30 साल फरार रहे आतंकी को 7 साल की सजा:अजमेर टाडा कोर्ट ने सुनाया फैसला, भारत-पाक सीमा पर हथियारों के जखीरे के साथ पकड़ा था
करीब तीन महीने पहले आत्मसमर्पण करने वाले कुख्यात आतंकी सुखदर्शन सिंह को अजमेर की टाडा कोर्ट ने गुरुवार को सात साल की सजा सुनाई है। वह साल 1989 में भारत-पाक सीमा पर हथियारों की तस्करी के मामले में बीएसएफ कार्रवाई के दौरान हथियारों के जखीरे के साथ पकड़ा गया गया।
भारत-पाकिस्तान के सीमावर्ती इलाकों में आतंकवाद की घटना जनवरी 1989 में हुई थी। तब सीमावर्ती गांव वालों ने आतंकवादियों को बीएसएफ, घड़साना को सौंपा था। कार्रवाई के दौरान सुखदर्शन सिंह जाट को खुड़िया गांव से हथियार सहित पकड़ा गया था। जाट के खिलाफ चार्जशीट पेश की गई, लेकिन सुनवाई के दौरान वह फरार हो गया था। 30 साल फरार रहने के बाद करीब 3 महीने पहले ही उसने आत्मसर्मपण किया था।
सुखदर्शन सिंह के घर से भारी मात्रा में राइफल और कारतूस बरामद हुए थे। इस पर टाडा कोर्ट के जज महावीर प्रसाद गुप्ता ने आयुध अधिनियम की विभिन्न धाराओं में आरोपी मानते हुए मानते हुए सजा सुनाई। आरोपी को आयुध अधिनियम की तीन धाराओं में तीन अलग-अलग सजा सुनाई गई। उसे दो धाराओं में पांच साल और एक धारा में सात साल की सजा हुई है। राज्य सरकार की ओर से पैरवी एडवोकेट बृजेश कुमार पांडे ने की थी।
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