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भारत में बनाकर भारतीयों को ही महंगा बेच रहे:iPhone 15 अमेरिका में 40% तक सस्ता; आखिर वजह क्या है

भारत में बनाकर भारतीयों को ही महंगा बेच रहे:iPhone 15 अमेरिका में 40% तक सस्ता; आखिर वजह क्या है

ईद पर सलमान खान की मूवी और सितंबर में नए iPhone की रिलीज पिछले कुछ सालों से तय मानी जाती है। 12 सितंबर को iPhone 15 सीरीज लॉन्च के साथ ये सिलसिला जारी रहा। इस बार iPhone 15 भारत में भी असेंबल हो रहा है, इसलिए भारतीय ग्राहकों को कीमत घटने की उम्मीद थी। हालांकि एपल ने इन उम्मीदों पर पानी फेर दिया।

उदाहरण के तौर पर…

  • भारत में आईफोन 15 की कीमत 79,900 रुपए रखी गई है, जबकि अमेरिका में यही फोन 799 डॉलर (66,426 रुपए) में बिक रहा है।
  • भारत में आईफोन 15 प्रो की कीमत 1,34,900 रुपए है, जबकि अमेरिका में यही मोबाइल 999 डॉलर (83,048 रुपए) में बिक रहा है।
  • भारत में आईफोन 15 प्रो मैक्स (1 टीबी) वैरिएंट की कीमत 1,99,900 रुपए है, जबकि यही मोबाइल अमेरिका में 50% सस्ता यानी 1,32,717 रुपए का बिक रहा है।

जानेंगे कि भारत में असेंबल होने के बावजूद आईफोन 15 की कीमतें अमेरिका और दुबई जैसे देशों के मुकाबले महंगी क्यों हैं, मोबाइल मैनुफैक्चरिंग में चीन के मुकाबले अभी हम कहां खड़े हैं…

कैलिफोर्निया के कूपरटिनो स्थित एपल के ऑफिस में लॉन्चिंग इवेंट के दौरान आईफोन 15 प्रो का मुआयना करती एक महिला। (Photo: Apple.com)

कैलिफोर्निया के कूपरटिनो स्थित एपल के ऑफिस में लॉन्चिंग इवेंट के दौरान आईफोन 15 प्रो का मुआयना करती एक महिला। (Photo: Apple.com)

भारत में बनने के बावजूद आईफोन 15 यहां महंगा क्यों बिकता है?

आगे बढ़ने से पहले दो बातें समझनी जरूरी हैं। पहली- भारत में आईफोन 15 मैनुफैक्चर नहीं होता, सिर्फ असेंबल किया जाता है। आईफोन 15 के अलावा आईफोन 15 प्रो सीरीज की कोई डिवाइस भारत में असेंबल भी नहीं होती। ये पूरी तरह डिब्बा बंद होकर भारत में इंपोर्ट की जाती है।

आईफोन 15 प्रो मॉडल्स पूरी तरह तैयार पैक होकर इंपोर्ट किए जाते हैं। सरकार इन पर 22% इंपोर्ट ड्यूटी और 2% सोशल वेलफेयर सरचार्ज लगाती है। इस पर 18% जीएसटी भी लगता है। इस वजह से आईफोन 15 प्रो मॉडल्स पर भारत में कुल टैक्स मिलाकर करीब 40% हो जाता है।

आईफोन 15 का सिस्टम थोड़ा अलग है। इसके अलग-अलग पुर्जे इंपोर्ट किए जाते हैं और फिर इन्हें भारत में असेंबल किया जाता है। ताइवान की फॉक्सकॉन टेक्नोलॉजी ग्रुप ने चेन्नई के पास श्रीपेरंबदूर में एक प्लांट तैयार किया है, जहां आईफोन 15 असेंबल किया जाता है।

आईफोन 15 में लगने वाले सारे कंपोनेंट्स विदेशों से इंपोर्ट किए जाते हैं, जिस पर कस्टम ड्यूटी लगती है। मसलन- आईफोन का डिस्प्ले सैमसंग बनाती है, जिस पर 20% इंपोर्ट ड्यूटी लगती है। इसके अलावा सर्किट बोर्ड, ट्रांजिस्टर्स, प्रोसेसर्स सभी पर इंपोर्ट ड्यूटी और उसके बाद 18% जीएसटी लगता है। ये सब मिलाकर फाइनल प्रोडक्ट की कीमत ज्यादा हो जाती है।

जब भारत के ग्राहकों को सस्ता नहीं मिलेगा, फिर iPhone 15 की घरेलू असेंबलिंग का क्या फायदा?
एपल ने भारत में अभी आईफोन असेंबल करना शुरू ही किया है। अगले दो सालों में दुनिया का हर 5वां आईफोन भारत में बनाने का टारगेट है। आईफोन मैनुफैक्चरिंग के लिए एपल चीन+1 का अप्रोच चाहता है। वो इस दिशा में आगे भी बढ़ रहा है। भारत ने भी अपनी बाहें फैला रखी हैं।

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट स्पीच में मोबाइल कैमरा लेंस और लीथियम ऑयन बैट्री जैसे प्रोडक्ट्स पर इंपोर्ट ड्यूटी घटाने की बात कही थी। आईटी हार्डवेयर के लिए भारत ने सेकेंड राउंड प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम भी जारी की है, जिसमें फॉक्सकॉन ने भी आवेदन किया है।

जनवरी 2023 में कॉमर्स मिनिस्टर पीयूष गोयल ने कहा था कि आईफोन का 5% से 7% निर्माण भारत में होता है। इसे 25% तक बढ़ाना है।

इसके अलावा भारत के टाटा ग्रुप ने एपल के सप्लायर विस्त्रों कॉर्प्स के साथ एक डील की है। पहली बार कोई देसी कंपनी आईफोन असेंबल करना शुरू करेगी। इन सभी डेवलपमेंट का असर आने वाले सालों में आईफोन की कीमत पर देखने को मिल सकता है।

फॉक्सकॉन के श्रीपेरंबदूर स्थित फैक्ट्री में काम करती फीमेल वर्कर्स। इसी प्लांट में आईफोन 15 की एडवांस असेंबलिंग की गई है।

फॉक्सकॉन के श्रीपेरंबदूर स्थित फैक्ट्री में काम करती फीमेल वर्कर्स। इसी प्लांट में आईफोन 15 की एडवांस असेंबलिंग की गई है।

चीन के मुकाबले मोबाइल मैनुफैक्चरिंग में हम कहां खड़े हैं?

आईफोन्स पहली बार भारत में मई 2017 में बनाए गए थे, लेकिन वो पुरानी सीरीज के फोन थे। इस साल फॉक्सकॉन के चेन्नई प्लांट ने पिछले महीने ही iPhone 15 बनाना शुरू कर दिया है। इससे भारत ने चीन के मुकाबले मैन्युफैक्चरिंग की दावेदारी पेश कर दी है।

भारत में फिलहाल सिर्फ आईफोन 15 यानी बेस वर्जन ही असेंबल किया गया। प्रो सीरीज के मोबाइल अभी भी बाहर ही असेंबल किए जाते हैं। इसकी बड़ी वजह सप्लाई चेन है।

चीन में पहले से ही एपल के पार्टनर और वेंडर मौजूद हैं, जिससे वहां बनाना सस्ता और सुविधाजनक पड़ता है। भारत इस सेक्टर में अभी नया है, लेकिन शुरुआत हो चुकी है। इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगले 2-3 सालों में भारत पूरा इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा कर लेगा।

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