कर्नल जयसिंह के नाम पर रखा गया बीएसएफ एडमिन ब्लॉक का नाम,सरकार का युद्ध वीरों को युवा हृदयों में अमर करने का संकल्प, डीआईजी बीएसएफ पुष्पेंद्र सिंह राठौर की नई पहल: कर्नल जयसिंह ऑफ थैलासर के पुत्र रहे उपस्थित
बीकानेर। बीकानेर बीएसएफ के एडमिन ब्लॉक का नाम कर्नल जयसिंह के नाम पर रखा गया है। बीएसएफ डीआईजी पुष्पेंद्र सिंह राठौर ने बताया कि कर्नल जयसिंह के नेतृत्व में वर्ष 1965 में भारत-पाक युद्ध के दौरान सुप्रसिद्ध तनोट युद्ध लड़ा गया। यह युद्ध उन्होंने जिन परिस्थितियों में लड़ा और जीता, वह स्वयं उनके जीवट और नेतृत्व तथा सहयोगी जवानों के समर्पण व शौर्य की जीवंत यथोगाथा है। इस युद्ध में उन्होंने उच्च कोटि के रणकौशल का प्रदर्शन किया।
सन् 1965 युद्ध के विजेता कर्नल जयसिंह को मरू क्षेत्रीय युद्धों में निष्णात और सैन्य दृष्टि से पश्चिमी सीमान्त के गहन अध्येता, ज्ञाता और विशेषज्ञ की प्रतिष्ठा प्राप्त हो गई थी। उन्होंने ऊँट की पीठ पर सवार होकर 1800 मील की विजयी यात्रा मात्र तीन माह में पूर्ण की। जिसके उपरान्त वे “लारेन्स ऑफ थार” की पदवी से नवाजे गये।
1971 के युद्ध में उन्हें रेगिस्तानी क्षेत्र की रक्षा का दायित्व सौंपा गया। उन्होंने अपने इस दायित्व को प्राण-पण से निभाया और लोगोंवाला युद्ध में अजेय भारतीय शौर्य को एक बार फिर साकार किया
इससे पूर्व तनोट में सन् 1965 व जैसलमेर में सन् 1971 के ‘जय स्तम्भ’ उनकी कीर्ति की अमर पताकाएं हैं। साथ ही उनकी वीरता की याद में उनके गृह जिले चुरू कलैक्ट्रेट परिसर में भी जय स्तम्भ की स्थापना की गयी है। सन् 1999 में भारत सरकार ने जैसलमेर की सरहद पर आपके नाम पर एक पोस्ट का नाम ‘जय चौकी’ रखा है।उन्होंने सीमा सुरक्षा बल की चौदहवीं और अठाहरवीं वाहिनी को भी कमाण्ड किया एवं अठाहरवीं वाहिनी को कमाण्ड करते हुए बीकानेर सेक्टर में स्थित इसी प्रशासनिक भवन को सुशोभित किया। इसी लिए पुष्पेन्द्र सिंह राठौड़, डीआईजी, सेक्टर मुख्यालय, सीमा सुरक्षा बल, बीकानेर के दूरदर्शी एवं अथक प्रयत्नों से कर्नल जयसिंहजी के सीमा सुरक्षा बल में किये गये कार्यों को चिर स्थाई एवं अविस्मरणीय बनाने के संकल्प के तौर पर 124वीं वाहिनी, सीमा सुरक्षा बल के प्रशासनिक भवन का नामकरण, “कर्नल जयसिंह प्रशासनिक भवन” विधिपूर्वक एवं समारोह पूर्वक किया गया। इस अवसर पर उनके पुत्र डॉ अजीत सिंह सहित अनेक बीएसएफ अधिकारी कार्यक्रम में उपस्थित रहे।
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