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साहित्यकार मौन साधक और तपस्वी होता है: मरु नवकिरण के भवानीशंकर व्यास विनोद पर केन्द्रितअंक का लोकार्पण

बीकानेर/ साहित्य कला और संस्कृति को समर्पित हिंदी की त्रैमासिक पत्रिका मरु नवकिरण के वरिष्ठ साहित्यकार भवानीशंकर व्यास विनोद पर केंद्रित सितंबर – अक्टूबर अंक का लोकार्पण पवनपुरी में किया गया। लोकार्पण समारोह की अध्यक्षता करते हुए साहित्यकार बुलाकी शर्मा ने कहा कि आदरणीय गुरूजी के रचनाकर्म पर आधारित यह अंक पाठकों हेतु पठनीय एवं संग्रहणीय है। मुख्य अतिथि डाॅ.नीरज दइया ने बताया कि बीकानेर की कला, साहित्य एवं संस्कृति की गौरवशाली परंपरा रही है उसी परंपरा को आगे बढ़ाने का काम व्यास जी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि बीकानेर को कला साहित्य संस्कृति की राजधानी कहें तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। विशिष्ट अतिथि कमल रँगा ने कहा कि मरु नवकिरण का यह विशेषांक संग्रहणीय है, युवा पीढी को इनके व्यक्तित्व-कृतित्व को आत्मसात करना चाहिए।
पत्रिका के प्रधान संपादक डॉ. अजय जोशी ने बताया कि यह अंक वरिष्ठ साहित्यकार, भवानीशंकर व्यास विनोद के व्यक्तित्व एवं कृतित्व के रचनात्मक अवदान पर केंद्रित है, उन्होंने बताया इस अंक के लिए देश भर से आलोचकों एवं समीक्षकों ने भवानी शंकर व्यास के रचना कर्म पर अलग-अलग टिप्पणियां प्रस्तुत की है। ने कहा कि व्यास जी लोक के साहित्यकार है,वे सदैव जनता-जनार्दन के बीच रहते हैं। संस्कृतिकर्मी राजेन्द्र जोशी ने कहा कि साहित्यकार को एक सामाजिक व्यक्ति के रूप में देखा जाना चाहिए। सामाजिक व्यक्ति ही समाज की विडंबनाओं को अपने पाठकों के सम्मुख रख सकता है। उन्होंने मरु नवकिरण के संपादकों को बधाई देते हुए कहा कि इस पत्रिका का नियमित प्रकाशन होना पत्रिका की गुणवत्ता को निर्धारित करता है। इस अंक के अतिथि संपादक वरिष्ठ साहित्यकार राजाराम स्वर्णकार ने संपादकीय पहलुओं को साझा करते हुए कहा कि इस अंक को पढ़ने वाला पाठक इसे संग्रहित करके तो रखेगा ही साथ ही शोधार्थियों के लिए यह अंक बहुत उपयोगी साबित होगा। स्वर्णकार ने कहा कि इस अंक के प्रकाशन में यह प्रयास किया गया है कि रचनाकार के समस्त पहलुओं एवं विधाओं को इसमें शामिल किया जाए, उन्होंने कहा कि भवानीशंकर व्यास की सृजनात्मकता को जानने और समझने के लिए मरु नवकिरण का यह अंक प्रत्येक पाठक तक पहुंचे यह सबसे बड़ी सफलता होगी। डॉ. सुमन बिस्सा, आनँदकौर व्यास, डॉ. नरसिंह बिन्नाणी, गिरिराज पारीक, गोविंद जोशी ने भी अपने विचार व्यक्त किए।


इस अवसर पर भवानी शंकर व्यास विनोद ने कहा कि समाज ने मुझे बहुत कुछ दिया है। एक रचनाकार के रूप में मैं खुद को समाज से अलग नहीं कर सकता। मैं यह भी जानता हूं की जिम्मेदारी जो मुझे घर परिवार और समाज ने दी है उसे पूरी करने का काम मैं अपनी लेखनी के माध्यम से ही करता रहा हूँ। मरु नवकिरण परिवार का मैं साधुवाद करता हूं जिन्होंने अपनी इस लोकप्रिय पत्रिका में मेरे रचनाकार को सम्मान दिया। बीकानेर सम्भाग की पहली राजस्थानी महिला उपन्यासकार आनँदकौर व्यास ने सभी के प्रति आभार माना।

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