RPSC नहीं मानता सरकारी आदेश!:शिक्षा-विभाग ने लिखा: प्रक्रिया लम्बी है… समय लगेगा आप नियुक्तियां तो दो; 52 साल पुराने नियमों पर विवाद




मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भी बेरोजगारों ने ज्ञापन देकर आरपीएससी की शिकायत दर्ज करवाई।
सरकारी स्कूलों में एग्रीकल्चर पढ़ाने वाले लेक्चरर की भर्ती शिक्षा विभाग, राज्य सरकार और राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) के बीच फुटबॉल बन गई है। खास बात ये है कि इस भर्ती के लिए शिक्षा विभाग और राज्य सरकार ने नियमों में परिवर्तन किए थे। लेकिन इनके आदेशों को भी RPSC मानने के लिए तैयार नहीं है।



नतीजा ये है कि पिछले साल भी स्कूलों को एग्रीकल्चर टीचर नहीं मिले और ऐसा ही रवैया रहा तो इस बार भी ये भर्तियां अटक जाएंगी। वहीं चुनावी साल में एग्रीकल्चर से जुड़े सैकड़ों केंडिडेट्स का विरोध भी सरकार को सहना पड़ेगा।
दरअसल, आरपीएससी और शिक्षा विभाग के बीच स्कूल लेक्चरर भर्ती को लेकर विवाद हो गया है। शिक्षा विभाग का कहना है कि सरकार ने नियमों में संशोधन कर दिया है जिसमें किसी भी विषय में एग्रीकल्चर ग्रेजुएट को इस भर्ती में शामिल कर सकते हैं।
इधर, आरपीएससी शिक्षा विभाग के ही पुराने आदेश को लेकर सिर्फ तीन विषयों एग्रोनॉमी, हॉर्टिकल्चर और एनीमल हसबेंडरी के केंडिडेट्स को ही योग्य मानने की जिद पर अड़ी है।
गौरतलब है कि 1970 के इन नियमों को राज्य सरकार ने एक कमेटी बनाकर संशोधित कर दिया था। भर्ती के नए नियमों में सभी विषयों को शामिल कर दिया गया था। इसके बावजूद भी RPSC इसे मानने के लिए तैयार नहीं है।
खास बात ये है कि इससे पहले हुई भर्तियों में सभी विषयों को शामिल करते हुए खुद आरपीएससी ने आदेश जारी किया था। लेकिन अब 2022 की नियुक्ति में पुराने नियमों का हवाला देते हुए रोक लगा दी है।
इनकी खींचतान में बेरोजगार परेशान
एक ही पद पर नियुक्ति के लिए दो तरह के नियमों के चलते सैकड़ों कृषि स्नातकोत्तर बेरोजगार अपात्र हो रहे हैं। शिक्षा विभाग की डिमांड के आधार पर RPSC ने साल 2018 में विज्ञापन जारी करते हुए 370 एग्रीकल्चर स्कूल लेक्चरर के लिए आवेदन मांगे थे।
इसकी योग्यता एग्रीकल्चर के किसी भी विषय में एमएससी होना था। बड़ी संख्या में अभ्यर्थियों ने आवेदन किए और इसी आधार पर नियुक्ति हो गई। लेकिन, अभी तक कई पदों पर नियुक्ति की प्रक्रिया ही चल रही है। इसी बीच वर्ष 2022 में 280 पदों पर नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी हुआ तो शिक्षा विभाग ने सिर्फ तीन विषयों में एमएससी करने वालों को ही अवसर दिया।
RPSC ने वर्ष 1970 में बने नियमों के कॉपी पेस्ट हुए 2021 के नियम का हवाला देते हुए तीन विषयों को ही पात्र माना। जबकि 2018 की नियुक्ति में सभी विषयों को पात्र मानकर नियुक्ति अभी भी दी जा रही है।
एक पद पर दो नियम?
एक ही पद पर नियुक्ति के लिए दोहरे नियम है। दरअसल, वर्ष 2018 की नियुक्ति के समय भी आरपीएससी ने शिक्षा विभाग से योग्यता के बारे में पूछा तो विभाग ने योग्यता निर्धारण के लिए विषय समकक्षता निर्धारण कमेटी बना दी। जिसमें एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के प्रतिनिधि और अन्य विषय विशेषज्ञ शामिल थे।
इस कमेटी की सिफारिश के आधार पर कृषि स्नातकोत्तर के सभी विषयों को मान्यता दी गई। इस आधार पर आरपीएससी ने नियुक्ति दे दी।
अब नई नियुक्ति में आरपीएससी अड़ंगा लगा रहा है कि सरकार ने वर्ष 2021 में नियम बना दिया कि सिर्फ तीन विषयों एग्रोनॉमी, हॉर्टिकल्चर और एनीमल हसबेंडरी में पोस्ट ग्रेजुएट ही शिक्षा विभाग में एग्रीकल्चर लेक्चरर बन सकेंगे। ऐसे में 2022 की भर्ती विज्ञप्ति जारी करते हुए इसी नियम का पालन किया गया।
शिक्षा विभाग ने किया कॉपी-पेस्ट
दरअसल, शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने वर्ष 1970 के नियमों को ही कॉपी-पेस्ट कर दिया। नियमावली में जो योग्यता डाली गई थी वह 52 साल पुरानी व्यवस्था रख दी गई। शिक्षा विभाग ने 2022 की भर्ती के लिए भी गठित विषय समकक्षता समिति की रिपोर्ट के आधार पर गलती सुधारी।
बाद में आरपीएससी को लिख दिया कि 2018 की भर्ती की तर्ज पर 2022 की भर्ती में भी कृषि स्नातकोत्तर के सभी विषयों में पोस्ट ग्रेजुएट को इस भर्ती में भी पात्र माना जाए। इस पत्र को आरपीएससी ने महत्व नहीं दिया। आरपीएससी का कहना है कि 2021 के नियमों में संशोधन के बाद ही पात्र माना जाएगा।
एक साल से परेशान बेरोजगार!
पिछले एक साल से अधिक समय हो जाने के बावजूद बेरोजगार इधर से उधर चक्कर काट रहे हैं। इस दरमियान आरपीएससी ने इस संदर्भ में शिक्षा विभाग से दिशा निर्देश मांगे। तब शिक्षा विभाग ने एक और पत्र जारी कर आयोग को निर्देशित किया कि नियम संशोधन एक समय साध्य कार्य है, जो प्रक्रियाधीन है और अंतिम चरण में है।
ऐसे में तीन विषयों के अलावा अन्य विषयों में कृषि स्नातकोत्तर अभ्यर्थियों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए पूर्व की भर्ती 2018 की तरह सभी विषयों को समतुल्य मानते हुए पात्र मानकर शामिल किया जाए।
नियुक्ति का इंतजार…
कृषि पीजी बेरोजगार डेलिगेशन प्रमुख पवन कुमार बिश्नोई व डॉ.दिनेश गोदारा का कहना है कि जब शिक्षा विभाग और सरकार बार-बार RPSC को सभी को शामिल करते हुए नियुक्ति के निर्देश दे रही हैं तो वे नियुक्ति क्यों नहीं कर रहे?
Add Comment