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एनआरसीसी द्वारा उष्ट्र दुग्ध उपयोगिता पर डॉ.डी.वाई.पाटिल विद्यापीठ पुणे में चर्चा

बीकानेर।भाकृअनुप-राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंन्धान केन्‍द्र (एनआरसीसी) द्वारा ऊँटनी के दूध की मानव स्वास्थ्य में उपयोगिता पर डॉ. डी. वाई. पाटिल मेडिकल कॉलेज, हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर,पुणे में एक परिचर्चा आयोजित की गई । परिचर्चा में कॉलेज के विभिन्न संकाय के विषय-विशेषज्ञों, अनुसंधानकर्ताओं, विद्या‍र्थियों ने सक्रिय रूप से भाग लिया। परिचर्चा के दौरान केन्‍द्र निदेशक डॉ.आर्तबन्‍धु साहू ने ‘कैमल मिल्क एज ए न्यूट्रास्यूटिकल ऐजवन्ट इन ह्यूमन हैल्थ’ विषय पर व्याख्यान प्रस्तुत करते हुए कहा कि ऊँटनी का दूध अपने विशिष्ट औषधीय गुणधर्मों के कारण मधुमेह, टी.बी., ऑटिज्म आदि मानवीय रोगों में उपयोगी पाया गया है, मानव के बेहतर स्वास्थ्य हेतु इस दूध पर और अधिक गहन अनुसंधान किया जाना समय की मांग है।

ऐसे में एनआरसीसी सहयोगात्मक अनुसंधान कार्यों पर जोर दे रहा है ताकि दूध की उपयोगिता को लेकर त्वरित परिणाम प्राप्‍त किए जा सकें और इस प्रजाति के दूध का लाभ पूरे मानव समाज को मिल सकें। डॉ.साहू ने भारत सहित विश्‍व के उष्ट्र बाहुल्य देशों में ऊँटों की स्थिति, उष्‍ट्र प्रजाति के संरक्षण एवं विकास हेतु एनआरसीसी द्वारा किए जा रहे अनुसंधान कार्यों, ऊँटनी के दूध से विकसित दुग्ध उत्पाद, उष्ट्र पालन व्यवसाय चुनौतियों एवं संभावनाओं पर विस्तृत जानकारी दीं।
इस दौरान डॉ. साहू द्वारा डॉ.डी.वाई.पाटिल विद्यापीठ के अधिष्ठाता डॉ. जे. एस. भवाळकर के साथ ऊँटनी के दूध की औषधीय गुणधर्मों एवं इनकी विभिन्न मानव रोगों में लाभकारिता एवं अन्य संभावनाओं पर विशेष वार्ता की गई। साथ ही एनआरसीसी द्वारा डॉ.डी.वाई. कॉलेज के साथ गत वर्ष किए गए एमओयू का भौतिक विनिमय भी किया गया। डॉ. जे. एस. भवाळकर ने एनआरसीसी के साथ हुए एमओयू के उद्देश्य का जिक्र करते हुए कहा कि ऊँटनी के दूध एवं दूध उत्पादों का मानव स्वास्थ्य यथा- श्वसन एवं गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याओं की रोकथाम, उनमें मधुमेह प्रबंधन हेतु एक सहायक चिकित्सा के रूप में सहयोगात्मक अनुसंधान कार्य के उद्देशार्थ किया गया है, इसी क्रम में आयोजित परिचर्चा संबद्ध चिकित्सकों एवं विषय-विशेषज्ञों के लिए महत्ती रूप से सहायक सिद्ध हो सकेगी।
अधिष्ठाता के साथ हुई इस वार्ता के दौरान एनआरसीसी द्वारा नव निर्मित फ्रीजड्राइड कैमल मिल्क उत्पाद को प्रदर्शित किया गया तथा इस उत्पाद के वैज्ञानिक विश्लेषण पर चर्चा हुई। बैठक में मेडिकल कॉलेज की डॉ. शैलजा माने, प्रोफेसर, डिपार्टमेंट ऑफ पीडीऐट्रिक्स, तथा फिजियोलॉजिस्ट, बॉयोटैक्नोलॉजिस्‍ट, न्यूरोसाइकोलॉजिस्ट आदि के विषय-विशेषज्ञों ने सहभागिता निभाई वहीं डॉ.साहू ने मेडिकल कॉलेज पुणे के ह्युमन मिल्क कलेक्शन, प्रयोगशालाओं एवं एनिमल शैड आदि का अवलोकन करवाया गया।
तत्पश्चात् डॉ.साहू ने प्रो.एन.जे.पवार, कुलपति डॉ.डी.वाई.पाटिल विद्यापीठ से भी एनआरसीसी गतिविधियों एवं ऊँटनी के दूध पर हो रहे अनुसंधान कार्यों को लेकर मुलाकात कीं । प्रो.एन.जे.पवार ने कहा कि एनआरसीसी द्वारा ऊँटनी के दूध का मानव स्‍वास्‍थ्‍य में महत्व हेतु अनुसंधानिक शुरूआत की गई है, अब डी. वाई. पाटिल मेडिकल कॉलेज की तरह अन्‍य अनुसंधान एवं चिकित्‍सा संबद्ध संस्थान भी इस दिशा में दूरगामी परिणाम हेतु सहयोगात्‍मक अनुसंधान कार्यों को आगे बढ़ाने हेतु आगे आएं। सहयोगात्‍मक अनुसंधान से विषय-विशेषज्ञों के ज्ञान-अनुभव का आदान-प्रदान न केवल संबद्ध संस्‍थानों के महत्‍व को बढ़ाने में सहायक होगा अपितु इससे देश में उष्‍ट्र प्रजाति के संरक्षण एवं विकास को भी बल मिल सकेगा।

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