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बीकानेर में 6 घंटे के टाइम स्लॉट में सड़कों पर जा रही हैं सर्वाधिक जानें

सड़क दुर्घटनाओं के लिए दोपहर तीन से रात नौ बजे का समय खतरनाक– बीकानेर में पिछले साल सड़क हादसों में 297 से अधिक लोगों की गई जान
– हर साल हो रहे 450 सड़क हादसे

6 घंटे के टाइम स्लॉट में सड़कों पर जा रही हैं सर्वाधिक जानें

6 घंटे के टाइम स्लॉट में सड़कों पर जा रही हैं सर्वाधिक जानें

बीकानेर. सड़क हादसों में बीकानेर की सड़कें रोज ही हताहतों के रक्त से लाल हो रही हैं। पिछले कुछ वर्षों के आंकड़ों पर नजर डालें, तो हर साल यहां औसतन लगभग 450 हादसे हो रहे हैं। पिछले साल ही बीकानेर में सड़क हादसों में 297 लोगों ने अपनी जान गंवाई है।

इस बीच, सड़क हादसों को लेकर सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की ओर से जारी वार्षिक रिपोर्ट और हैरान करती है। साथ ही सोचने पर भी विवश करती है।

रिपोर्ट कहती है कि देश होने वाली अधिकतर सड़क दुर्घटनाएं दोपहर तीन से रात नौ बजे के दरम्यान होती है, जिनमें अधिक मौतें हो रही हैं। दिलचस्प तथ्य यह है कि बीकानेर में जो आंकड़े और हादसों का समय सामने आया है, उसमें भी इसी तथ्य की पुष्टि हो रही है।

पहले समझें-क्या कहते हैं बीकानेर के आंकड़े

जिला पुलिस के अनुसार, वर्ष 2022 में जिलेभर में हुए 450 सड़क हादसों में 352 लोगों की मौत हुई। इसमें भी 65 फीसदी हादसों का समय दोपहर दो बजे से लेकर रात नौ बजे के बीच का ही निकला। आंकड़े यह भी गवाही दे रहे हैं कि यह हादसे काफी भयंकर किस्म के हुए और मौतें भी ज्यादा हुई हैं।

इसके अलावा सुबह के समय में भी हादसों की संख्या अच्छी-खासी रही है, लेकिन उनमें मौत कम रही हैं। गौरतलब है कि पिछले वित्त वर्ष में सड़क हादसों में 297 लोगों की जान जा चुकी है।

हर साल बढ़ रहा मौत और हादसों का आंकड़ा

बीकानेर रेंज में वर्ष 2020 से 2022 जुलाई तक के आंकड़े बताते हैं कि यहां हर साल हादसों में बढ़ोतरी हो रही है। बीते तीन साल में रेंज में 2526 सड़क हादसे हुए, जिसमें 2419 लोग घायल हुए और 1603 लोगों की मौत हो गई।

इन आंकड़ों पर गौर करें तो बीकानेर जिले में सड़क हादसों में 22.31 प्रतिशत, घायलों में 59.66 और मृतकों की संख्या में 34.38 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। बीकानेर रेंजभर में करीब 29 ब्लैक स्पॉट भी चिन्हित हुए हैं।

ओवरस्पीड पर नकेल की कोशिश
जिला पुलिस अधीक्षक तेजस्वनी गौतम ने बताया कि ओवरस्पीड व नौसिखियों की वजह से हादसे हो रहे हैं, ऐसे तथ्य भी पड़ताल में सामने आए हैं। हादसों को रोकने के लिए टोल प्लाजा की मदद भी ली जा रही है।

बीकानेर से जयपुर, श्रीगंगानगर, जोधपुर, जैसलमेर जाने वाले वाहनों की निर्धारित गति सीमा से पहले टोल पर पहुंचने वाले वाहनों को चिन्हित कर कार्रवाई की जाएगी। यह व्यवस्था शीघ्र लागू करेंग। हाल ही में पुलिस ने लखासर के पास रोड सेफ्टी एज्युकेशन एंड काउंसलिंग सेंटर शुरू किया है। यहां 24 घंटे पुलिस तैनात रहेगी। यह व्यवस्था धीरे-धीरे जिले के सटते सभी राजमार्गों पर करेंगे।

क्या कहती है वार्षिक रिपोर्ट

सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की रिपोर्ट कहती है कि भारत में सड़क दुर्घटनाएं 2021 के विश्लेषण अनुसार विशेष रूप से शाम 6 बजे से रात 9 बजे के बीच तीन घंटे की अवधि के दौरान देश में सबसे ज्यादा सड़क दुर्घटनाएं हुईं। रात 12 बजे से सुबह 6 बजे के बीच के समय में सबसे कम दुर्घटनाएं हुई।

शाम छह से नौ बजे के बीच तीन घंटे में होने वाली दुर्घटनाएं देश में कुल दुर्घटनाओं का 20.7 प्रतिशत रहीं। रिपोर्ट के मुताबिक दोपहर 3 बजे और शाम 6 बजे के बीच होने वाली सड़क दुर्घटनाओं का प्रतिशत 17.8 था।

सवाल अनुत्तरित: क्यों ये तीन ही घंटे हो रहे सबसे घातक

बीकानेर और राष्ट्रीय आंकड़ों में यूं तो समानता दिख रही है और यह तथ्य भी साबित हो रहा है कि कि दोपहर तीन बजे से लेकर रात नौ बजे तक हादसों और हताहतों की संख्या सबसे ज्यादा है। लेकिन कारणों को लेकर कुछ भी स्पष्टता नहीं दिख रही है।

यातायात पुलिस का विश्लेषण बताता है कि नौसिखिया वाहन चालक और तेज गति से वाहन चलाना यह दो महत्वपूर्ण तथ्य सामने आए हैं। फिलहाल, रिपोर्ट पर और विशेषज्ञों से भी समीक्षा और अध्ययन करवाया जा रहा है, ताकि हादसों पर प्रभावी नियंत्रण पाया जा सके।

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