सुलह की सियासत
इस सप्ताह मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सरहदी संभाग में खूब जादू चलाया। नोखा के जसरासर में भीड़ देख सीएम का मन ऐसा रमा कि चार दिन बीकानेर संभाग में ही बिता दिए। सीएम का कांग्रेस नेता रामेश्वर डूडी की ओर से आयोजित किसान सम्मेलन में मंच साझा करना और इसमें सचिन पायलट का नजर नहीं आना नजरों में रहा। हेलीकॉप्टर में गहलोत व डूडी का साथ उड़ान भरना नए सियासी संकेत दे गया। मंत्री गोविन्दराम मेघवाल ने डूडी के कार्यक्रम से दूरी बनाई तो प्रदेशाध्यक्ष गोविन्द सिंह डोटासरा ने हेलीकॉप्टर में दोनों के एक-दूसरे का मुंह मीठा कराने की तस्वीर साझा कर सुलह की सियासत का संदेश दिया। कांग्रेस के प्रभारी सुखजिन्दर रंधावा सीएम के साथ रहे, लेकिन उनके बीकानेर से निकलते ही सहप्रभारी वीरेन्द्र सिंह राठौड़ यहां आए। मीडिया से बातचीत में वह गहलोत के साथ सचिन पायलट की भी पार्टी में पूरी अहमियत होने की बात कहकर नई बहस छेड़ गए। इधर, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के बीकानेर आकर जाने के बाद से विधायक सिद्धि कुमारी वार्ड-वार्ड घूमती नजर आने लगी हैं।

मुख्यमंत्री के श्रीगंगानगर व हनुमानगढ़ जिलों के दौरों में अलग संकेत सामने आए। दोनों जिलों में पायलट के समर्थक माने जाने वाले नेता दूरी बनाए रहे। जो आए उन्हें तवज्जो नहीं मिली। हनुमानगढ़ जिले में गहलोत का रावतसर दौरा पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं में जान डाल गया। तो भादरा दौरा क्षेत्र के नेताओं के लिए वज्रपात जैसा रहा। रावतसर में मुख्यमंत्री ने सभा की और सभी गुटों के नेताओं को मंच पर स्थान मिला। लेकिन भादरा विधानसभा क्षेत्र के मलखेड़ा गांव में माकपा विधायक बलवान पूनिया की तारीफ में कही गई बातों ने कांग्रेस नेताओं और टिकटार्थियों को निराश किया। एक दिवसीय अति व्यस्त कार्यक्रम में समय निकाल गहलोत भादरा के माकपा विधायक पूनिया के गांव मलखेड़ा गए। वहां सभा में उन्होंने सिर्फ पूनिया का ही गुणगान किया। वे पूनिया के घर भी गए। गहलोत का दौरा स्पष्ट संकेत दे गया कि भादरा में कांग्रेस के सारथी वामपंथी बलवान ही होंगे। इधर, चूरू जिले की सियासत डोटासरा और नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ के बीच बयानबाजी के इर्द-गिर्द ही रही।

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