छात्रों में कलात्मक दृष्टिकोण विकसित करें शिक्षक
पांच दिवसीय कलाकृति कार्यशाला के चौथे दिन की मुख्य अतिथि पद्मश्री डॉ माधुरी बड़थ्वाल जी ने शिक्षकों को संबोधित करते हुए कहा कि प्रत्येक शिक्षक की यह नैतिक जिम्मेदारी है कि वह छात्रों में कलात्मक दृष्टिकोण को विकसित करें।
ऐसा तभी है जब प्राथमिक कक्षाओं से ही छात्रों को विभिन्न कलाओं में प्रयोग करने के अवसर उपलब्ध कराए जाए। मानव जीवन में कला का विशेष महत्व है हमारे बोलने, चलने, खाने, पीने और काम करने से लेकर संपूर्ण प्रकृति में कला होती है और कला से जुड़ा व्यक्ति अपनी प्रकृति, अपने वातावरण के प्रति, अपने परिवार और अपने समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन बखूबी कर पाता है। शिक्षा का अंतिम उद्देश्य ही यही है समाज में सुखी और संवेदनशील व्यक्तित्व का निर्माण ताकि एक श्रेष्ठ और राष्ट्रभक्त देश का निर्माण हो सके। कार्यशाला के आज के सत्र की मास्टर ट्रेनर मॉस्को, रशिया से श्रीमती श्वेता सिंह जी रहीं जिन्होंने जापान की विशेष कला इकेबाना के विषय में बहुत बारीकी से सभी को अवगत कराया। श्वेता सिंह जी द्वारा जैपनीज क्ले से विभिन्न तरीके के फूल पत्तियां और उनके अरेंजमेंट बनाने सिखाए गए। समय का सदुपयोग जैपनीज द्वारा बखूबी किया जाता है और इसीलिए वह अपनी छोटी-छोटी कलाओं के माध्यम से अपनी संस्कृति को आज तक संग्रहित और पोषित करते चले आ रहे हैं। जैपनीस को फूल बहुत पसंद है और इसीलिए यह कला विश्व में भी सर्वाधिक प्रसिद्ध कलाओं में से एक है। कार्यशाला की संयोजक श्रीमती स्मृति चौधरी का कहना है कि किसी भी राष्ट्र की सभ्यता और संस्कृति को अगर सुरक्षित रखना है तो अपनी कलाओं को हमेशा पृष्ठ पोषित करते रहना होगा। हमारे कलाकारों को उचित मान सम्मान देना होगा और समय-समय पर विद्यालय में बच्चों को विभिन्न लोक कलाकारों और लोक कलाओं से परिचित कराते रहना होगा। इसी क्रम में भारत के सभी राज्यों के सरकारी शिक्षकों के स्वैच्छिक संगठन शैक्षिक आगाज़ द्वारा ग्रीष्म गतिविधि के अंतर्गत इस कार्यशाला का आयोजन किया गया है ताकि सभी शिक्षक इन कलाओं की बारीकी से परिचित हो कक्षा में विद्यार्थियों तक इन कलाओं को पहुंचा सके। शैक्षिक आगाज़ लिटिल हेल्प ट्रस्ट की एक शैक्षणिक संस्था है जोकि शिक्षा एवं हिंदी भाषा के प्रति समर्पित है। ट्रस्ट के संस्थापक सुश्री समृद्धि चौधरी एवं राष्ट्रीय संयोजक सुश्री सृष्टि चौधरी ने कार्यशाला में उपस्थित होकर सभी को एक सफल आयोजन की बधाई दी एवं भारत के अन्य लोक कलाओं को भी मंच प्रदान करने के लिए शैक्षिक आगाज़ के सभी राज्य संयोजकओं को प्रोत्साहित भी किया ताकि भविष्य में ज्यादा से ज्यादा कलाओं से हम अपने शिक्षकों एवं विद्यार्थियों का परिचय करा सकें।
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