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40 हजार करोड़ के घोटाले की पूरी कहानी:फर्जी सर्टिफिकेट से टेंडर, बिना पाइप लगाए रुपए उठाए, बिजनेसमैन के घर मिले रुपए से फंसे पूर्व मंत्री जोशी

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40 हजार करोड़ के घोटाले की पूरी कहानी:फर्जी सर्टिफिकेट से टेंडर, बिना पाइप लगाए रुपए उठाए, बिजनेसमैन के घर मिले रुपए से फंसे पूर्व मंत्री जोशी

जल जीवन मिशन (जेजेएम) घोटाले केस में ED ने मंगलवार को पूर्व मंत्री महेश जोशी और उनसे जुड़े जलदाय विभाग के 2 ठेकेदारों और 2 अधिकारियों के ठिकानों पर छापे मारे।

जयपुर, दिल्ली और गुजरात की 10 टीमों ने जयपुर, बांसवाड़ा समेत कई जिलों में छापे की कार्रवाई की। इन छापों ने जल जीवन मिशन को एक बार फिर चर्चा में ला दिया है।

70 हजार करोड़ का मिशन, जिसमें करीब 40 हजार करोड़ के प्रोजेक्ट और स्कीम के टेंडर में घोटाला किया गया। मंत्रालय से लेकर जलदाय विभाग के अफसर और ठेकेदारों ने मिलकर इस घोटाले को अंजाम दिया।

पूर्व जलदाय मंत्री, एडिशनल चीफ सेक्रेटरी, इंजीनियर से लेकर ठेकेदार…सभी के यहां ईडी ने छापे मारे। ईडी को इनके घरों से सोने की ईटें मिलीं। इतना कैश था कि गिनने के लिए मशीनें मंगवानी पड़ीं।

घोटाले की पूरी केस फाइल स्टडी की और जाना कि जांच की आंच पूर्व मंत्री जोशी तक कैसे पहुंची।

पढ़िए पूरी रिपोर्ट…

जयपुर रेलवे स्टेशन के पास स्थित पूर्व मंत्री महेश जोशी के घर पर ED की टीम रेड करने पहुंची।

जयपुर रेलवे स्टेशन के पास स्थित पूर्व मंत्री महेश जोशी के घर पर ED की टीम रेड करने पहुंची।

ठेकेदारों ने फर्जी सर्टिफिकेट से टेंडर लिए। टेंडर मिलने के बाद ठेकेदारों ने हरियाणा के अधिकारियों के साथ मिलकर वहां से चुराई गई पाइप यहां लगा दी।

इतना ही नहीं, कई जगहों पर बिना पाइप लाइन लगाए करोड़ों रुपए उठाए गए। अधिकारी और ठेकेदार भुगतान उठाने के लिए ये फर्जी बिल ठेकेदार की होटल में बैठकर बनाते थे।

किरोड़ी लाल मीणा ने सबसे पहले उठाए सवाल
वर्तमान भाजपा सरकार में मंत्री किरोड़ी लाल मीणा ने पिछले साल जून महीने में एक प्रेस काॅन्फ्रेंस करके राजस्थान में जल जीवन मिशन में 20 हजार करोड़ रुपए के घोटाले का आरोप लगाया था। मीणा ने अफसरों और ठेकेदारों की मिलीभगत की बात कही थी।

ट्यूबवैल कंपनी के मालिक और ठेकेदार पदमचंद जैन की फर्म का नाम श्री श्याम ट्यूबवैल कंपनी है। वहीं उसके एक रिश्तेदार की श्री गणपति ट्यूबवैल कंपनी है।

इन दोनों फर्मों पर फर्जी आय और अनुभव प्रमाण पत्र बनाकर 900 करोड़ रुपए का टेंडर लेने का आरोप लगाया था।

किरोड़ी लाल मीणा ने ही सबसे पहले घोटाले को लेकर खुलासा किया था।

किरोड़ी लाल मीणा ने ही सबसे पहले घोटाले को लेकर खुलासा किया था।

सबसे पहले एसीबी ने पीएचईडी के दो XEN और जेईएन को पकड़ा

जेजेएम में घोटाले का आरोप लगते ही ईडी और एसीबी दोनों एक्टिव हो गई थी। ईडी की कार्रवाई से पहले ही एसीबी ने 6 अगस्त 2023 को जयपुर के होटल पोलोविक्ट्री के पास से पीएचईडी बहरोड़ के XEN मायालाल सैनी और नीमराना के जेईएन प्रदीप नीमराना को 2.20 लाख रुपए की रिश्वत लेते गिरफ्तार किया था।

दोनों अधिकारियों को रिश्वत देने वाले ठेकेदार पदमचंद जैन और उसकी कंपनी के सुपरवाइजर मलकेत सिंह और एक अन्य व्यक्ति को भी पकड़ा था।

इसके बाद एसीबी ने आरोपियों के झुंझुनूं, बहरोड स्थित घर, ऑफिस और अन्य ठिकानों पर दबिश भी दी थी।

हरियाणा से चुराई पाइप से नल के कनेक्शन किए

ठेकेदार पदमचंद और महेश मित्तल हरियाणा के अफसरों से मिलकर वहां से चोरी किए गए पाइप राजस्थान लेकर आए थे। फिर इन पाइप से नल के कनेक्शन करके अधिकारियों से मिलीभगत करके पैसे उठाए थे। इसके लिए आरोपी अपनी होटल में पीएचईडी के अधिकारियों के साथ बैठकर टेंडर में फर्जी बिल लगाकर लाखों रुपए का भुगतान करवाते थे।

एसीबी की कार्रवाई के बाद ईडी ने पीएमएलए के तहत पीएचईडी के दो इंजीनियर और तीन ठेकेदारों के खिलाफ मामला दर्ज कर घोटाले से जुडे़ लोगों की जांच शुरू कर दी ।

एसीबी ने जल जीवन मिशन में सबसे पहले XEN मायालाल सैनी(बाएं) व जेईएन प्रदीप(दाएं) को गिरफ्तार किया था।

एसीबी ने जल जीवन मिशन में सबसे पहले XEN मायालाल सैनी(बाएं) व जेईएन प्रदीप(दाएं) को गिरफ्तार किया था।

पूर्व मंत्री महेश जोशी से जुडे़ बिजनेसमैन के यहां छापे मारे

ईडी ने 1 सितंबर 2023 को जयपुर और अलवर में जल जीवन मिशन के अधिकारी और पूर्व मंत्री महेश जोशी के जुडे़ बिजनेसमैन यहां एक साथ छापेमारी की।

इसके अलावा रिटायर्ड आरएएस अमिताभ कौशिक, महेश मित्तल, प्रॉपर्टी कारोबारी संजय बडाया, प्रॉपर्टी कारोबारी कल्याण सिंह काव्य, एक्सईएन विशाल सक्सेना, एक्सईएन मायालाल सैनी और ठेकेदार पदमचंद जैन के घरों में छापेमारी की।

रिटायर्ड आरएएस अफसर अमिताभ कौशिक के यहां सोने की ईट मिली। जिसका वजन करीब 1 किलोग्राम था। जेडीए के तहसीलदार सुरेश शर्मा के यहां से 80 लाख रुपए बरामद किए हैं।

रिटायर्ड आरएएस महेश मित्तल, प्रॉपर्टी डीलर संजय बडाया के घर कैश गिनने के लिए मशीन लगानी पड़ी। ईडी को कुल ढाई करोड़ रुपए कैश मिले थे।

प्रॉपर्टी डीलर संजय बडाया पूर्व पीएचईडी मंत्री महेश जोशी का करीबी था। यहीं से ईडी को महेश जोशी के घोटाले से जुड़ने का लिंक मिला।

ईडी ने पूर्व मंत्री महेश जोशी के करीबी संजय बड़ाया के बनीपार्क स्थित का घर पर रेड मारी थी। यहीं से पूर्व मंत्री जोशी शक के दायरे में आ गए थे।

ईडी ने पूर्व मंत्री महेश जोशी के करीबी संजय बड़ाया के बनीपार्क स्थित का घर पर रेड मारी थी। यहीं से पूर्व मंत्री जोशी शक के दायरे में आ गए थे।

महेश जोशी और आईएएस सुबोध अग्रवाल के घर छापा

ईडी को प्रॉपर्टी डीलर संजय बडाया और कल्याण सिंह काव्य के घर से जल जीवन मिशन से जुड़े और जमीनों में पैसों के इनवेस्टमेंट के कई दस्तावेज मिले। यह दोनों पूर्व पीएचईडी मंत्री महेश जोशी के करीबी थे।

ऐसे में ईडी ने 3 नवंबर 2023 को पूर्व मंत्री महेश जोशी के सचिवालय स्थित ऑफिस और एडिशनल चीफ सेक्रेटरी सुबोध अग्रवाल, चीफ इंजीनियर केडी गुप्ता, इंजीनियर दिनेश गोयल, एक्सईएन संजय अग्रवाल के ऑफिस सहित 6 जगहों पर रेड मारी थी।

उस समय सुबोध अग्रवाल राजस्थान के तीसरे सबसे सीनियर आईएएस थे। सुबोध अग्रवाल मई 2023 में ही जलदाय विभाग के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी बने थे।

ईडी ने महेश जोशी के कार्यालय से हार्ड डिस्क और जेजेएम घोटाले से जुडे़ कई दस्तावेज जब्त किए थे। प्रॉपर्टी कारोबारी संजय बड़ाया के करीबी प्रॉपर्टी डीलर रामवतार शर्मा के यहां से 45 लाख रुपए सीज किए। ठेकेदार पदमचंद जैन और अन्य के बैंक खाते में 1.75 करोड़ रुपए सीज किए।

सीनियर आईएएस सुबोध अग्रवाल का आवास, जहां ईडी ने छापा मारा था।

सीनियर आईएएस सुबोध अग्रवाल का आवास, जहां ईडी ने छापा मारा था।

ऑफिस पर रेड के ढाई महीने बाद महेश जोशी के घर रेड मारी

ईडी ने पूर्व मंत्री महेश जोशी के ऑफिस में रेड मारने के दो महीने बाद अब 16 जनवरी को उनके घर पर रेड मारी। टीम ने महेश जोशी, उनकी पत्नी और बहू से पूछताछ भी की।

घोटाले से जुडे़ वाउचर जिन पर साइन कर करोड़ों रुपए का भुगतान उठाया गया और ठेकेदारों के फर्जी बिलों को लेकर ईडी जांच कर रही है।

छापेमारी के बाद ईडी महेश जोशी को अब पूछताछ के लिए मुख्यालय में आने के लिए नोटिस भी दे सकती है।

चोरी के पाइप, फर्जी बिलों की जांच कर रही है ईडी

70 हजार करोड़ के जल जीवन मिशन (जेजेएम) में करीब 40 हजार करोड़ के प्रोजेक्ट और स्कीम के टेंडर में से फर्जीवाड़ा किया गया।

गांव-ढाणियों में डीआई की जगह घटिया पाइप डाले गए और कम लोहा लगाकर हजारों टंकियां बना दी गईं। अधिकतर मामलों में अफसरों ने क्वालिटी कंट्रोल की जांच किए बिना ही 18, 800 करोड़ रुपए का भुगतान कर दिया।

फर्जी प्रमाण पत्रों से टेंडर, फील्ड में घटिया काम के बावजूद क्वालिटी कंट्रोल की जांच और इंजीनियरों के बार-बार ट्रांसफर की गड़बड़ी पर भी ईडी की नजर है।

जेजेएम में 44.67 फीसदी काम हुआ है, जबकि फील्ड में 25 हजार करोड़ से ज्यादा का काम होने का अनुमान है।

महेश जोशी के घर के बाहर तैनात पुलिस के जवान।

महेश जोशी के घर के बाहर तैनात पुलिस के जवान।

ऐसे घोटाले के तार ढूंढ रही ईडी

  • फर्जी अनुभव प्रमाण पत्रों से बांट दिए करोड़ों के काम: ठेकेदारों ने टंकी बनाने, पाइप लाइन डालने, ट्यूबवैल खोदने के फर्जी अनुभव और आय प्रमाण पत्र पर टेंडर भरे। एसीई के अधिकारियों ने प्रमाण पत्रों की जांच ही नहीं की और करोड़ों के वर्क ऑर्डर बांट दिए।
  • महंगी डीआई पाइप की जगह घटिया पाइप: कई ठेकेदारों ने मिलीभगत कर डीआई पाइप की जगह सस्ते एचडीपीई पाइप डाले। ड्राइंग और डिजाइन को बदलकर ठेकेदारों ने कम लोहे की टंकियां बनाईं। बिना ट्यूबवैल खोदे और बिना टंकियां बनाए ही पेमेंट कर दिया। मिट्टी टेस्टिंग में भी फर्जीवाड़ा कर दिया।
  • क्वालिटी जांच टीम जाने से पहले ही आदेश निरस्त: पाइप लाइन और कार्यों की जांच के लिए उपसचिव गोपाल सिंह शेखावत ने पहले टीम बनाई थी, लेकिन ठेकेदारों का दबाव आते ही आदेश निरस्त कर दिए गए।
  • ट्रांसफर और एपीओ का बना रिकॉर्ड : विभाग में दो साल में इंजीनियरों के ट्रांसफर और एपीओ करने का रिकॉर्ड बन गया है। कई इंजीनियरों के चार महीने में ही तबादला कर दिया और कई महीनों तक एपीओ रखा। वहीं चार्जशीट और एसीबी की कार्रवाई के बावजूद कई इंजीनियरों को दो साल से एक ही पद पर रखा। एसीबी में रंगे हाथ पकड़े गए इंजीनियरों को भी दोहरा चार्ज दे रखा है। वहीं ठेकेदारों की सिफारिश पर ट्रांसफर पोस्टिंग हुए।
ईडी ने चार महीने पहले घोटाले से जुडे़ अधिकारियों और ठेकेदारों के ठिकानों पर छापा मारकर ढाई करोड़ रुपए बरामद किए थे। इतना कैश गिनने के लिए मशीनें मंगवानी पड़ी थीं।

ईडी ने चार महीने पहले घोटाले से जुडे़ अधिकारियों और ठेकेदारों के ठिकानों पर छापा मारकर ढाई करोड़ रुपए बरामद किए थे। इतना कैश गिनने के लिए मशीनें मंगवानी पड़ी थीं।

हाईकोर्ट ने दो सप्ताह में मांगी घोटाले की रिपोर्ट

हाईकोर्ट ने 5 जनवरी को जल जीवन मिशन के टेंडरों में फर्जी दस्तावेजों से किए घोटाले के मामले में केंद्र और राज्य सरकार सहित पीएचईडी व पुलिस कमिश्नर से मामले में की गई कार्रवाई का ब्यौरा व रिपोर्ट देने के लिए कहा है।

एक्टिंग सीजे एमएम श्रीवास्तव व जस्टिस शुभा मेहता की खंडपीठ ने यह निर्देश पब्लिक अगेंस्ट करप्शन संस्था की पीआईएल पर सुनवाई करते हुए दिए थे।

कोर्ट ने केंद्र सरकार, राज्य सरकार, पुलिस कमिश्नर और एसीबी के डीजी को निर्देश दिया कि वे दो सप्ताह में शपथ पत्र के जरिए बताएं कि इस मामले में उन्होंने क्या कार्रवाई की है।

मिशन में पैसे खर्च करने में राजस्थान दूसरे स्थान पर

जल जीवन मिशन(जेजेएम) जल शक्ति मंत्रालय की सबसे बड़ी योजना है। इसमें 2024 तक घरेलू नल कनेक्शन से प्रत्येक ग्रामीण परिवार को कम से कम 55 लीटर प्रति व्यक्ति प्रति दिन पानी उपलब्ध कराया जाना है।

पांच वर्षों की अवधि (2020 से 2024 तक) के लिए अनुमानित बजट 3.6 लाख करोड़ रुपए है। इसमें केंद्र सरकार 2.8 करोड़ या 58 प्रतिशत खर्च करेगी बाकी अन्य राज्यों के बीच फंड शेयरिंग होगा।

जल जीवन मिशन में जून 2023 तक राजस्थान पैसे खर्च करने के मामले में देश में दूसरे स्थान पर था।

राजस्थान में प्रोजेक्ट के तहत 22 जिलों अलवर, बांसवाड़ा, बाड़मेर, भरतपुर, बीकानेर, चितौड़गढ़, दौसा, धौलपुर, डूंगरपुर, श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, जैसलमेर, झुंझुनूं, जोधपुर, नागौर, पाली, प्रतापगढ़, राजसमंद, सवाईमाधोपुर, सीकर, सिरोही और उदयपुर के गांवों में नल कनेक्शन पहुंचाने का काम होना है।

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