वाशिंगटन: पेंटागन अफगानिस्तान से अमेरिकी एवं गठबंधन (Alliance) बलों की वापसी प्रक्रिया के दौरान उन पर तालिबान के हमले होने की आशंका के मद्देनजर उनसे निपटने की तैयारियां कर रहा है.
समझौते के तहत तालिबान ने बंद किए हमले:
तालिबान और अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) के प्रशासन के बीच फरवरी 2020 को हुए समझौते के तहत सभी अमेरिकी और अन्य विदेशी बलों को एक मई को अफगानिस्तान से बाहर जाना है. समझौते के तहत, तालिबान ने अमेरिकी बलों पर हमले बंद कर दिए हैं और तब से किसी की मौत नहीं हुई है, लेकिन तालिबान (Taliban) ने कहा कि वह तय समय सीमा से बलों की वापसी नहीं होने की स्थिति में अमेरिका द्वारा समझौते का उल्लंघन किए जाने पर अपने रुख पर विचार करेगा. तालिबान के प्रतिनिधियों ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि उसका एक मई के बाद हमले फिर से शुरू करने का इरादा है या नहीं.
बलों की वापसी के दौरान हो सकते है हमले: अमेरिका
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन (President Joe Biden) ने बलों की वापसी करने का फैसला किया है, लेकिन इस प्रक्रिया में देरी के कारण बलों की वापसी प्रक्रिया के दौरान हमले हो सकने की आशंका के कारण सुरक्षा संबंधी नया खतरा पैदा हो गया. बाइडेन ने कहा है कि अफगानिस्तान से 2,500 से 3,500 अमेरिकी बल, 7,000 गठबंधन बल और हजारों ठेकेदार 11 सितंबर तक अफगानिस्तान (Afganistan) से बाहर निकल जाएंगे। अमेरिका में 11 सितंबर, 2001 को ही आतंकवादी हमले हुए थे, जिसके बाद अमेरिकी बल (US Force) अफगानिस्तान में घुसे थें.
बल वापसी की इस प्रक्रिया का विरोध होगा: किर्बी
अमेरिका के रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन (Defense Minister Lloyd Austin) ने पश्चिम एशिया में एक विमान वाहक तैनात करने और कम से कम चार बी -52 बमवर्षक एवं आर्मी रेंजर (Army Ranger) कार्य बल का एक हिस्सा वहां भेजने का फैसला किया है. पेंटागन (Pentagon) प्रेस सचिव जॉन किर्बी (Press Secretary John Kirby) ने ऑस्टिन के इस फैसले को लेने का कारण बताते हुए कहा कि हमें यह मानना होगा कि बल वापसी की इस प्रक्रिया का विरोध होगा. उन्होंने कहा है कि यदि हम यह नहीं मानते कि इस प्रक्रिया के दौरान अमेरिकी और हमारे नाटो सहयोगी बलों पर तालिबान का हमला होगा, तो यह बहुत गैर जिम्मेदाराना होगा.
ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ (Joint Chiefs of Staff) के अध्यक्ष जनरल मार्क मिली (Chairman General Mark Miley) ने कहा कि बलों की वापसी जटिल होगी और इस दौरान खतरा होगा. सेना आमतौर पर सबसे खराब संभावित स्थिति के लिए भी स्वयं को तैयार रखती है.

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