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सादूल राजस्थानी रिसर्च इंस्टीट्यूट के तत्वावधान में पद्मश्री राजस्थानी कवि कन्हैयालाल सेठिया की जयंती कार्यक्रम


बीकानेर/ सादूल राजस्थानी रिसर्च इंस्टीट्यूट बीकानेर के तत्वावधान में सोमवार को राजकीय संग्रहालय परिसर स्थित संस्था सभाकक्ष में राजस्थानी के ख्यातनाम कवि पद्मश्री कन्हैयालाल सेठिया की 104वीं जयंती के अवसर पर श्रद्धांजलि एवं पुष्पांजलि कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता शिविरा के पूर्व संपादक – शिक्षाविद ओमप्रकाश सारस्वत ने की । समारोह के मुख्य अतिथि व्यंगकार-सम्पादक डाॅ.अजय जोशी थे तथा विशिष्ट अतिथि साहित्यकार मोहनलाल जांगिड रहे।
प्रारंभ में राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के कोषाध्यक्ष कवि-कथाकार राजेन्द्र जोशी ने विषय परिवर्तन कर सेठियाजी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उन्होंने जीवन पर्यन्त राजस्थानी की सेवा करते हुए कालजयी रचनाएं पाठको को देते हुए चौदह हिन्दी , उन्नीस राजस्थानी पुस्तको सहित उर्दू एवं संस्कृत भाषा में कलम चलाई।
अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए सारस्वत ने कहा कि कन्हैयालाल सेठिया रचित गीत धरती धोरां री को मरुप्रदेश राजस्थान के प्रदेश गीत की मान्यता देकर विशिष्ट अवसरों पर इसके गायन का प्रोटोकॉल शासन को निर्धारित करना चाहिए ।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि व्यंगकार-सम्पादक डाॅ.अजय जोशी ने कहा कि कन्हैया लाल जी सेठिया ने कालजयी रचनाओं का सृजन किया उनकी कविताओं में गेयता होती थी और कथ्य और शिल्प की दृष्टि से बेहतरीन रही है । उन्होंने आज की पीढ़ी को उनके सृजन से प्रेरित होकर राजस्थानी में अच्छा से अच्छा साहित्य सृजित करना चाहिए और इस भाषा को और अधिक समृद्ध बनाना चाहिए।
विशिष्ट अतिथि साहित्यकार डाॅ.मोहनलाल जागिड ने कहा कि
राजस्थानी व हिंदी साहित्य के सशक्त कवि-साहित्यकार व स्वतंत्रता सैनानी कन्हैयालाल सेठिया, ‘पद्म श्री सम्मान’, ‘सूर्यमल मीसण️ शिखर पुरस्कार’, ‘पृथ्वीराज राठौड़ पुरस्कार’, ‘मूर्तिदेवी साहित्य पुरस्कार’, ‘डॉ. तेस्सीतोरी स्मृति स्वर्ण पदक’ आदि कई सम्मानों से सम्मानित सेठियाजी को 2005 में राजस्थान विश्वविद्यालय द्वारा डॉक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया।
वरिष्ठ साहित्यकार राजाराम स्वर्णकार ने शोधार्थियों का आह्वान किया कि उनकी रचनाओं पर अधिकाधिक शोधकार्य होना चाहिए।
कार्यक्रम में वरिष्ठ कवि जुगल पुरोहित ने कहा कि पाथळ अर पीथळ में बहुत चर्चित रचना ‘अरे घास की रोटी…’ आज भी बहुत लोकप्रिय हैं। शायर अब्दुल शकूर सिसोदिया ने सेठियाजी की कालजयी रचनाओं का सस्वर वाचन किया। कार्यक्रम में पुस्तकालयाध्यक्ष विमल शर्मा ने भी विचार रखे। कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ रंगकर्मी बी.एल.नवीन ने किया।
कार्यक्रम में अतिथियों के साथ अनेक लोगो ने सेठियाजी के चित्र पर पुष्पांजली अर्पित की।

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