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दो दशक से फरार था PLFI चीफ, आंखों में न आए इसके लिए नेपाल में चलाया ढाबा, जानें फिर कैसे एक गलती बनी अरेस्ट की वजह

दो दशक से फरार था PLFI चीफ, आंखों में न आए इसके लिए नेपाल में चलाया ढाबा, जानें फिर कैसे एक गलती बनी अरेस्ट की वजह

उसने खुद की पहचान छिपाने के लिए दाढ़ी बढ़ाकर पगड़ी पहन ली थी।

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पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएलएफआई) के प्रमुख दिनेश गोप उर्फ ​​कुलदीप यादव को एनआईए ने रविवार को गिरफ्तार कर लिया है। गोप के खिलाफ करीब 102 आपराधिक मामले दर्ज हैं। इतना ही नहीं पुलिस ने इस मोस्ट वांटेड नक्सली पर 30 लाख रुपये का इनाम भी रखा था। उसके ठिकाने का पता लगाने में उसके पर्सनल नंबर के कॉल से पुलिस को काफी मदद मिली। वह नेपाल में छिपकर रह रहा था।

दो दशक से था फरार

गोप करीब दो दशक से फरार चल रहा था। उसे पता था कि उसके फोन की वजह से वह पकड़ा जा सकता है इसलिए वह हर फोन कॉल के बाद हैंडसेट और सिम कार्ड को तोड़कर फेक देता था। पिछले 13 महीनों से गोप खुद को एक सिख के रूप में पेश कर रहा था। खुद की पहचान छिपाने के लिए उसने दाढ़ी बढ़ा ली थी और पगड़ी पहन ली थी। वह बिहार बॉर्डर पर नेपाल के बिराटनगर में एक ढाबा चलाता था। गोप ने पूछताछ में एनआईए के अधिकारियों को बताया कि वह इतने महीनों से झारखंड, बिहार और ओड़िशा में अपने ‘कमांडरों’ के संपर्क में रहा और ठेकेदारों से अपने सालाना करोड़ों रुपये वसूले। गोप का कहना है कि वह पीएलएफआई के लिए धन जुटा रहा था।

इधर एजेंसियों को उसका कोई नंबर नहीं मिल रहा था जिससे वे उसे ट्रैक कर रहे थे। सूत्रों का कहना है कि उसने कुछ दिनों पहले ही झारखंड के एक लोकल बीजेपी नेता के पास जबरन वसूली करने के लिए कॉल की थी। जिसके बाद एजेंसियों ने उसके सभी करीबियों पर नजर रखनी शुरू कर दी।

ऐसे आया पकड़ में

इसके बाद एजेंसियों ने उसकी कॉल डिटेल निकालनी शुरू कर दी। जहां से एक नंबर मिला जो नेपाल का था। उसी नंबर से पंचायत में काम करने वाले झारखंड निवासी को कॉल गई थी। सूत्रों का कहना है कि पंचायच का सदस्य पीएलएफआई का सदस्य नहीं है मगर स्थानीय जानकारी लेने के लिए उसे हमेशा फोन करता था। एजेंसी से जानकारी जुटाने के बाद एक टीम को नेपाल रवाना किया। वहां अधिकारी ने गोप को बिराटनगर के एक ढाबे पर देखकर हैरान रह गए। इसके बाद टीम ने उसे गिरफ्तार कर लिया औऱ एनआईए को सौंप दिया।

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