शाना : प्रकृति के साहचर्य में


प्रकृति के साहचर्य में स्थित शाना इंटरनेशनल स्कूल, बीकानेर का परिचय विद्यार्थियों के नैसर्गिक विकास के निहितार्थ है। विद्यालय की पूर्व परिकल्पना भी यही रही कि विद्यार्थियों की मौलिक प्रतिभा के विकास के लिए आवश्यक परिवेश प्रकृति से इतर नहीं हो सकता। चाहे शारीरक विकास का प्रश्न हो या मानसिक विकास का; इसी विचार की प्रेरणा से प्रतिबद्ध होकर श्रीमान कमेशचंद्रा जी ने सन् 2012 में इसे मूर्त रूप देने के लिए अपना पूर्ण सामर्थ्य लगा दिया।
एक स्वच्छ और उन्मुक्त परिवेश भीतर अध्ययनशीलता में निहित प्रसन्नताओं के महत्त्व को समझकर, विद्यार्थियों को अनुकूल वातावरण कैसे दिया जा सके, इसे प्राप्त करना विद्यालय का प्रथम अभीष्ट है।
शाना इंटरनेशनल स्कूल, बीकानेर के अभीष्ट लक्ष्यों में विद्यार्थियों का प्रकृति के साथ अनुराग स्थापित करते हुए आगे बढ़ना है। शिक्षा की सिद्धि के स्वरूप के विषय को समाज और राष्ट्र के हित में सकारात्मक तभी बनाया जा सकता है जब बच्चे का शैक्षिक संस्कार प्रकृति की छाया में हो। अधिगम के स्वभाव को अर्जित करने के मनोवैज्ञानिक पक्षों के विचार से निरंतर अभिनव प्रयोग करते हुए अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए विद्यालय कृतसंकल्प हैं।
विद्यालय ने आधुनिक मनोविज्ञान के अधिगम व्यवहार को प्रकृति के बीच प्रायोगिक परिपेक्ष्य से लक्षित किया है और इसके परिणाम अपेक्षित रहे हैं। न केवल विद्यार्थियों के शैक्षिक और शारीरिक लाभ हेतु, अपितु लक्षित व्यवहार को प्राप्त करने में जो अभूतपूर्व सफलता अर्जित की है, वह उल्लेखनीय है। पुनश्च, ..कि विद्यालय का लक्ष्य विद्यार्थियों के नैसर्गिक विकास के साथ आगे बढ़ना है, इसी भावना के परिपेक्ष्य में वातावरण की अनुकूलता के महत्त्व को समझा गया है।
जबकि आधुनिकता के मानदंडों में आज व्यवहार बहुत स्थूल और तकनीकी हो गया और सब ओर औपचारिकता का निर्वाह आलीशान दिखने में निहित होकर रह गया है और शिक्षण संस्थान भी इससे अछूत नहीं रह गए हैं, शाना इंटरनेशनल स्कूल ने प्रकृति के व्यवहार को समझते हुए जो कार्यक्रम लक्षित किए हैं वह केवल औपचारिकता के निर्वहन के लिए नहीं हैं। इसी से विद्यार्थियों के परिजनों को परीक्षा परिणाम के साथ विभिन्न प्रकार के फूलों के पौधे भेंट किए जाते हैं। सत्र का आरंभ और समापन प्रकृति का उपकार मानकर उसके प्रति कृतज्ञता प्रकट करते हुए होता है। विद्यालय ने इस आयोजन को परंपरा के रूप में विकसित है। विद्यालय का ध्येय सर्व हितकारी वृक्षों, पुष्पों के पोषण में संवृद्धि के पक्ष में इसी प्रकार की परंपराओं को स्थायित्व देने का रहा है और यह भारतीय मनीषा के अनुकूल है, उसी से सीखा व ग्रहण गया है।

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