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28 वां अंतरराष्ट्रीय ऊंट उत्सव : बिना पर्यटको के हुआ संपन्न ।

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28 वां अंतरराष्ट्रीय ऊंट उत्सव : बिना पर्यटको के हुआ संपन्न ।

मोहम्मद रफीक पठान आकाशवाणी दूरदर्शन संवाददाता बीकानेर

रेगिस्तान का जहाज कहे जाने वाला ऊंट आज भी रेगिस्तान में जीने का आधार बना हुआ है । पिछले 27 वर्षों से बीकानेर में मनाया जाने वाला विश्व स्तरीय ऊंट उत्सव ना केवल आम लोगों के लिए बल्कि देशी-विदेशी सैलानियों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बना हुआ है 2021 में कोविड-19 के चलते इस आयोजन को स्थगित करना पड़ा था वही वर्ष 2022 जनवरी में भी इसे स्थगित किया गया , लेकिन संभागीय आयुक्त नीरज के पवन के प्रयास की वजह से और कोविड-19 में कमी आने के बाद राज्य सरकार ने इस ऊंट उत्सव को 6 से 8 मार्च को मनाए जाने की मंजूरी दे डाली । आनन-फानन में मंजूरी मिलने के बाद जिला प्रशासन और पर्यटन विभाग ने तत्परता बरतते हुए इसे मनाए जाने के स्थान निर्धारित कर डालें । ( वर्ष 2019 से पहले शहर के गांव कतरियासर और बाद में लाडेरा में एक दिन ऊंट उत्सव का दिन तय होता था । जहां गांव की संस्कृति खानपान रहन सहन से देसी विदेशी सैलानी और आमजन रूबरू होते थे इन गांव के चलते और जिसका आकर्षण इतना था कि बीकानेर में बहुतायत में देशी-विदेशी पर्यटक ऊंट उत्सव के नाते इन गांवों से जुड़ते थे इनके जुड़ने से पर्यटन को तो बढ़ावा मिलता ही था और रोजगार के अवसर भी उपलब्ध होते थे लेकिन पिछले चंद सालों में सिर्फ बीकानेर को ही अंतर्राष्ट्रीय ऊंट उत्सव तक सीमित कर दिया गया ) इस बार के पहले दिन के प्रोग्राम राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान मैदान मैं आयोजित किया गया । 6 मार्च को रविवार होने से स्थानीय लोगों की कुछ हद तक भीड़ भी जुटी । राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केंद्र के पहली बार इस प्रयास से हालांकि अव्यवस्था और आयोजन में बिखराव तो नजर आया ही । वही देसी विदेशी सैलानियों के बिना आयोजन की रंगत फीकी नजर आई । उधर लगातार घट रही ऊंटों की संख्या के चलते इस बार ऊंट उत्सव में ऊंट भी गिनती के ही नजर आए । 2020 के कार्यकाल के दौरान जिला कलेक्टर कुमार पाल गौतम ने इस अंतरराष्ट्रीय उत्सव में कुछ रोचता लाने के प्रयास किए थे । जो काफी हद तक वे सफल भी हुए । उस दौरान सूरसागर में संगीत संध्या का आयोजन अपने आप में अनूठा तो रहा ही वहीं पूरे आयोजन में रोचकता नज़र भी आई । नए पर्यटक भी जुड़ें । लेकिन इस बार तीन दिवसीय उत्सव में सिर्फ और सिर्फ आयोजन करना भर ओर आयोजन की संख्या में बढ़ोतरी की जाकर सरकारी रुपयों का दुरुपयोग नज़र आया । आयोजन में प्रथम दिन 6 मार्च को अल सुबह लक्ष्मीनाथ मंदिर से ऐतिहासिक रामपुरियों की हवेलियों तक हेरिटेज वॉक का आयोजन कर इसका आगाज किया गया । जहां संभागीय आयुक्त नीरज के. पवन, पुलिस महानिरीक्षक ओमप्रकाश, जिला कलक्टर भगवती प्रसाद कलाल, पुलिस अधीक्षक योगेश यादव, बीएसएफ के डीआईजी पुष्पेन्द्र सिंह ने नगर सेठ के दर्शन कर, जयकारों के साथ हेरिटेज वॉक को रवाना किया। हैरिटेज वॉक में सजे-धजे ऊंट, इन पर बैठे रोबीले और पारम्परिक वेशभूषा में सजी-धजी महिलाओं की मौजूदगी में बाड़मेर के गेर नृत्य, जोधपुर के कालबेलिया, गुजरात के सिद्धि धमाल, खाजूवाला के मशक वादकों और भरतपुर के नगाड़ों के साथ शहरवासी भी थिरकने लगे। वहीं पुलिस अधीक्षक ने फोटोग्राफी में भी हाथ आजमाया। लोक कलाकारों के साथ सेल्फी लेते रहे। विभिन्न स्थानों पर रंगोली सजाकर मेहमानों का स्वागत किया गया।
हैरिटेज वॉक के दौरान इंडियन नेशनल ट्रस्ट फोर आटर्स एंड कल्चरल हैरिटेज (इनटेक) ने धरोहर और लोक कलाओं के संरक्षण का संदेश दिया। इस दौरान इनटेक के डॉ. नंदलाल वर्मा, दिनेश सक्सेना, सुनील बांठिया और डॉ. शुक्ला बाला पुरोहित ने हाथों में तख्तियां लेकर बीकानेर की हवेलियों और यहां की ऐतिहासिक धरोहर के संरक्षण का आह्वान किया। इस दौरान जिला परिषद की मुख्य कार्यकारी अधिकारी नित्या के., अतिरिक्त जिला कलक्टर (नगर) अरुण प्रकाश शर्मा, नगर विकास न्यास के सचिव नरेन्द्र सिंह पुरोहित, नगर निगम आयुक्त पंकज शर्मा, उपायुक्त सुमन शर्मा, उपखण्ड अधिकारी अशोक कुमार बिश्नोई, पर्यटन विभाग के उपनिदेशक भानू प्रताप ढाका, पर्यटन अधिकारी पुष्पेन्द्र सिंह, पवन शर्मा, पर्यटन विकास समिति के सदस्य गोपाल बिस्सा सहित अनेक लोग मौजूद रहे। इस दौरान संभागीय आयुक्त नीरज के. पवन ने कहा कि पांच सौ से अधिक वर्ष पुराने बीकानेर शहर की कला, संस्कृति और परंपराएं बेहद समृद्ध हैं। यहां के तीज-त्यौहार और मेले पूरे देश में विशेष पहचान रखते हैं। यहां पर्यटन विकास की संभावनाओं के मद्देनजर प्रतिवर्ष ऊंट उत्सव आयोजित होता है। कोरोना संक्रमण की स्थितियों के कारण इस पर विराम लग गया था। अब एक बार फिर इसे आयोजित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि तीन दिवसीय महोत्सव को यादगार बनाने के लिए अनेक नवाचार किए गए हैं। जिला कलक्टर भगवती प्रसाद कलाल ने कहा कि बीकानेर की हवेलियां हमारी ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक विरासत हैं। इन्हें संरक्षित रखना हमारा कर्तव्य है। उन्होंने कहा कि सांस्कृतिक विशेषताओं के कारण बीकानेर पर्यटन के क्षेत्र में विशेष पहचान रखता है। दोपहर बाद राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केंद्र में ऊंटों की विभिन्न रोचक और रोमांचकारी प्रतियोगिताओं ( ऊंट सज्जा, ऊंट दौड़, ऊंट फर कटिंग, ऊंट नृत्य, महिलाओं की मटका दौड़, ग्रामीण कुश्ती) के साथ साथ ऊंटों के विभिन्न करतब और नृत्य के अलावा ऊंटों के शरीर पर बालों की कतराई कर धार्मिक देवी देवताओं और वन्यजीवों के उकेरे गए चित्र विशेष आकर्षण का केंद्र रहे वही राजस्थानी परिधानों में सजे मिस्टर बीकाणा मिस मरवण की प्रतियोगिताएं भी अपने आप में अनूठी रही । वही उत्सव के दूसरे दिन 7 मार्च को अलसुबह प्रातः 7ः30 से 9ः30 बजे तक जोड़बीड़ कंर्जवेशन रिजर्व में बर्ड वाचिंग कार्यक्रम आयोजित किया गया इस अवसर पर बीकानेर के आमजन सहित जिला प्रशासनिक पुलिस विभाग पर्यटन विभाग के आला अधिकारी सहित कर्मचारीगण उपस्थित रहे । वही इस दिन शाम को शहर के ऐतिहासिक पब्लिक पार्क में इस बार नवाचार करते हुए कार्निवाल का आयोजन किया गया । राजकीय संग्रहालय से म्यूजियम पब्लिक पार्क होते हुए जूनागढ़ फोर्ट यह कार्निवल पहुंचा और वहां से रिटर्न होकर शहीदी स्मारक तक पब्लिक पार्क आकर वहां कार्निवाल का आयोजन किया गया । सजे धजे ऊंटों, राजस्थानी लोक संस्कृति को साकार करते लोक कलाकार और राजस्थानी वेशभूषा में सजे आमजन नजर आए । बीकानेर की संस्कृति की झलक भी दिखाई दी वही होली की लोकनाट्य रम्मत और चंग की थाप पर नाचते लोग भी इस दौरान नजर आएं ही वहीं बच्चों ने भी इसमें सहभागिता निभाई । उत्सव के तीसरे और अंतिम दिन जिले के डॉक्टर करणी सिंह स्टेडियम में सीमा सुरक्षा बल का माउंटेन बैंड आरएसी बैंड और आर्मी बैंड का प्रदर्शन अपने आप में अनूठा रहा । जिससे आमजन ने सराहा भी । वही इस अवसर पर विभिन्न अंचलों से आए लोक कलाकारों की प्रस्तुतियों के साथ-साथ संगीतकार अली गनी ने भी अपनी प्रस्तुति देकर अपनी उपस्थिति लगाई ।बइसके बाद जसनाथी संप्रदाय द्वारा अग्नि नृत्य के साथ साथ आग पर हैरतअंगेज करतब और आतिशबाजी कर इस उत्सव का समापन किया गया । इस तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय ऊंट उत्सव के दौरान संभागीय आयुक्त नीरज के पवन जिला कलेक्टर भगवती प्रसाद कलाल पर्यटन विभाग उपनिदेशक भानु प्रताप सिंह डीआईजी बीएसएफ पुष्पेंद्र सिंह राठौड़ एनआरसीसी निदेशक डॉ. आर्तबंधु साहू, स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो आर. पी. सिंह, केन्द्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसंधान केन्द्र के निदेशक डॉ. ए.के. तोमर, केन्द्रीय शुष्क बागवानी संस्थान के निदेशक डॉ. बी. डी. शर्मा आदि सहित शहर के आमजन मौजूद रहे। वही संजय पुरोहित, ज्योति प्रकाश रंगा, किशोर राजपुरोहित , ओर रविन्द्र हर्ष ने उत्सव के सभी आयोजनों में संचालन किया ।
कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि बिना पर्यटकों के विश्व स्तरीय ऊंट उत्सव इस बार अपनी छाप छोड़ने में सफल नहीं हो सका । हालांकि उत्सव के दूसरे दिन कार्निवल के दौरान 3 विदेशी पर्यटक जरूर दिखाई दिए । क्या यह उत्सव इन 3 पर्यटकों के लिए था ? या फिर पर्यटन विभाग जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन का ही ये उत्सव था ? क्योंकि आयोजन में आमजन की अपेक्षा पुलिस और विभिन्न विभाग के लोग आला अधिकारी कर्मचारी ही ज्यादा दिखाई दिए । यही नहीं पर्यटन विभाग और जिला प्रशासन ने इस बार विश्व प्रसिद्ध ऊंट उत्सव में स्थानीय पत्रकारों की उपयोगिता ना समझते हुए निमंत्रण पत्र ना देकर आयोजन में बुलाना भी मुनासिब नहीं समझा । खैर …..
मशहूर कवि ‘गिरधर’ की यह पंक्तियां ऐसे में याद दिलाती है कि – बीती ताहि बिसारि दे, आगे की सुधि लेइ। जो बनि आवै सहज में, ताही में चित देइ॥ ताही में चित देइ, बात जोई बनि आवै। दुर्जन हंसे न कोइ, चित्त मैं खता न पावै॥

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