22 काे केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी करेंगे दाैरा:एक्सप्रेस-वे: रसूखदाराें काे दाेगुना भुगतान हुआ, छाेटे किसान मुआवजे के लिए काट रहे चक्कर

चार साल बाद भी 500 किसानाें काे नहीं मिला मुआवजा
पंजाब से राजस्थान और गुजरात के जामनगर तक जाने वाले एक्सप्रेस-वे का लाेकार्पण पीएम नरेन्द्र माेदी करेंगे। इसका जायजा लेने के लिए 22 काे केन्द्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी 22 काे बीकानेर आएंगे। इस हाइवे के लिए किसानाें ने अपनी जमीन सरकार काे 2019 में ही साैंप दी लेकिन चार साल बाद भी अपनी ही जमीन की वाजिब कीमत के लिए भटक रहे हैं। किसान नाेखा, बीकानेर और लूणकरणसर एसडीएम और प्राेजेक्ट डायरेकटर हनुमानगढ़ के आगे हार चुके हैं।दरअसल 2019 में एक्सप्रेस वे के लिए भूमि अवाप्त कर ली गई। रसूखदाराें काे पीडी हनुमानगढ़ और संबंधित क्षेत्र के एसडीएम ने मुआवजा देने में देरी ताे दूर उल्टा कई गुना ज्यादा भुगतान कर दिया था। सवाल उठने पर राशि वापस ले ली। ये मामला अब न्यायालय में है, लेकिन जिनकी आंशिक जमीन गई। ऐसे करीब 90 बीघा जमीन के मुआवजे के लिए अब भी भटक रहे हैं। इनमें वे किसान हैं जिसमें किसी का घर गया, किसी का कुआं गया या किसी का कुंड गया। करीब 130 से खातेदार और सहखातेदार हैं। इनकाे भूमि और संरचना अवार्ड के तहत मुआवजा मिलना है। नाेखा एसडीएम ने ताे पीडी काे भुगतान के लिए रिवाइज एस्टीमेट भी भेज दिया, लेकिन तब पीडी राज्य सरकार का एक सर्कुलर ले आए। यानी चार साल में पीडी और एसडीएम तय नहीं कर पाए कि जिनकी जमीन ली उनकाे मुआवजा देना भी है या नहीं और देना है ताे कितना और कब।





केन्द्र राशि दे चुका, अफसराें ने मारी कुंडली
करीब 500 किसानाें का 10 से 13 कराेड़ रुपए अटका हुआ है। इसमें कलेक्टर काे निर्णय कराने हैं। एसडीएम अधिकृत अथाॅरिटी हैं। 1 महीने पहले भी मुद्दा उठाया, लेकिन खबर छपते ही अधिकारी मुआवजा देने के बजाय मामले की लीपापाेती में जुट जाते हैं। सूत्र बताते हैं कि किसान अब गडकरी के सामने अपनी पीड़ा रखने की तैयारी में हैं। इसमें पीडी का रटा-रटाया जवाब भी तैयार है कि हमने ताे राज्य सरकार के सर्कुलर की पालना के लिए कहा। ये एक्सप्रेस-वे बीकानेर के नाेखा, बीकानेर तहसील और लूणकरणसर से हाेकर गुजरा है। एनएच एक्ट 1956 के रूल 14 के तहत संबंधित एसडीएम काे कंपीटेंट अथाॅरिटी ऑफ लैंड एक्वीजेशन ‘काला’ का अधिकार दिया गया। करीब साढ़े चार हजार किसानाें की जमीन अवाप्त हुई है। इसमें 4000 किसानाें काे मुआवजा मिल गया।
बीकानेर तहसील: सर्वाधिक फाइलें इसी तहसील की पेंडिंग हैं। तकरीबन 300 फाइलें एसडीएम के पास हैं। 100 ताे ऐसी हैं जाे कलेक्टर के यहां से रिवाइज हाेकर आ गई मगर डेढ़ साल से किसानाें के मुआवजे की फाइल पर अधिकारी कुंडली मारे बैठे हैं। रिवाइज होने का मतलब कि एसडीएम अधिकृत हैं कि वे अनुमोदन कर भुगतान कराएं, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
नाेखा : नोखा तहसील के रासीसर गांव के करीब 17 खातेदाराें का मामला अभी उलझा है। 2021 में ही काला की आपत्ति पर कलेक्टर ने सुनवाई मामलों को निस्तारित के लिए कहा था। एसडीएम ने रिवाइज अवाॅर्ड भी बना दिए थे। करीब सवा से डेढ़ करोड़ रुपए का भुगतान किसानों को होना है। 2021 से अब तक पैसा नहीं मिला।
लूणरकणसर : यहां के भी करीब 17 खातेदार हैं। एक कराेड़ 15 लाख रुपए के करीब अवाॅर्ड भी दिसंबर 2021 में बन गया था। केन्द्र सरकार से पैसा भी प्राेजेक्ट डायरेक्टर हनुमानगढ़ के पास पहुंच गया मगर किसानाें के हाथ एक रुपए नहीं लगा। यहां के किसानों की करीब 350 बीघा जमीन अवाप्त हुई है। यहां भी एसडीएम स्तर पर ही मामला अटका हुआ है।
पीडी हेमेन्द्र सिंह से एक सवाल अगर आपकी जमीन गई हाेती और 4 साल में आपकाे पैसा ना मिलता ताे आप क्या करते?
जवाब: नाेखा से जाे रिवाइज एस्टीमेट आया उसमें हमने राज्य सरकार का एक सर्कुलर का हवाला देकर पूछा है कि कच्ची सड़काें काे रास्ता मानें या पक्की काे। इसके बाद एसडीएम का जवाब नहीं आया। मेरा काेई मकसद नहीं है किसी का पैसा राेकने का, लेकिन सरकार के नियमाें की ताे पालना करनी हाेगी। ये सच है कि अपनी जमीन का पैसा ना मिले ताे कष्ट हाेता है।
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