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राजस्थान में बिजली कटौती की नौबत:सिर्फ 11 दिन का कोयला बचा, जयपुर समेत कई जिलों में अघोषित शटडाउन

राजस्थान में बिजली कटौती की नौबत:सिर्फ 11 दिन का कोयला बचा, जयपुर समेत कई जिलों में अघोषित शटडाउन

राजस्थान में त्योहारी सीजन पर बिजली कटौतीी की नौबत आ सकती है। दरअसल, राज्य के पास एक बार फिर कोयला खत्म हो गया है और 2062 मेगावाट बिजली बनाने की 9 यूनिट बंद हो चुकी हैं। प्रदेश में सितंबर में प्रतिदिन पीक आवर्स में अधिकतम बिजली की खपत 15 हजार मेगावाट को पार कर चुकी है।

सूत्रों के मुताबिक राजस्थान को सारे प्रयासों के बाद सिर्फ 12500 मेगावाट बिजली ही रोजाना मिल रही है। अभी भी तकरीबन ढाई हजार मेगावाट बिजली की किल्लत रोज है। छत्तीसगढ़ में राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड (RVUNL) को अलॉट कोल माइंस पारसा ईस्ट एंड कैंटे बासन कोल ब्लॉक में कोयला खत्म हो गया है। इस कारण 9 रैक यानी 36000 मीट्रिक टन कोयला आना भी बंद हो गया है।

कोयले की सप्लाई में हुई इस कमी के कारण करीब 2000 मेगावाट बिजली प्रोडक्शन इससे प्रभावित होगा। ट्रेन की एक रैक में 4000 मीट्रिक टन कोयला आता है। प्रदेश के सभी 6 थर्मल प्लांट्स में केवल 11 दिन का ही कोयला स्टॉक बचा है।

यह कोयला फ्यूल के तौर पर बिजली घरों की पावर यूनिट्स को चलाने के काम आता है। केंद्र की गाइडलाइंस है कि 26 दिन का कोयला स्टॉक होना चाहिए। लेकिन पिछले 1 साल से ज्यादा वक्त से राजस्थान में केंद्रीय गाइडलाइंस का भी उल्लंघन हो रहा है।

दीपावली का त्योहारी सीजन आ रहा है। राजस्थान ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड (RUVNL) की असेसमेंट रिपोर्ट में साल 2022-23 में प्रदेश में बिजली की पीक आवर्स में डिमांड 17757 मेगावाट तक पहुंचने का अनुमान है। जबकि उपलब्ध कैपेसिटी 12847 रहने का अनुमान है।

इस आधार पर 4910 मेगावाट बिजली की कमी पड़ेगी। माना जा रहा है कि इस त्योहारी सीजन में डिमांड 17700 मेगावाट तक पहुंच सकती है। कोयला सप्लाई और बिजली प्रोडक्शन के हालात नहीं सुधरे तो, प्रदेश के लोगों को बड़े पावर कट का सामना करना पड़ सकता है। राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड (RVUNL) के CMD और अफसरों की घोर लापरवाही के कारण राजस्थान को आज बिजली संकट के हालत से गुजरना पड़ रहा है।

ऐसे हालात के बीच दिल्ली पहुंचे राजस्थान के ऊर्जा मंत्री भंवर सिंह भाटी को केंद्रीय कोयला मंत्री प्रहलाद जोशी ने केवल 3 रैक कोयला बढ़ाने पर सहमति दी है। साथ ही दो टूक कह दिया है कि छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार से बात करें, ताकि राजस्थान को अलॉट और मंजूर की गई कोयला माइंस पर माइनिंग वर्क शुरू होकर कोयला सप्लाई शुरू हो सके।

छबड़ा थर्मल पावर प्लांट।

छबड़ा थर्मल पावर प्लांट।

स्टेट सेक्टर में 2062 मेगावाट की 9 पावर यूनिट्स बंद
राजस्थान में स्टेट सेक्टर की 2062 मेगावाट इंस्टॉल्ड कैपेसिटी की 9 पावर प्रोडक्शन यूनिटें ठप हो चुकी हैं। सभी में टेक्नीकल समस्याओं जैसे- डैमेज, लीकेज जैसे कारणों का हवाला देते हुए बंद बताया गया है।

ठप पावर यूनिट्स और मेगावाट कैपिसिटी

पावर प्लांटयूनिट नम्बरकैपिसिटी MW
सूरतगढ़ सुपर क्रिटिकल थर्मल पावर प्लांट7660
सूरतगढ़ थर्मल पावर स्टेशन1250
कोटा थर्मल पावर स्टेशन3210
छबड़ा थर्मल पावर प्लांट2250
छबड़ा थर्मल पावर प्लांट4250
JSWBL पावर प्लांट4135
JSWBL पावर प्लांट6135
JSWBL पावर प्लांट8135
रामगढ़ पावर प्लांटGT337.50
कुल पावर यूनिट- 9कुल मेगावाट कैपेसिटी- 2062
त्योहारी सीजन में 4910 MW बिजली पड़ सकती है कम।

त्योहारी सीजन में 4910 MW बिजली पड़ सकती है कम।

त्योहार सीजन में 4910 MW बिजली पड़ सकती है कम
1 करोड़ 47 लाख बिजली कंज्यूमर राजस्थान में हैं। दिवाली का त्योहारी सीजन जल्द ही शुरू होने वाला है। त्योहारी सीजन में डिमांड 17700 मेगावाट तक पहुंच सकती है। राजस्थान ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड (RUVNL) की असेसमेंट रिपोर्ट में साल 2022-23 में प्रदेश में बिजली की पीक आवर्स में डिमांड 17757 मेगावाट तक पहुंचने का अनुमान है। जबकि उपलब्ध कैपेसिटी 12847 रहने का अनुमान है।

इस आधार पर 4910 मेगावाट बिजली की कमी पड़ेगी। इससे निपटने के उपाय फिलहाल बिजली विभाग या कंपनियों के पास नहीं हैं। मानसून पीरियड के बाद बिजली की डिमांड बढ़ेगी, लेकिन बिजली प्रोडक्शन बढ़ने की बजाय घटने की नौबत आ गई है। प्रदेश में नई पावर प्लांट यूनिट नहीं लगाई जा रही हैं। इसलिए बिजली खरीदकर ही काम चलाने का रवैया अपना लिया गया है। सोलर एनर्जी, विंड एनर्जी और पानी से बनने वाली हाइडल बिजली मौसम पर ज्यादा निर्भर करते हैं। इसलिए उन पर डिपेंडेंट नहीं रहा जा सकता है।

बिजली क्राइसिस से निपटने के लिए अघोषित बिजली कटौती, लोड शेडिंग और एक्सचेंज से बिजली खरीद का सहारा लिया जा रहा है।

बिजली क्राइसिस से निपटने के लिए अघोषित बिजली कटौती, लोड शेडिंग और एक्सचेंज से बिजली खरीद का सहारा लिया जा रहा है।

अघोषित बिजली कटौतीलोड शेडिंग और एक्सचेंज से बिजली खरीद
बिजली की भारी कमी से निपटने के लिए राजस्थान ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड (RUVNL) जमकर बिजली की एक्सचेंज से खरीद कर रहा है। 5 रुपए से लेकर 12 रुपए की रेट तक अलग-अलग वक्त में बिजली मिल रही है। किसी-किसी दिन 60 से 70 लाख यूनिट बिजली खरीदनी पड़ रही है। प्रदेश में लोड शेडिंग कर फीडर्स से भी बिजली कटौती की जा रही है। जयपुर डिस्कॉम के ग्रामीण क्षेत्र में 15 फीडर, अजमेर डिस्कॉम के 11 फीडर, जोधपुर डिस्कॉम के 5 फीडर्स से 20 सितम्बर को बिजली कटौती करनी पड़ी है। इसके अलावा अघोषित बिजली कटौती का दौर ग्रामीण, कस्बों और शहरी इलाकों में भी जारी है। फाल्ट और ट्रिपिंग के मामले भी बढ़े हैं। अलग-अलग जगहों पर दिन में आधा घंटे से लेकर 4 घंटे तक पावर कट का सामना लोगों को करना पड़ रहा है।

प्रदेश के बिजली घरों में 3 से 11 दिन का ही अधिकतम कोयला स्टॉक है। जबकि सेंट्रल गाइडलाइंस के मुताबिक 26 दिन का स्टॉक कम से कम मेंटेन होना चाहिए।

प्रदेश के बिजली घरों में 3 से 11 दिन का ही अधिकतम कोयला स्टॉक है। जबकि सेंट्रल गाइडलाइंस के मुताबिक 26 दिन का स्टॉक कम से कम मेंटेन होना चाहिए।

बिजलीघरों में कोयले का गंभीर संकट
राजस्थान के पावर प्लांट्स में कोयले का गंभीर संकट पिछले साल से ही चला आ रहा है। छत्तीसगढ़ में आवंटित कोल माइंस में कोयला खत्म होने और नए एक्सटेंशन एरिया में माइनिंग पर रोक के कारण कोयले की सप्लाई बंद हो गई है। केंद्र सरकार ने बंदोबस्त के तहत ओडिशा के महानदी कोल फील्ड से राजस्थान को कोयला अलॉट किया है। लेकिन ओडिशा से पारादीप पोर्ट और फिर गुजरात के मूंदरा पोर्ट तक कोयला लाना होगा।

फिर रेलवे की मालगाड़ी के वैगन में भरकर राजस्थान के बिजलीघरों तक कोयला पहुंचाना होगा। इसमें 30 से 35 दिन का वक्त लग सकता है। केंद्र की गाइडलाइंस है कि राजस्थान में 26 दिन का कोयला स्टॉक मेंटेन रहना चाहिए। लेकिन प्रदेश के बिजलीघरों में 3 से 11 दिन का ही अधिकतम कोयला स्टॉक है। स्टॉक की जिम्मेदारी RVUNL की है, लेकिन केंद्रीय कोयला मंत्रालय की बार-बार हिदायत के बावजूद पिछले एक साल से स्टॉक मेंटेन नहीं कर सका।

राजेश कुमार शर्मा, CMD, RVUNL

राजेश कुमार शर्मा, CMD, RVUNL

जिम्मेदार कौन ?
कोयला संकट के लिए RVUNL के CMD राजेश कुमार शर्मा समेत अफसरों की घोर लापरवाही रही है। साल 2021 से ही स्टॉक मेंटेन नहीं किया जा रहा। अगस्त 2021 में भी मॉनसून पीरियड में कोयले की कमी के कारण बिजली प्रोडक्शन पर विपरीत असर पड़ा था। कोयला माइंस में पानी भरने से सप्लाई घट गई थी। उस घटना से भी सबक नहीं लिया गया। इस साल भी कोयला स्टॉक मेंटेन नहीं किया।

जिन पावर प्लांट्स की यूनिट्स में टेक्नीकल दिक्कतें आईं या खराब हुईं। उन्हें लम्ब वक्त से ठीक नहीं करवाया जा रहा है। RVUNL का ध्यान खराब हुई यूनिट्स को ठीक करवाने से ज्यादा राजस्थान ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड RUVNL के जरिए ज्यादा से ज्यादा बिजली की खरीद करवाने पर है। इतना सब होने बावजूद सरकार ने CMD को जनवरी 2022 में कार्यकाल पूरा होने के बाद भी 28 जनवरी 2023 तक के लिए एक साल का एक्सटेंशन देकर उपकृत कर दिया। जबकि कोयला स्टॉक मेंटेन करने और प्लांट्स पूरी कैपेसिटी से चलाने की जिम्मेदारी वह ठीक से संभाल तक नहीं पाए। जनवरी 2021 में उन्हें एक साल के लिए सीएमडी बनाया था। उसके बाद अगले साल फिर से एक्सटेंशन दे दिया गया।

7580 MW कैपिसिटी के 6 थर्मल पावर प्लांट्स में सिर्फ 3 से 11 दिन का कोयला है।

7580 MW कैपिसिटी के 6 थर्मल पावर प्लांट्स में सिर्फ 3 से 11 दिन का कोयला है।

7580 मेगावाट कैपिसिटी के 6 थर्मल पावर प्लांट में महज 3 से 11 दिन का कोयला स्टॉक

राजस्थान में RVUNL के 7580 मेगावाट कैपिसिटी के 6 थर्मल पावर प्लांट में महज 3 से 11 दिन का कोयला स्टॉक बचा है। जबकि केंद्र की गाइडलाइंस है कि 26 दिन का कोयला स्टॉक प्रदेश के बिजली घरों में मेंटेन रहना चाहिए।

थर्मल पावर प्लांटMW कैपिसिटीकोयला स्टॉक
कोटा थर्मल पावर स्टेशन1240 MW3 दिन
कालीसिंध थर्मल पावर प्लांट1200 MW3 दिन
छबडा थर्मल पावर प्लांट1000 MW3 दिन
छबड़ा सुपर क्रिटिकल थर्मल पावर प्लांट1320 MW7 दिन
सूरतगढ़ थर्मल पावर स्टेशन1500 MW10 दिन
सूरतगढ़ सुपर क्रिटिकल थर्मल पावर स्टेशन1320 MW11 दिन
कुल थर्मल पावर प्लांट-6कुल MW कैपिसिटी- 7580
सरगुजा में परसा कोल माइंस प्रोजेक्ट को बंद कराने की मांग पर स्थानीय लोगों का आंदोलन।

सरगुजा में परसा कोल माइंस प्रोजेक्ट को बंद कराने की मांग पर स्थानीय लोगों का आंदोलन।

क्यों पैदा हुआ कोयला संकट ?

प्रदेश में 4340 मेगावाट के थर्मल पावर प्लांट पूरी तरह छत्तीसगढ़ की सरगुजा की कोयला माइंस पर निर्भर हैं। सरगुजा में 841 हेक्टेयर एरिया में अलॉट एक्सटेंशन माइंस में राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम को माइनिंग की मंजूरी और एनवायर्नमेंट क्लीयरेंस मिलने के बाद जिस तरह पेड़ों की अंधाधुंध कटाई की गई। वन संपदा और प्राकृतिक संपदाओं को नुकसान पहुंचाया गया। उसके कारण NGO और स्थानीय आदिवासी समुदाय के लोगों ने जोरदार विरोध कर दिया। आंदोलन छिड़ने पर राजनीतिक बवाल हो गया। RVUNL के मुताबिक 1 लाख 80 हजार हेक्टेयर में फैले हसदेव अरण्य वन क्षेत्र में 4 हजार हेक्टेयर जमीन माइंस के लिए ली है। 2013 से 2022 तक 80 हजार पेड़ काटे गए हैं, परसा कोल ब्लॉक के लिए भी लगभग 40 हजार पेड़ काटे गए हैं। लेकिन वन भूमि में रहने वाले आदिवासियों का मानना है कि इससे कई गुना ज्यादा पेड़ों की कटाई हुई है, इससे पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचा है।

टीएस सिंहदेव समेत कई नेताओं के विरोध के बाद छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार ने ही माइनिंग पर पाबंदी लगा दी है। सीएम अशोक गहलोत, ऊर्जा मंत्री भंवर सिंह भाटी कई बार छत्तीसगढ़ दौरा कर आए, सीएम भूपेश बघेल को पत्र लिख लिए और राजस्थान-छत्तीसगढ़ के अफसरों ने आपस में बातचीत के दौर भी चला लिए। यहां तक कि सोनिया गांधी से भी दखल देने की मांग गहलोत सरकार ने कर ली। लेकिन माइनिंग चालू नहीं हो सकी है।

RVUNL ने माइनिंग एरिया में डवलपमेंट करवाने, 10वीं तक इंग्लिश मीडियम स्कूल में मुफ्त एजुकेशन, CSR के तहत कुटीर उद्योग, मसाला और अन्य उद्योग चलाने, 100 बेड का सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल भी खोलने की प्लानिंग इलाके के लोगों के सामने रखी है। हसदेव अरण्य इलाके में 8 लाख 11 हजार पेड़ लगाने और परसा कोल ब्लॉक में करीब 9 हजार पेड़ों को दूसरी जगह ट्रांसप्लांट करने का दावा किया है। यह भी कहा है कि परसा ईस्ट कांटे बासन में 1 साल में 10 हजार पेड़ कटेंगे। उससे 10 गुना ज्यादा पेड़ लगा दिए जाएंगे। प्रोजेक्ट शुरु होने से 4 हजार लोगों को रोजगार मिलेगा। लेकिन इन बातों का स्थानीय आदिवासियों और नेताओं पर असर नहीं हो रहा है।

प्रदेश के सभी थर्मल पावर प्लांट्स फुल कैपिसिटी में चलाने के लिए 36 रैक कोयला रोजाना चाहिए। जबकि रोजाना औसत 18 रैक कोयला भी मुश्किल से मिल पा रहा है।

प्रदेश के सभी थर्मल पावर प्लांट्स फुल कैपिसिटी में चलाने के लिए 36 रैक कोयला रोजाना चाहिए। जबकि रोजाना औसत 18 रैक कोयला भी मुश्किल से मिल पा रहा है।

36 रैक कोयला रोज चाहिए,18 भी मुश्किल से मिल रहा

प्रदेश को सभी थर्मल पावर प्लांट्स को फुल कैपिसिटी में चलाने के लिए 36 रैक कोयला रोजाना चाहिए। फिलहाल जो पावर प्लांट यूनिट्स चल रही हैं, उन्हें चलाने के लिए भी 27 रैक कोयला प्रतिदिन चाहिए। प्रदेश को फिलहाल 18 रैक कोयला भी औसत रोजाना नहीं मिल पा रहा है। 19 रैक कोयला एक्सट्रा मिले, तब जाकर फुल कैपिसिटी में सभी प्लांट चल पाएंगे।

सेंट्रल गाइडलाइंस के बावजूद विदेशी कोयला खरीदने में RVUNL लगातार ढिलाई बरत रहा है। 9.65 लाख मीट्रिक टन विदेशी कोयला खरीदना है, लेकिन राजस्थान ने 3.86 लाख मीट्रिक टन कोयला अब तक खरीदा है।

सेंट्रल गाइडलाइंस के बावजूद विदेशी कोयला खरीदने में RVUNL लगातार ढिलाई बरत रहा है। 9.65 लाख मीट्रिक टन विदेशी कोयला खरीदना है, लेकिन राजस्थान ने 3.86 लाख मीट्रिक टन कोयला अब तक खरीदा है।

सेंट्रल गाइडलाइंस के बावजूद विदेशी कोयला खरीदने में RVUNL की ढिलाई

कोयला मंत्रालय ने राजस्थान को केंद्र की कोल इंडिया कम्पनी से मिलने वाले कुल कोयला का 10 फीसदी विदेश से इम्पोर्ट करने को कहा है। ऐसा नहीं करने पर 30 फीसदी देशी कोयला सप्लाई में कमी कर दी जाएगी। जबकि पहले केन्द्र सरकार ने 4 फीसदी कोयला ही इम्पोर्ट करने की एडवाइजरी जारी की थी। राजस्थान ने 3.86 लाख मीट्रिक टन कोयला खरीदा है। नए निर्देशों के बाद इसे बढ़ाकर 9.65 लाख मीट्रिक टन विदेशी कोयला खरीदना होगा। एक्सट्रा इम्पोर्टेड कोयले की खरीद से करीब 1700 करोड़ का एडिशनल भार राजस्थान पर पड़ेगा। देशी कोयला क्वालिटी के हिसाब से 4000 से 5000 रुपए मीट्रिक टन रेट पर मिलता है, जबकि विदेशी कोयले की रेट 17000 से 18000 रुपए मीट्रिक टन तक है। इम्पोर्टेड कोयला महंगा होने के कारण बिजली की प्रोडक्शन रेट बढ़ जाती है। इसलिए RVUNL महंगा विदेशी कोयला खरीदने में ढिलाई बरत रही है या बच रही है।

फिलहाल छत्तीसगढ़ की माइंस से RVUNL की 4340 मेगावट की थर्मल पावर यूनिट्स को हर दिन कोयले की 10 रैक मिलती आई हैं। लेकिन परसा ईस्ट कैंटे बेसिन से कोल सप्लाई बंद होने का असर बिजली प्रोडक्शन पर पड़ा है। कोयला मंत्रालय ने राजस्थान को ओडिशा के महानदी कोल फील्ड से 9.56 मीट्रिक टन प्रतिवर्ष कोयला अलॉट किया है। लेकिन ओडिशा के कोयले की क्वालिटी छत्तीसगढ़ और कोल इंडिया की सहयोगी कंपनियों नॉर्दन कोलफील्ड लिमिटेड और साउथ-ईस्ट कोलफील्ड लिमिटेड से मिलने वाले कोयले से हल्की है। जबकि इसकी रेट करीब 1.4 गुणा ज्यादा है।

दिल्ली के शास्त्री भवन में मंगलवार को हुई मीटिंग में केंद्रीय कोयला मंत्री प्रहलाद जोशी और साथ में राजस्थान के ऊर्जा मंत्री भंवर सिह भाटी, ऊर्जा सचिव भास्कर ए.सावंत, RVUNL के CMD आरके शर्मा, केंद्रीय कोल सचिव अनिल जैन और सीनियर अफसर।

दिल्ली के शास्त्री भवन में मंगलवार को हुई मीटिंग में केंद्रीय कोयला मंत्री प्रहलाद जोशी और साथ में राजस्थान के ऊर्जा मंत्री भंवर सिह भाटी, ऊर्जा सचिव भास्कर ए.सावंत, RVUNL के CMD आरके शर्मा, केंद्रीय कोल सचिव अनिल जैन और सीनियर अफसर।

केंद्रीय कोयला मंत्री ने 3 रैक बढ़ाई

कोयला संकट की गम्भीर हालात को देखते हुए मंगलवार को दिल्ली पहुंचे राजस्थान के ऊर्जा मंत्री भंवर सिंह भाटी की केंद्रीय कोयला मंत्री प्रहलाद जोशी से मुलाकात हुई। इस दौरान राजस्थान के ऊर्जा विभाग के प्रिंसिपल सेक्रेट्री भास्कर ए सावंत, RVUNL के CMD राजेश कुमार शर्मा और एडिशनल चीफ इंजीनियर फ्यूल देवेंद्र श्रृंगी, केन्द्रीय कोल सचिव अनिल जैन और रेलवे के अफसर भी मौजूद रहे। मंत्री भाटी ने छत्तीसगढ़ की PEKB कोल माइंस से माइनिंग फिर से शुरू होने तक केंद्र से प्रदेश को एक्सट्रा कोयला देने की मांग रखी। केंद्रीय मंत्री ने राजस्थान को नॉर्दन कोलफील्ड्स लिमिटेड (NCL), साउथ-ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड ( SECL) और महानदी कोलफील्ड्स लिमिटेड (MCL) से कोयले की सिर्फ 3 रैक बढ़ाने पर सहमति दी है। जिससे 7 की बजाय प्रदेश के बिजली घरों को 10 रैक कोयला रोजाना मिल सकेगा।

छत्तीसगढ़ सरकार से बात करें, रेल-समुद्र-रेल मोड से कोयला लाएं

केन्द्रीय कोयला मंत्री प्रहलाद जोशी ने महानदी कोलफील्ड्स लिमिटेड, ओडिशा से कोयले का उठाव बढ़ाने के लिए राजस्थान सरकार से रेल-समुद्र-रेल मार्ग से भी कोल ट्रांसपोर्टेशन की व्यवस्था करने को कहा है, ताकि कोयला ट्रांसपोर्टेशन के दौरान रेल रूट में ट्रैफिक कंजक्शन (ट्रैफिक दबाव) की समस्या से निपटा जा सके। राजस्थान के सभी बिजली घरों तक कोयला पहुंचाने के लिए उत्पादन निगम की मांग के मुताबिक डायवर्जन करने के लिए कोयला मंत्री ने बैठक में मौजूद रेलवे के प्रतिनिधि को निर्देश दिए। जोशी ने दो टूक और साफ शब्दों में कहा-राजस्थान सरकार को छत्तीसगढ़ शासन से बातचीत कर PEKB माइंस को जल्द शुरु करवाना चाहिए। उन्होंने स्पष्ट किया पहले उन्होंने भी राजस्थान की गुजारिश पर इसके लिए छत्तीसगढ़ CM से चर्चा की है। केन्द्रीय कोल सचिव अनिल जैन ने कोयले की कमी को देखते हुए CGPL से खरीदी जा रही 380 MW बिजली के अलावा एक्सट्रा बिजली खरीदने का सुझाव भी राजस्थान सरकार को दिया, ताकि कोयले का स्टॉक बढ़ाया जा सके।

राजस्थान के ऊर्जा मंत्री भंवर सिंह भाटी ने केंद्रीय कोयला मंत्री प्रहलाद जोशी से कहा- 3 रैक कोयला बढ़ोतरी से राजस्थान के बिजली घरों में कोयले की समस्या का समाधान नहीं होगा,कुछ मदद जरूर मिलेगी।

राजस्थान के ऊर्जा मंत्री भंवर सिंह भाटी ने केंद्रीय कोयला मंत्री प्रहलाद जोशी से कहा- 3 रैक कोयला बढ़ोतरी से राजस्थान के बिजली घरों में कोयले की समस्या का समाधान नहीं होगा,कुछ मदद जरूर मिलेगी।

3 रैक बढ़ोतरी से कोयला समस्या का समाधान नहीं होगा

राजस्थान के ऊर्जा मंत्री और अफसरों ने कहा- कोयले की 3 रैक में बढ़ोतरी से राजस्थान के बिजली घरों में कोयले की समस्या का पूरा समाधान तो नहीं होगा, लेकिन हालात से निपटने में कुछ मदद जरूर मिलेगी।

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