NATIONAL NEWS

ISRO का INSAT-3D सैटेलाइट लॉन्च:19 मिनट 13 सेकंड में पृथ्वी की ऊपरी कक्षा में पहुंचा; 10 साल मौसम की सटीक जानकारी देगा

TIN NETWORK
TIN NETWORK
FacebookWhatsAppTelegramLinkedInXPrintCopy LinkGoogle TranslateGmailThreadsShare

ISRO का INSAT-3D सैटेलाइट लॉन्च:19 मिनट 13 सेकंड में पृथ्वी की ऊपरी कक्षा में पहुंचा; 10 साल मौसम की सटीक जानकारी देगा

INSAT-3DS इसरो का मौसम सैटेलाइट है। इसे आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया। - Dainik Bhaskar

INSAT-3DS इसरो का मौसम सैटेलाइट है। इसे आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया।

ADVERTISEMENT

Ads by

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने शनिवार (17 फरवरी) को 10 साल तक मौसम की सटीक जानकारी देने वाले सैटेलाइट INSAT-3DS को लॉन्च किया। इसे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से शाम 5.35 बजे लॉन्च किया गया। सैटेलाइट की लॉन्चिंग GSLV Mk II रॉकेट से हुई। ये 19 मिनट 13 सेकंड में जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (GTO) यानी पृथ्वी की ऊपरी कक्षा में पहुंचा।

सैटेलाइट लॉन्चिंग लाइव देखें…

1 जनवरी 2024 को PSLV-C58/EXPOSAT मिशन की लॉन्चिंग के बाद 2024 में इसरो का यह दूसरा मिशन है। यह INSAT-3D सीरीज की 7वीं उड़ान होगी। इस सीरीज का आखिरी सैटेलाइट INSAT-3DR 8 सितंबर 2016 को लॉन्च किया गया था।

इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ के मुताबिक,10 नवंबर 2023 से INSAT-3DS के वाइब्रेशन टेस्ट शुरू हो गए थे। यह 6-चैनल इमेजर और 19-चैनल साउंडर के जरिए मौसम से जुड़ी जानकारी देगा। साथ ही सर्च और रेस्क्यू के लिए जमीनी डेटा और मैसेज रिले करेगा।

ISRO चीफ एस सोमनाथ ने सैटेलाइट लॉन्च से पहले शनिवार को नेल्लोर जिले में श्री चेंगलम्मा परमेश्वरी मंदिर में दर्शन किए।

ISRO चीफ एस सोमनाथ ने सैटेलाइट लॉन्च से पहले शनिवार को नेल्लोर जिले में श्री चेंगलम्मा परमेश्वरी मंदिर में दर्शन किए।

INSAT-3DS सैटेलाइट का वजन 2274 किलोग्राम है। इसे इसरो में ही बनाया गया है।

INSAT-3DS सैटेलाइट का वजन 2274 किलोग्राम है। इसे इसरो में ही बनाया गया है।

क्या करेगा INSAT-3DS
2274 किलोग्राम वजनी सैटेलाइट एक बार चालू होने के बाद अर्थ साइंस, मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी), नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओशन टेक्नोलॉजी (एनआईओटी), मौसम पूर्वानुमान केंद्र और भारतीय राष्ट्रीय केंद्र के तहत विभिन्न विभागों को सेवा प्रदान करेगा।

51.7 मीटर लंबा रॉकेट इमेजर पेलोड, साउंडर पेलोड, डेटा रिले ट्रांसपोंडर और सैटेलाइट एडेड सर्च एंड रेस्क्यू ट्रांसपोंडर ले जाएगा। जिनका उपयोग बादल, कोहरे, वर्षा, बर्फ और उसकी गहराई, आग, धुआं, भूमि और समंदरों पर स्टडी के लिए किया जाएगा।

इनसैट सीरीज क्या है
इनसैट या इंडियन नेशनल सैटेलाइट सिस्टम, भारत की कम्यूनिकेशन, टेलीकास्ट, मौसम विज्ञान और सर्च एंड रेस्क्यू की जरूरतों को पूरा करने के लिए इसरो ने बनाया है। यह जियो स्टेशरी सैटेलाइट्स की सीरिज है। इसकी शुरुआत 1983 में की गई। इनसैट एशिया प्रशांत क्षेत्र में सबसे बड़ा लोकल कम्यूनिकेशन सिस्टम है।

सैटेलाइट्स की निगरानी और कंट्रोल कर्नाटक के हासन और मध्य प्रदेश के भोपाल में स्थित मेन कंट्रोल सेंटर्स से किया जाता है। इस सीरिज के अब तक छह सैटेलाइट्स लॉन्च किए जा चुके हैं। आखिरी सैटेलाइट INSAT-3DR है। यह अभी भी काम कर रहा है।

INSAT-3DS मौसम की सटीक भविष्यवाणी करने में मदद करेगा। साथ ही साइक्लोन के बारे में पहले से ही जानकारी दे देगा। इससे तूफान से होने वाले नुकसान को कम किया जा सकेगा।

INSAT-3DS मौसम की सटीक भविष्यवाणी करने में मदद करेगा। साथ ही साइक्लोन के बारे में पहले से ही जानकारी दे देगा। इससे तूफान से होने वाले नुकसान को कम किया जा सकेगा।

INSAT-3DR
इनसैट सीरीज का आखिरी सैटेलाइट INSAT-3DR था। इसे 2016 को लॉन्च किया गया। इस मिशन का मुख्य उद्देश्य जीवन और संपत्ति की सुरक्षा के लिए एक ऑपरेशनल इनवायरोन्मेंट और साइक्लोन अलर्ट सिस्टम देना है। यह सैटेलाइट अभी पृथ्वी की सतह, समुद्र से किए जाने वाली लॉन्चिंग की निगरानी कर रहा है। यह डेटा टेलीकास्ट सेवाएं भी देता है। डेटा प्रोसेसिंग के लिए फैसिलिटी अहमदाबाद में स्थापित की गई है।

विदेशी एजेंसियों पर निर्भरता कम की
INSAT-3DR से मौसम की सटीक भविष्यवाणी करने में मदद मिल रही है। यह सैटेलाइट 36,000 किलोमीटर की ऊंचाई से हर 26 मिनट में पृथ्वी की तस्वीरें खींच रहा है। साथ ही रेडिएशन, समुद्री सतह के तापमान, बर्फ की सतह, कोहरे की भी जानकारी देता है। यह जमीन से 70 किमी तक ऊंचाई तक टेंपरेचर नाप रहा है। इसने विदेशी एजेंसियों पर भारत के मौसम विभाग की निर्भरता कम की है।

ये खबरें भी पढ़ें …
इसरो का XPoSat मिशन लॉन्च:21 मिनट बाद 650Km की कक्षा में सैटेलाइट स्थापित, यह ब्लैक होल्स-न्यूट्रॉन स्टार्स की स्टडी करेगा

एक्स-रे पोलारिमीटर सैटेलाइट (XPoSat) को आज यानी, 1 जनवरी को सुबह 09:10 बजे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से लॉन्च किया गया। XPoSat में ब्लैक होल और न्यूट्रॉन स्टार्स की स्टडी के लिए दो पेलोड पोलिक्स और एक्सपेक्ट लगे हैं। 21 मिनट बाद इन्हें पृथ्वी की 650 Km ऊपर की कक्षा में स्थापित किया गया। पढ़ें पूरी खबर…

ISRO ने फ्यूल सेल का सफल परीक्षण किया:इससे अंतरिक्ष में बिजली और पानी बन सकेगा, कार-बाइक को ऊर्जा देने में भी सक्षम

भारतीय स्पेस एजेंसी ISRO ने फ्यूल सेल तकनीक का सफल परीक्षण किया। यह तकनीक इसरो के फ्यूचर मिशन और डाटा इकट्ठा करने के लिहाज से बेहद अहम है। इससे अंतरिक्ष में बिजली और पानी बन सकेगा। इस फ्यूल सेल को स्पेस स्टेशन के लिए बनाया गया है।

FacebookWhatsAppTelegramLinkedInXPrintCopy LinkGoogle TranslateGmailThreadsShare

About the author

THE INTERNAL NEWS

Add Comment

Click here to post a comment

error: Content is protected !!