हैं। इनके बैकग्राउंड में गांधी या फिर हिंदू देवी-देवताओं की तस्वीरें लगी होती हैं। महिला जासूस, हिंदू लड़कियों की तरह पहने जाने वाले कपड़े पहनती हैं ताकि उन पर किसी को भी शक न हो।
एक दिन में 50 से ज्यादा प्रोफाइल
धोखे और अपनी खूबसूरती के साथ ही ये लड़कियां ‘सेक्सटिंग’ को जमकर प्रयोग करती हैं। इसके जरिए ये हसीनाएं भारतीय जवानों और अधिकारियों से कई सीक्रेट जानकारियां हासिल करती हैं। पाकिस्तानी लड़कियां उन्हें इस तरह से लुभाती हैं कि उन्हें अहसास ही नहीं होता है कि वो क्या करते जा रहे हैं। साल 2022 में आईएसआई की एक साजिश का पता लगा था। इसमें पता लगा था कि कैसे आईएसआई ने लड़कियों को इस मकसद से पाकिस्तान में दो कॉल सेंटरों में भर्ती किया गया था। एक कॉल सेंटर हैदराबाद में था तो दूसरा रावलपिंडी में। उन्हें डेटा माइनिंग, कीवर्ड टाइप करके भारतीय रक्षा कर्मियों का पता लगाने के लिए ट्रेनिंग दी गई थी। यहां तक कि वे रक्षा कर्मियों को उनके विशिष्ट सैन्य हेयरकट के माध्यम से भी तलाश लेती हैं। एक लड़की को एक दिन में 50 से ज्यादा प्रोफाइल संभालने की ट्रेनिंग दी जाती है।
Add Comment