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Bihar News: बिजली, पेट्रोल-डीजल और रसोई गैस, पड़ोसी राज्यों की तुलना में बिहार के लोग इतना क्यों खर्च करते हैं, जानें

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Bihar News: बिजली, पेट्रोल-डीजल और रसोई गैस, पड़ोसी राज्यों की तुलना में बिहार के लोग इतना क्यों खर्च करते हैं, जानें

Bihar News: बिजली, पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस पर बिहार के लोग ज्यादा पैसे खर्च करते हैं। असमानता की मार से परेशान हैं। आलम ये है कि देश के विकसित ही नहीं बल्कि पड़ोसी राज्यों की तुलना में भी यहां कीमतें ज्यादा है। इसमें बिजली की समान कीमत करने की मांग मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कई बार उठा चुके हैं।

nitish kumar.

पटना : देश के कथित विकसित राज्य ही नहीं, पड़ोसी राज्यों के मुकाबले भी बिहार जैसे गरीब प्रदेश में बिजली, पेट्रोल, डीजल और एलपीजी (घरेलू रसोई गैस) की कीमत काफी अधिक है। पूरे देश में एक ग्रिड से बिजली सप्लाई होने के बावजूद पड़ोसी राज्यों की राजधानी भुवनेश्वर, कोलकाता और रांची में घरेलू ग्राहकों को 100 यूनिट से अधिक बिजली खर्च करने पर प्रति यूनिट 6-6.30 रुपए की लागत आती है। वहीं, बिहार सरकार इसके लिए 9.10 रुपए प्रति यूनिट खर्च करती है।

बिहार के मुकाबले पड़ोसी राज्यों में कम कीमत

बिहार सरकार प्रति यूनिट 3.43 रुपए की सब्सिडी देकर उपभोक्ताओं को 5.67 रुपए में प्रति यूनिट बिजली उपलब्ध कराती है। इसी तरह, रांची और लखनऊ में पेट्रोल की कीमत 99.82 और 96.57 रुपए प्रति लीटर है। वहीं, बिहार में इसके लिए सबसे अधिक 107.42 रुपए देने होते हैं। डीजल के मामले में भी लखनऊ, कोलकाता, बेंगलुरू और अहमदाबाद बिहार के मुकाबले सस्ते हैं। एलपीजी की कीमत बिहार में 1001 रुपए है, जिसके मुकाबले रांची में इसका दाम 960 रुपए, लखनऊ में 940 रुपए, भुवनेश्वर में 929 रुपए और बेंगलुरू में 905 रुपए है। इस पर केंद्र सरकार अलग से ऑनलाइन सब्सिडी देती है।

जानकारों के मुताबिक जेनरेशन, ट्रांसमिशन और डिस्ट्रीब्यूशन लागत के चलते अलग-अलग राज्यों में बिजली की कीमतों में अंतर हो जाता है। मसलन जिन राज्यों में थर्मल पावर प्लांटों के आस-पास कोल लिंकेज होता है, उन प्लांटों की बिजली दूसरे के मुकाबले सस्ती होती है। डेटा के मुताबिक मध्य प्रदेश को 3.49 रुपए, गुजरात को 3.74 रुपए, महाराष्ट्र को 4.32 रुपए और राजस्थान की बिजली कंपनियों को 4.46 रुपए प्रति यूनिट के दर बिजली मिलती है। वहीं, बिहार को 5.82 रुपए प्रति यूनिट के दर से बिजली मिलती है। इस कारण से भी उपभोक्ताओं तक पहुंचते- पहुंचते इसकी लागत बढ़ती चली जाती है।

किस शहर में कितनी कीमत

राज्यबिजलीपेट्रोल/लीटरडीजल/लीटरएलपीजी/सिलेंडर
बिहार9.10107.4294.211001
रांची6.3099.8294.64960.50
कोलकाता6.33106.0392.761000
लखनऊ7.1996.5789.76940.50
भुवनेश्वर6.00103.1994.76929
बेंगलुरू7.00101.9487.89905.50
अहमदाबाद5.0896.7092.17910

नोट:

ये आंकड़े राज्यों के विद्युत विनियामक आयोग के टैरिफ आर्डर के हैं, बिहार सरकार प्रति यूनिट 3.43 रुपए की सब्सिडी देकर लोगों को 5.67 रुपए में बिजली देती है।

एक्साइज ड्यूटी 9.48 से बढ़ कर 32.90 हुआ

पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया है। इस वजह से इस पर लगने वाला टैक्स हर राज्य में अलग-अलग है। केंद्र सरकार की एक्साइज ड्यूटी और राज्य सरकार का वैल्यु एडेड टैक्स यानि वैट जुड़ जाता है। केंद्र सरकार एक्साइज ड्यूटी, पेट्रोल के बेस प्राइस, डीलर का मुनाफा और फ्रेट चार्ज को जोड़ कर लगती है। साल 2014 में पेट्रोल पर 9.48 रुपए प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी लगती थी, जो अब बढ़ कर 32.90 रुपए प्रति लीटर हो गई है। बिहार सरकार का मानना है कि राज्य में पेट्रोल-डीजल की अधिक दर के पीछे केंद्र की बेस रेट है। अमीरों की मदद करने वाले राज्य पेट्रोल पर वैट की दर कम रखते हैं। बिहार में डीजल पर वैट दर कम रखी गई है।

एक देश-एक बिजली दर की मांग


देश भर में बिजली दरों की असमानता को देखते हुए ही एक देश-एक बिजली दर की मांग बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने उठाई थी। इसके पीछे तर्क है कि जब कश्मीर से कन्याकुमारी तक रेल का किराया दूरी के हिसाब से एक समान होता है तो एक ग्रिड से दी जाने वाली बिजली की दरें अलग-अलग क्यों हैं? बिजली बिल दो हिस्सों से मिलकर बनता है। एक फिक्स्ड चार्ज और दूसरा एनर्जी चार्ज। फिक्स्ड चार्ज में प्रोडक्शन, डिस्ट्रीब्यूशन, ट्रांसमिशन, मेंटेनेंस लागत और पूंजी पर रिटर्न वसूला जाता है। ऊर्जा सरचार्ज उपभोक्ताओं की ओर से वास्तविक बिजली खपत की कीमत पर आधारित होता है। फिक्स्ड चार्ज से जब डिस्कॉम की लागत नहीं निकल पाती है, तो कंपनियां ऊर्जा सरचार्ज बढ़ाने के विकल्प चुनकर बिजली महंगी कर देती हैं।

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