देश की रक्षा और सुरक्षा में सर्वस्व समर्पित करने वाली वो मुसलमान महिला जासूस, जो बनी एक मिसाल
BY DR MUDITA POPLI
हिंदुस्तान की आजादी से लेकर अगर आज तक की स्थितियों पर गौर करें तो धर्म कभी देश प्रेम पर हावी नहीं हो पाया। मुस्लिम धर्म के नुमाइंदों ने भी देश सेवा के लिए सर्वस्व समर्पित किया है।भारत में ऐसे कई मुसलमान रहे हैं जिन्होंने कई क्षेत्रों में अपनी अमिट छाप छोड़ी है और भारत की सामाजिक और आर्थिक वृद्धि और दुनिया भर में सांस्कृतिक प्रभाव छोड़ने में एक रचनात्मक भूमिका निभाई है।
इसी कड़ी में यह जिक्र है एक ऐसी भारतीय महिला का जो धर्म से मुस्लिम थी परंतु कर्म से केवल और केवल भारतीय। यदि भारत के इतिहास को खंगाले तो ऐसे अनेक नगीने हमारे हाथ लगेंगे जिन्होंने धर्म को कर्म पर कभी हावी नहीं होने दिया। यह कहानी है भारत की उस महिला जासूस की जिसने 1971 की जंग से पहले भारत के लिए पाकिस्तान की जासूसी कर देश के लिए महत्वपूर्ण जानकारियां जुटाई और उसके लिए जान से बढ़कर अपनी अस्मत को कुर्बान कर दिया वह महिला जासूस थी भारत की सहमत खान।
यूं तो इतिहास के पन्नों में अनेक कहानियां दर्ज है परंतु सहमत खान की कहानी एक फिल्म का प्रारूप ले सकी, फिल्म राज़ी की सहमत खान देश प्रेम की एक अलग मिसाल है।
भारतीय जल सेना में अधिकारी रहे हरिंदर सिक्का जब कारगिल मसले को लेकर कुछ रिसर्च कर रहे थे तब उन्हे पता चला कि सहमत की अहम जानकारियों की वजह से भारत के अनेक सैनिकों की जान बची थी। उनके मुताबिक, सहमत एक पाकिस्तानी अधिकारी से शादी करके वहां गईं और फिर भारत को खुफिया जानकारी भेजती रहीं। कहा जाता है भारतीय खुफिया एजेंसी को 1971 से पहले एक ऐसे जासूस की जरूरत थी जो पाकिस्तान में रहकर भारत की मदद कर सके। तभी सहमत के पिता ने उन्हें जासूसी के लिए राजी किया था। इसके बाद जब साल 1971 में भारत ने पाकिस्तान के दांत खट्टे किये तो उसके पीछे सहमत खान के द्वारा लगातार भेजी जाने वाली अहम जानकारियों का ही नतीजा था। वो सहमत खान ही थी जिन्होंने बताया था कि पाकिस्तान, भारतीय नौसेना के जहाज आईएनएस विराट को डुबाने की योजना बना रहा है। जिसके बाद भारतीय सेना ने ठोस कदम उठाते हुए पाक की इस नापाक साजिश को नाकाम कर दिया था। इसी योजना के तहत सहमत का निकाह पाकिस्तानी आर्मी के एक ऑफिसर के साथ हुआ वह अपने पति के घर से ही खुफिया तरीके से इंडियन आर्मी को पाकिस्तानी की बहुत सी गोपनीय और अहम जानकारियां देती थीं।
सहमत ने जो इंटेल मुहैया कराई उसकी वजह से कई लोगों की जान बच सकी थी जब वो पाकिस्तान से वापस लौटी , तो वो गर्भवती थीं।उन्होंने एक बेटे को जन्म दिया जो आगे चलकर अपनी मां के जैसे ही इंडियन आर्मी ज्वाइन कर देश की सेवा में रत है।
हरिदंर सिक्का को सहमत पर लिखने की प्रेरणा कारगिल युद्ध के बारे में रिसर्च करने के दौरान सहमत के बेटे से मिली। आठ साल तक इसपर काम करने के बाद उन्होंने कॉलिंग सहमत लिखी , बाद में इसपर बनी फिल्म राज़ी ने भी खूब वाहवाही लूटी।उनकी माने तो सहमत इस समय पंजाब के मलेरकोटला में रहती हैं और सिक्का उपन्यास लिखने के दौरान उनसे मिले थे। सहमत जैसी कहानियां हमें बताती हैं कि देश की सेवा करने के लिए धर्म मायने नहीं रखता मायने रखता है तो केवल और केवल देश प्रेम।
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