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कर्नाटक CM की रेस : वो 5 कारण जिनसे सिद्धरमैया को मिली बढ़त, DK शिवकुमार के खिलाफ गई ये 5 बातें

कर्नाटक CM की रेस : वो 5 कारण जिनसे सिद्धरमैया को मिली बढ़त, DK शिवकुमार के खिलाफ गई ये 5 बातें

Karnataka CM Race: कर्नाटक की कांग्रेस वाली नई सरकार में सिद्धारमैया का मुख्यमंत्री बनना लगभग तय हो गया है। पर्यवेक्षकों की राय जानने के बाद पार्टी आलाकमान सिद्धारमैया और शिवकुमार से मिलकर बातचीत कर चुकी है। कुछ ही देर में आधिकारिक रूप से सिद्धारमैया के नाम की घोषणा हो जायेगी

Karnataka CM Race: कर्नाटक में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया (Siddaramaiah) होंगे। इस बात पर कांग्रेस में सहमित बन गई है। आज शाम तक कांग्रेस आलाकमान द्वारा सिद्धारमैया के नाम की घोषणा की जाएगी। कल बेंगलुरु में सिद्धारमैया राज्य के नए मुख्यमंत्री की शपथ लेंगे। बेंगलुरु में शपथ ग्रहण की तैयारी शुरू हो गई है। सिद्धारमैया के अलावा मुख्यमंत्री पद के दूसरे प्रबल उम्मीदवार डीके शिवकुमार (DK ShivaKumar) को डिप्टी सीएम के साथ-साथ प्रदेश अध्यक्ष बनाए रखा जा सकता है। हालांकि 224 विधानसभा सीट वाले कर्नाटक में 135 सीटों पर जीत हासिल करने के चार दिन बाद भी कांग्रेस द्वारा मुख्यमंत्री का नाम तय नहीं कर पाने को लेकर कई तरह की बातें की जा रही है। सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार के बीच चली इस फाइट में सिद्धारमैया कैसे आगे निकले इसको लेकर चर्चा जारी है।

सिद्धारमैया के पक्ष में गई ये पांच बातें

प्रशासनिक अनुभव और बड़ा जनाधार

सिद्धारमैया की गिनती कर्नाटक में कांग्रेस के सबसे बड़े नेता के रूप में होती है। सिद्धारमैया पहले राज्य में मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं। ऐसे में उनके पास प्रशासनिक अनुभव है। अपने राजनीतिक जीवन में सिद्धारमैया ने 12 चुनाव लड़े, इनमें से 9 में जीत हासिल की। उनका कर्नाटक में बड़ा जनाधार भी है। इस कारण कांग्रेस ने सिद्धारमैया को सीएम बनाने का फैसला लिया है।

सिद्धारमैया की बेदाग छवि, भ्रष्टाचार का कोई केस नहीं

डीके शिवकुमार के मुकाबले सिद्धारमैया की छवि बेदाग है। उनपर भ्रष्टाचार का कोई केस नहीं है। साथ ही मुख्यमंत्री होने के कारण सिद्धारमैया के पास प्रशासनिक अनुभव भी है। सिद्धारमैया 2013 से 2018 तक कर्नाटक के सीएम रहे। इस दौरान उन्होंने टीपू सुल्तान को कर्नाटक में नायक के तौर पर स्थापित करने की कोशिश की। जिसकार उनकी छवि मुस्लिम समुदाय में भी अच्छी मानी जाती है।

नवनिवार्चित विधायकों का साथ

चुनाव पूर्व एग्जिट पोल में सिद्धारमैया को मुख्यमंत्री का प्रबल उम्मीदवार बताया जाता था। चुनाव में जीत के बाद कांग्रेस के नव निवार्चित विधायकों ने भी गुप्त मतदान में सिद्धारमैया के पक्ष में मतदान किया। कांग्रेस सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार 135 में से 90 विधायकों ने सिद्धारमैया को सीएम बनाए जाने की बात कही थी।



गांधी परिवार और खरगे से नजदीकी

सिद्धारमैया गांधी परिवार के करीबी माने जाते हैं। सिद्धारमैया को 2008 में जेडीएस से कांग्रेस में लाने में मल्लिकार्जुन खड़गे की अहम भूमिका मानी जाती है। ऐसे में वे खड़गे के काफी करीबी बताए जाते हैं। सिद्धारमैया कुरुबा समुदाय (ओबीसी) से आते हैं। जो कर्नाटक में तीसरा बड़ा समुदाय है। इसके अलावा यह सिद्धारमैया का आखिरी कार्यकाल हो सकता है। ऐसे में लोगों की सहानुभूति भी उनके साथ है।

सिद्धारमैया का अहिन्दा फार्मूला

कर्नाटक के वोटरों को साथ जोड़ने वाले अहिन्दा फार्मूले पर सिद्धारमैया लंबे समय से काम कर रहे हैं। अहिन्दा में अ मतलब अल्पसंख्यक, हिंदूलिद्वारू (पिछड़ा वर्ग) और दलितारु (दलित वर्ग)। इस फार्मूले के सिद्धारमैया का फोकस राज्य की 61 प्रतिशत आबादी थी। उनका यह प्रयोग काफी चर्चाओं में रहा था और सिद्धारमैया इस फॉर्मूले को लेकर कांग्रेस में शामिल हो गए थे। ऐसे में सिद्धारमैया सामाजिक नजरिए से भी कांग्रेस के लिए फिट हैं।

डीके शिवकुमार के खिलाफ गई ये पांच बातें

शिवकुमार पर मनी लॉन्ड्रिंग, टैक्स चोरी समेत 19 से ज्यादा केस

कर्नाटक कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार पर मनी लॉन्ड्रिंग, टैक्स चोरी समेत 19 से ज्यादा केस हैं। उनके सीएम रेस में पिछड़ने की सबसे बड़ी वजह यहीं है। उनके खिलाफ चल रहे 8 करोड़ रुपए से अधिक के मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ED चार्जशीट पेश कर चुकी है।

वहीं CBI आय से अधिक संपत्ति के मामले में भी जांच कर रही है। ED ने शिवकुमार पर मंत्री रहने के दौरान भारी मात्रा में अवैध और बेहिसाब कैश इकट्‌ठा करने का आरोप लगाया है। ऐसे में डर है कि डीके को किसी भी समय केंद्रीय एजेंसी अपने शिकंजे में ले सकती है।

CBI चीफ से डीके शिवकुमार का 36 का आंकड़ा

हाल ही में सीबीआई के चीफ बनाए गए कर्नाटक के पूर्व डीजीपी प्रवीण सूद से डीके शिवकुमार का 36 का आंकड़ा है। चुनाव पूर्व डीके शिवकुमार ने प्रवीण सूद पर तीखा हमला करते हुए उन्हें नालायक तक कहा था। शिवकुमार ने कहा कि चुनाव के बाद कांग्रेस की सरकार बनी तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। अब कांग्रेस चुनाव तो जीत गई लेकिन इसी बीच केंद्र सरकार ने प्रवीण सूद को सीबीआई का चीफ बना दिया।

जीते हुए विधायकों का साथ नहीं मिलना

इस बात कहीं से संदेह नहीं कि कर्नाटक में कांग्रेस की बड़ी जीत में डीके शिवकुमार की भूमिका बहुत बड़ी है। लेकिन इस जीत के बाद अब नेता चुनने की बारी है। जहां बहुमत की बात होती है। बहुमत की राय में डीको शिवकुमार पिछड़ जा रहे हैं। कर्नाटक के नव निर्वाचित 135 विधायकों में से 90 विधायक सिद्धारमैया को मुख्यमंत्री बनाने के पक्ष में थे।

लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारी

डीके शिवकुमार संगठन को मजबूत बनाए रखने के हिसाब फिट हैं। 2024 का लोकसभा चुनाव अगले साल होना है। ऐसे में पार्टी कर्नाटक में लोकसभा चुनाव में बड़ी जीत हासिल करने के लिए अपने सभी नेताओं को साथ रखने की कोशिश करेगी। संभव है कि डीके को डिप्टी सीएम के साथ-साथ प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेवारी दे दी जाए।

सिर्फ पुराने मैसूर इलाके में ज़्यादा पकड़

डी के शिवकुमार वोक्कालिगा समुदाय के बड़े नेता हैं। कनकपुरा विधानसभा सीट से आठवीं बार चुनाव जीत चुके हैं। लेकिन उनके दामन पर लगे भ्रष्टाचार के दाग उन्हें सत्ता दिलाने में सफल नहीं होंगे। इसके अलावा डीके शिवकुमार की पकड़ पुराने मैसूर इलाके में ज्यादा है। जबकि सिद्धारमैया का जनाधार पूरे प्रदेश में है।

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