बीकानेर। प्राईवेट एज्यूकेशनल इंस्टीट्यूट्स प्रोसपैरिटी एलायंस ( पैपा) ने ईमेल कर आनलाईन शिक्षण सत्यापन प्रक्रिया निरस्त कर बिना सत्यापन के ही शीघ्र भुगतान करने की मांग प्रारम्भिक एवं माध्यमिक शिक्षा निदेशक से की है। पैपा के प्रदेश समन्वयक गिरिराज खैरीवाल ने बताया कि ज्ञापन में बताया गया है कि पीएसपी पोर्टल पर आनलाईन शिक्षण सत्यापन प्रक्रिया के लिए शुरू किए विकल्प
की पूर्ति किया जाना संभव नहीं हो सकता है, यह विकल्प दिया जाना ही अव्यावहारिक है और प्राईवेट स्कूल्स के लिए प्रताड़ित करने की कोशिश है। खैरीवाल ने ज्ञापन में इस पोर्टल को अपडेट नहीं करने के अनेक ठोस कारण बताते हुए इस प्रक्रिया को तुरंत निरस्त कर इस महामारी के समय में बिना सत्यापन के ही शीघ्र भुगतान करने का अनुरोध किया है। आरटीई प्रावधान के अंतर्गत पहली किश्त का भुगतान बिना किसी भौतिक सत्यापन के भी किया जा सकता है तो फिर इस महामारी के पैनडेमिक सिचुएशन्स में अवांछित औपचारिकताओं के नाम पर मानसिक प्रताड़ना दी जा रही है।अतः इस तरह के बेवजह परेशान करने वाले तुगलकी फरमान को निरस्त कर आरटीई के प्रावधानों के अनुसार बिना भौतिक सत्यापन किए ही पहली किश्त का भुगतान करावें। जब स्थितियां सामान्य होंगी तो स्कूल्स खुलने के बाद भौतिक सत्यापन कराने के पश्चात ही द्वितीय किश्त का भुगतान किया जा सकता है। इस दौरान नियमानुसार समायोजन भी करेंगे तो कोई आपत्ति नहीं होगी। लेकिन भुगतान करने के नाम पर इस तरह के अव्यावहारिक आदेश जारी करने से प्राईवेट स्कूलों को मानसिक रूप से परेशान किया जा रहा है।उन्होंने आरोप लगाया कि फिर सरकार के पास बजट नहीं होने के कारण इस तरह की प्रक्रिया में स्कूलों को उलझाकर समय निकालने की कोशिश की जा रही है । वैसे भी इस तरह की व्यवस्था की न तो आवश्यकता है और न ही कोई औचित्य। पैपा के प्रदेश समन्वयक खैरीवाल ने बताया कि हमने मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री को भी पहले पत्र भेजे थे। इस ज्ञापन का ई मेल भी सी एम और शिक्षा मंत्री को किए गए हैं। ज्ञापन में कहा गया है कि यदि शीघ्र ही इस दमनकारी प्रक्रिया को निरस्त नहीं किया गया तो न्यायालय की शरण में जाना पड़ेगा जिसकी जिम्मेदारी शिक्षा विभाग की होगी।
उन्होंने प्रक्रिया का विरोध करते हुए कहा कि
सत्र 2020-21 समाप्त होने के बाद यह सूचना मांगी गई है, जो कि किसी भी तरह से नीतिगत नहीं है। आरटीई के अंतर्गत भुगतान करने हेतु नॉन आरटीई का डाटा मांगना नियमसंगत नहीं है।इस प्रकिया का संपादन कैसे किया जाए, इस संबंध में भी कोई दिशा निर्देश और गाईडलाईंस जारी नहीं की गई है।आनलाईन शिक्षण सत्यापन प्रक्रिया का भौतिक सत्यापन कैसे किया जाएगा, इसकी कोई भी गाईडलाईंस अभी तक जारी नहीं की गई है।
अनेक गांव ढाणी में इंटरनेट तो दूर मूलभूत सुविधाएं भी नहीं है। इसलिए इन स्कूल संचालकों के लिए वर्क फ्रॉम हॉम संभव नहीं है।
राज्य की पच्चीस हजार से अधिक स्कूलों में इंटरनेट नहीं है, वे समस्त आनलाईन प्रक्रियाओं की पूर्ति बाजार यानि आनलाईन कार्य करने वाले कियोस्क से करवाते हैं। ऐसे में इन शिक्षण संस्थाओं के संचालकों द्वारा इस लॉक डाऊन के दौरान यह काम कैसे पूरा किया जा सकता है?
स्कूल लगभग एक महीने से बंद हैं क्योंकि स्कूलों में 23 अप्रैल से 6 जून तक ग्रीष्मकालीन अवकाश घोषित है।साथ ही तकनीकी काम करने वाले कर्मचारियों, संस्था प्रधानों, प्रभारियों व सहायक कर्मचारियों को इस कार्य की पूर्ति के लिए स्कूल जाना पड़ेगा। जो कि लॉक डाऊन के दौरान संभव नहीं है।
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