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…तो मौत की सजा से बच जाएंगे 8 भारतीय? भारत की अपील के बाद मिला कॉन्सुलर एक्सेस

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…तो मौत की सजा से बच जाएंगे 8 भारतीय? भारत की अपील के बाद मिला कॉन्सुलर एक्सेस

कतर में 8 भारतीयों की मिली फांसी की सजा के बाद गुरुवार का दिन काफी अहम रहा है। भारत सरकार की तरफ इन पूर्व नौसैनिकों की सजा के खिलाफ अपील की गई है। खास बात है कि दोहा में भारतीय दूतावास को एक बार फिर से कॉन्सुलर एक्सेस मिला है।

arindam

नई दिल्ली : कतर में फांसी की सजा पाए इंडियन नेवी के 8 पूर्व कर्मियों को लेकर दो मोर्चों पर राहत की खबर आई है। पहली खबर है कि भारत ने इन लोगों की फांसी की सजा के खिलाफ अपील की है। दूसरी खबर है कि भारत को एक बार फिर जेल में बंद लोगों से मुलाकात को कॉन्सुलर एक्सेस मिला है। मालूम हो कि ये सभी आठ भारतीय नागरिक अल दाहरा कंपनी के कर्मचारी हैं। ये लोग अल दहरा सिक्योरिटी कंपनी के तहत, भारतीय पिछले कुछ वर्षों से कतर के नौसैनिकों को प्रशिक्षण दे रहे थे। इन 8 कर्मियों में पूर्व भारतीय नौसेना कर्मियों में कैप्टन सौरभ वशिष्ठ, कमांडर पूर्णेन्दु तिवारी, कैप्टन बीरेंद्र कुमार वर्मा, कमांडर सुगुनाकर पकाला, कमांडर संजीव गुप्ता, कमांडर अमित नागपाल और नाविक रागेश शामिल हैं।

क्या बोले विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता

इस पूरे मामले को लेकर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, जैसा कि हमने पहले बताया था, कतर की प्रथम दृष्टया अदालत ने 26 अक्टूबर को 8 भारतीय कर्मचारियों से जुड़े मामले में फैसला सुनाया था। यह फैसला गोपनीय है और इसे केवल कानूनी टीम के साथ साझा किया गया है। बागची ने कहा कि अब आगे कानूनी कदम उठा रहे हैं। एक अपील पहले ही दायर की जा चुकी है। हम इस मामले में कतरी अधिकारियों के साथ भी जुड़े रहेंगे।

फिर से मिला कॉन्सुलर एक्सेस

बागची ने कहा कि 7 नवंबर को, दोहा में हमारे दूतावास को बंदियों तक एक और कांसुलर पहुंच प्राप्त हुई। हम उनके परिवार के सदस्यों के संपर्क में हैं भी…. हम सभी कानूनी और कांसुलर समर्थन देना जारी रखेंगे। उन्होंने कहा किमैं सभी से आग्रह करूंगा कि मामले की संवेदनशील प्रकृति को देखते हुए अटकलों में शामिल न हों। इससे पहले भी कतर में भारत के राजदूत ने राजनयिक पहुंच मिली थी। उस समय 1 अक्टूबर को जेल में बंद इन भारतीयों से मुलाकात की थी।

20 साल तक नेवी में काम

भारतीय नौसेना के आठों पूर्व अधिकारियों के खिलाफ इस साल 25 मार्च को आरोप पत्र दायर किया गया था। इसके बाद उन पर कतर के कानून के तहत मुकदमा चलाया गया था। अधिकारियों के अनुसार सभी पूर्व नौसेना अधिकारियों का भारतीय नौसेना में 20 साल तक का ‘बेदाग कार्यकाल’ था और उन्होंने सैन्य बल में प्रशिक्षकों सहित महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया था। नौसेना के पूर्व कर्मियों को कतर की अदालत द्वारा मौत की सजा दिए जाने के बारे में नौसेना प्रमुख एडमिरल आर. हरि कुमार ने कहा था कि केंद्र सरकार उनकी रिहाई के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा था कि (केंद्र) सरकार हमारे अधिकारियों को राहत सुनिश्चित करने के लिए हर संभव कोशिश कर रही है।

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