हिंडनबर्ग केस में प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट से छिपाए तथ्य ?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट में अडानी समूह के खिलाफ लगे आरोपों की जांच करने वाले बाजार नियामक सेबी पर संदेह करने की कोई वजह नहीं है। कोर्ट ने कहा कि जांच के बारे में भरोसा नहीं करने के लायक कोई भी तथ्य उसके समक्ष नहीं है। चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने अडानी-हिंडनबर्ग मामले से संबंधित पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अपना आदेश सुरक्षित रख लिया।
हाइलाइट्स
सुप्रीम कोर्ट ने कहा -सेबी पर संदेह करने की कोई वजह नहीं है, फैसला सुरक्षित
प्रशांत भूषण ने जनवरी 2014 में DRI से सेबी को लिखे एक पत्र का हवाला दिया
सॉलिसिटर जनरल ने कहा सुप्रीम कोर्ट में सही जानकारी नहीं दी गई, दावा गलत

नई दिल्ली : अडानी समूह की कंपनियों के शेयरों में गिरावट का कारण बनने वाली हिंडनबर्ग की रिपोर्ट की स्वतंत्र जांच की मांग करने वाली जनहित याचिका की अगुवाई कर रहे प्रशांत भूषण शुक्रवार उस वक्त थोड़े मुश्किल में नजर आए जब सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें राजस्व खुफिया निदेशालय (DRI) जांच की पुरानी रिपोर्ट का हवाला देते हुए पकड़ लिया। प्रशांत भूषण ने जनवरी 2014 में DRI से सेबी को लिखे एक पत्र का हवाला दिया, जिसमें बाजार नियामक को अडानी समूह द्वारा कथित तौर पर अडानी पावर द्वारा उपकरणों के आयात की अधिक बिलिंग करके पैसे निकालने, उन्हें मॉरीशस से दुबई भेजने और फिर शेयर बाजार के माध्यम से भारत में धन वापस भेजने के बारे में सूचित किया गया था। उन्होंने दावा किया कि सेबी ने डीआरआई के अलर्ट पर कोई एक्शन नहीं लिया।
प्रशांत भूषण के इस दावे पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि डीआरआई ने 2013 में अडानी समूह के खिलाफ कुछ जांच शुरू की थी और सेबी को इसके बारे में सचेत किया था, लेकिन यह कहना गलत है कि नियामक इस पर चुप्पी साधे रहा। मेहता ने कोर्ट को बताया कि सेबी ने डीआरआई के साथ इस पूरे मामले को देखा और 2017 में आरोप में कोई तथ्य नहीं मिलने के बाद जांच बंद कर दी। इस फैसले को ट्रिब्यूनल में भी चुनौती दी गई। ट्रिब्यूनल ने भी आरोपों को खारिज कर दिया।
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली तीन जजों की बेंच ने प्रशांत भूषण से कहा आपने डीआरआई से एक पत्र उठाया। क्या यह सही है कि डीआरआई की जांच समाप्त हो गई है और CESTAT में एक न्यायिक निकाय ने एक फैसला सुनाया जिसे सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा है? इसलिए पैसे की हेराफेरी और शेयर बाजार में हेरफेर करने में इसके इस्तेमाल के बारे में आपका आरोप सच नहीं है। इस पर प्रशांत भूषण ने कहा यह सच है। सॉलिसिटर जनरल ने इस पर कहा कि सुप्रीम कोर्ट में इस जानकारी को दबाने की कोशिश की गई।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त समिति के दो सदस्यों – बैंकर ओपी भट्ट और वकील साथ ही साथ फाइनेंस एक्सपर्ट सोमशेखर सुदर्शन – के खिलाफ भूषण के ‘हितों के टकराव’ के आरोप भी कोर्ट में असफल हो गए। सोमशेखर सुदर्शन, जिन्हें हाल ही में बॉम्बे हाई कोर्ट का न्यायाधीश नियुक्त किया गया उन पर 2006 में अडानी समूह की कंपनी के लिए पेश होने का आरोप लगाया गया। पीठ ने प्रशांत भूषण से कहा किसी कंपनी के लिए पेश होने के 17 साल बाद निराधार आरोप लगाना आसान है। इसके अनुसार, एक वकील जो किसी आरोपी के लिए पेश हुआ था, उसे HC न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के लिए उसके नाम पर विचार नहीं किया जा सकता।
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