भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी विक्रम जिंदल करीब 3 वर्ष से अवकाश पर हैं।
जिंदल की आखिरी पोस्टिंग कोटा में कमांड एरिया डेवलपमेंट में थी । वे गत 15 अगस्त 2018 से “ऑन लीव” पर हैं।
जबकि डीओपीटी के इस बारे में सख्त नियम हैं जिनके अनुसार केंद्र राज्यों को पत्र के जरिए बता चुका है कि लंबी छुट्टियों पर गए ऑल इंडिया सेवा अफसरों का ब्यौरा रखा जाए और बेहद जरूरी एवम अत्यावश्यक कार्य के अलावा उन्हें लंबी छुट्टी नहीं दी जाए।यही नही लंबी छुट्टी का कारण संतोषजनक नहीं होने पर कार्यवाही के भी निर्देश दिए गए हैं ,तो फिर जिंदल के मामले में महकमे ने आंखें क्यों फेर रखी हैं ? इस पर प्रश्न चिन्ह है।
अगर चर्चाओं की बात करें तो माना जा रहा है कि आई ए एस सेवा छोड़कर जिंदल की रुचि हाई पैकेज की विदेश सेवा में है । साथ ही विदेश में ही रहने की उनकी मंशा की भी चर्चा जोरों पर है। यहां यह भी बता दें कि जिंदल पर्वतारोहण के लिए भी खासे प्रसिद्ध रहे हैं।
लेकिन इन सभी चर्चाओं के बीच जो महत्वपूर्ण सवाल उभर कर सामने आ रहा है वह ये है कि जहां एक ओर प्रदेश में काम करने वाले अफसरों की कमी मानी जाती रही है ऐसे में आखिर अफसरों के लंबी छुट्टियों पर जाने पर डीओ पी टी अंकुश क्यों नहीं लगा पा रहा?
इससे पूर्व भी एक आईएएस के छुट्टियों पर जाने और फिर विदेश से बसने की बात सामने आई थी।ऐसे में इस प्रकार अफसरों का यूं मनमाफिक और स्वछंद व्यवहार अनेक सवाल खड़े करता है।
रिपोर्ट साहिल पठान
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