सीएम बदलते ही बदल जाएगा ब्यूराेक्रेसी का चेहरा:क्या मोदी ही तय करेंगे नया मुख्य सचिव, प्रतिनियुक्ति पर दिल्ली गए 5 आईएएस रेस में
राजस्थान में भाजपा की सरकार बनने के साथ ही प्रदेश में ब्यूरोक्रेसी का चेहरा, रूप-रंग व आकार भी बदलने की चर्चाएं हैं। इसी महीने दो सबसे सीनियर आईएएस अफसरों की विदाई होनी है। पहले नंबर पर हैं मुख्य सचिव उषा शर्मा और दूसरे नंबर पर हैं वीनू गुप्ता।
वीनू को रेरा का चेयरपर्सन बना दिया गया है और शर्मा रिटायर होने वाली हैं। ऐसे में मुख्यमंत्री के पद पर नया चेहरा आते ही ब्यूरोक्रेसी की सबसे बड़ी कुर्सी मुख्य सचिव पर भी कोई नया चेहरा आना तय है।
दिल्ली प्रतिनियुक्ति पर गए पांच सीनियर आईएएस अफसरों के बारे में चर्चा है कि उनमें से कोई एक प्रदेश का नया मुख्य सचिव बन कर आ सकता है। इन सभी के काम को लंबे समय से पीएम मोदी और उनकी टीम देख रही है। ऐसे में हो सकता है कि नए सीएम के साथ कोई नया सीएस भी पीएम मोदी की पसंद से ही राजस्थान आए।
जानिए कौन हैं यह पांच आईएएस अफसर
- श्रीनिवासन लंबे अर्से से दिल्ली में ही कार्यरत हैं। वे पीएम मोदी के मंत्रालय प्रशासनिक सुधार विभाग में तैनात हैं। छह महीने पहले भी उनका नाम चर्चाओं में था, जब मुख्य सचिव के पद से उषा शर्मा रिटायर होने वाली थीं। श्रीनिवासन राजस्थान कैडर में तीसरे नंबर की सीनियरिटी पर हैं। ऐसे में उनके सीएस बनने में किसी तरह की तकनीकी रुकावट भी नहीं है।
- रोहित कुमार सिंह इन दिनों दिल्ली में उपभोक्ता मंत्रालय में सचिव के पद पर हैं। वे राजस्थान कैडर में छठे नंबर की सीनियरिटी पर हैं। ऐसी चर्चाएं हैं कि भाजपा के राजनीतिक नेतृत्व में उनकी खासी पैठ मानी जाती है। ऐसे में उनके सीएस बनने की चर्चाएं हैं।
- फाइनेंस के मामलों में मल्होत्रा को अनुभवी अफसरों में गिना जाता है। मल्होत्रा की सीनियरिटी राज्य कैडर में सातवें नंबर पर हैं। उन्हें राजस्थान के लगभग सभी विभागों सहित केन्द्र में वित्त मंत्रालय में काम करने का अनुभव है। वे मूलत: राजस्थान के ही रहने वाले भी हैं। ऐसे में संभव है कि वे राजस्थान के नए सीएस बनकर आ जाएं।
- राजस्थान में कांग्रेस सरकार के दौरान तत्कालीन जलदाय मंत्री महेश जोशी से नहीं बनने के बाद लगातार इधर-उधर तबादलों से परेशान होकर पंत सवा वर्ष पहले राजस्थान से दिल्ली चले गए थे। वे जहाजरानी मंत्रालय में सचिव के पद पर हैं। वे राजस्थान के कई जिलों में कलेक्टर रहे हैं और उन्हें देश भर के काबिल अफसरों में गिना जाता है। संभव है कि वे अब वापस राजस्थान लौट आएं।
- तन्मय उस दौर में सबसे ताकतवर आईएएस अफसर थे, जब वसुंधरा राजे की सरकार थी। वे तत्कालीन मुख्यमंत्री राजे के प्रमुख सचिव थे। मुख्यमंत्री राजे के साथ काम करने से भाजपा के राजनीतिक नेतृत्व में उनके अच्छे सम्पर्क है। वे भी मुख्य सचिव के रूप में राजस्थान लौट सकते हैं।
राजस्थान के टॉप अफसरों में सीएस बनने की रेस में राजेश्वर सिंह सबसे आगे
राजस्थान में वर्तमान में मुख्य सचिव के पद पर कार्यरत हैं उषा शर्मा। दिसंबर-2023 में उनका एक्सटेंशन खत्म हो रहा है। उनकी सेवानिवृत्ति 30 जून-2023 को ही हो गई थी, लेकिन चुनावी वर्ष को देखते हुए केन्द्र व राज्य सरकार ने उन्हें 31 दिसंबर-2023 तक का कार्य विस्तार दे दिया था। अब उनकी विदाई इसी महीने किसी भी दिन हो सकती है।
उनके बाद दूसरे स्थान पर हैं वीनू गुप्ता। वीनू को निवर्तमान कांग्रेस सरकार ने रेरा का चेयरपर्सन बना दिया था। हालांकि उन्हें अभी केन्द्र व राज्य सरकार ने रिलीव नहीं किया है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि आचार संहिता एक दो दिन में हटते ही उन्हें रिलीव कर दिया जाएगा।
उनके बाद सुबोध अग्रवाल, शुभ्रा सिंह, राजेश्वर सिंह, अभय कुमार, अखिल अरोड़ा, अपर्णा अरोड़ा, संदीप वर्मा की सीनियिरिटी (अतिरिक्त मुख्य सचिव स्तर पर) तक की है। इनमें से अग्रवाल का नाम हाल ही ईडी के जांच दायरे में आया है। ऐसे में लगता नहीं कि उन्हें मुख्य सचिव बनाया जाएगा।
सूत्रों का कहना है कि भाजपा नेतृत्व से अच्छे सम्पर्क और उत्तरप्रदेश व राजपूत समाज की पृष्ठभूमि के चलते राजेश्वर सिंह हो सकता है कि मुख्य सचिव की कुर्सी तक पहुंच जाएं। भाजपा के केन्द्रीय नेतृत्व के उत्तरप्रदेश मूल के दो शीर्ष राजपूत नेता उनकी मदद कर सकते हैं। वे सीनियरटी लिस्ट में 5 वें नंबर हैं और वर्तमान में राजस्थान राजस्व मंडल के चेयरमैन हैं।
50 जिलों के कलेक्टर भी बदलेंगे
राजस्थान में 50 जिलों में कलेक्टर छह महीने पहले ही लगाए गए हैं। इनमें 35 को तत्कालीन कांग्रेस सरकार के ताकतवर विधायक-मंत्रियों ने अपने अपने इलाकों के हिसाब से लगवाया था। अब सरकार बदलने के साथ इन सभी को एक साथ बदलने की तैयारी की जा रही है।
पहला आदेश जारी होगा सीएमओ में तैनात रांका, डोगरा और गोयल का
मुख्यमंत्री की कुर्सी पर नए चेहरे के आते ही सबसे पहला आदेश सीएमओ में तैनात तीन आईएएस अफसरों के तबादले का आना तय माना जा रहा है। इनमें कुलदीप रांका, आरती डोगरा और गौरव गोयल शामिल हैं। रांका और डोगरा दिसंबर-2018 से लगातार सीएमओ में ही तैनात रहे हैं। गोयल की तैनाती सीएमओ में एक वर्ष पहले ही हुई थी।
अक्सर सीएम के नजदीक रहने वाले आईएएस अफसरों को लगाया जाता है ठंडी पोस्टिंग में
एक्सपट्र्स का कहना है कि राजस्थान की ब्यूरोक्रेसी में यह आम चलन है कि जिस भी मुख्यमंत्री के कार्यकाल में जो अफसर सीएम के ज्यादा नजदीक रहते हैं, उन्हें सरकार बदलने पर नई सरकार ठंडी पोस्टिंग ही देती है।
मिसाल के तौर पर जब वर्ष 2008 से 2013 के बीच कुलदीप रांका को तत्कालीन कांग्रेस सरकार में जयपुर कलेक्टर और जेडीसी जैसे पदों पर पोस्टिंग दी गई थी। उन्हें तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का काफी करीबी माना जाता था। दिसंबर 2013 में सरकार बदलते ही उन्हें जयपुर से बाहर कर बोर्ड (अजमेर) में लगा दिया गया था।
ऐसे ही वर्ष 2013 से 2018 के बीच भाजपा सरकार के दौरान तत्कालीन सीएम वसुंधरा राजे के नजदीक और बेहद ताकतवर रहे आईएएस अफसर तन्मय कुमार को दिसंबर 2018 में सरकार बनते ही जयपुर से बाहर बीकानेर में कमांड एरिया में लगा दिया गया था।
कुलदीप रांका को तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का काफी करीबी माना जाता था। दिसंबर 2013 में सरकार बदलते ही उन्हें जयपुर से बाहर कर बोर्ड (अजमेर) में लगा दिया गया था।
सबसे ज्यादा चर्चा मुख्य निर्वाचन अधिकारी गुप्ता की
डॉ. प्रवीण गुप्ता राजस्थान में मुख्य निर्वाचन अधिकारी हैं। वे पिछले तीन वर्ष से भी अधिक अवधि से इस पद पर हैं। उन्हें पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के नजदीकी अफसरों में गिना जाता था।
सरकार बदलने पर उन्हें मुख्य निर्वाचन अधिकारी के पद पर लगा दिया गया। आईएएस कैडर में इस पोस्ट को काम ज्यादा और ग्लैमर कम के लिए जाना जाता है। इस पोस्ट में थोड़ी बहुत चमक केवल चुनावों के समय ही आती है। ऐसे में सामान्यत: आईएएस अफसर कभी इस पोस्ट पर लगना नहीं चाहते, लेकिन गुप्ता ने 75 प्रतिशत मतदान का आंकड़ा छू लिया, जिसके चलते उनका नाम देश में चर्चिच हो गया है। चर्चा है कि उन्हें जल्द ही केन्द्रीय चुनाव आयोग में किसी बड़े पद पर बुलाया जा सकता है अन्यथा राजस्थान में तो किसी शीर्ष पद पर उन्हें नियुक्ति मिलना तय ही माना जा रहा है।
वर्ष 2013 में भी मुख्य सचिव की कुर्सी पर दिल्ली से आए थे आईएएस अफसर महर्षि
वर्ष 2013 में जब भाजपा सरकार बनी थी तो वसुंधरा राजे मुख्यमंत्री बनी थीं। राजे ने तब राजीव महर्षि को मुख्य सचिव बनाया था। महर्षि उस वक्त दिल्ली में प्रतिनियुक्ति पर थे। महर्षि करीब 6 महीने राज्य के मुख्य सचिव रहे। उसके बाद मई-2014 में केन्द्र में भी भाजपा की सरकार बनी और प्रधानमंत्री बने नरेन्द्र मोदी। मोदी के पीएम बनने के तुरंत बाद महर्षि वापस दिल्ली लौटे और केन्द्रीय वित्त मंत्रालय में सचिव बने।
डीजीपी को भी बदले जाने की चर्चा है
पुलिस महानिदेशक की पोस्ट पर उमेश मिश्रा तैनात हैं। यह राज्य पुलिस कैडर की सबसे बड़ी पोस्ट है। वे मई-2024 में रिटायर होंगे। उनके अलावा उत्कल रंजन साहू और भूपेन्द्र दक सीनियरिटी लिस्ट में उनसे उपर हैं। साहू डीजी होमगार्ड और दक डीजी जेल के पद पर हैं। सूत्रों का कहना है कि दक अब डीजी (पुलिस) बन सकते हैं।
उनके अलावा नीना सिंह (दिल्ली प्रतिनियुक्ति), राजीव शर्मा, श्रीनिवास राव जंगा, शिवप्रकाश मेहरड़ा, राजेश निर्वाण, हेमंत प्रियदर्शी, संजय अग्रवाल, गोविंद गुप्ता आदि आईपीएस अफसर भी डीजी बनने की सीनियरिटी में शामिल हैं। दक, शर्मा, जंगा और मेहरड़ा को सबसे आगे माना जा रहा है।
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