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धोरों में बने 500 टापू:जहां रेगिस्तान था, वहां समंदर जैसा नजारा

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धोरों में बने 500 टापू:जहां रेगिस्तान था, वहां समंदर जैसा नजारा

राजस्थान में इस बार हुई बारिश ने रिकॉर्ड तोड़ दिए है। इस मानसून में बारिश का ऐसा नजारा देखने को मिला जब रेगिस्तान में भी झरने चलने लगे। इधर, बारिश के बाद बाड़मेर के झाखरड़ा रण क्षेत्र में समंदर जैसा नजारा देखने को मिला।

इन तीन महीने की बारिश के बाद पहली बार ऐसा नजारा देखने को मिला जहां पूरे एरिया में 500 टापू बन गए। दरअसल, झाखरड़ा खारे पानी का रण बाड़मेर-जालोर सीमा पर है। यहां करीब साल पहले अवैध खनन होता है। इसकी वजह से यहां गड्‌ढे बन गए। लेकिन, इस बार हुई बारिश में यह गड्‌ढे जब भर गए तो यहां टापू जैसा नजारा देखने को मिला। इसी एरिया में पक्षीयों के लिए रेस्क्यू सेंटर बनाना भी प्रस्तावित है।

333 हेक्टेयर में फैला इलाका, देशी-विदेशी पक्षी आते है लेकिन पक्षी विहार नहीं होने की वजह से वापस लौट जाते है।

333 हेक्टेयर में फैला इलाका, देशी-विदेशी पक्षी आते है लेकिन पक्षी विहार नहीं होने की वजह से वापस लौट जाते है।

प्रवासी पक्षियों की पहली पसंद बना यह एरिया
दरअसल, रेगिस्तान में पानी कमी और लगातार अकाल होने की वजह यहां से पक्षी और अन्य वन्य जीव पलायन करने लग गए थे। लेकिन अब यह प्रवासी पक्षियों की पहली पसंद बन चुका है। झाखरड़ा रण वन क्षेत्र है, यहां नर्मदा नहर का ओवरफ्लो पानी छोड़ा जा रहा है। ऐसे में दूर-दूर तक फैले रण में पानी के बीच जगह-जगह उभरे टापू और उस पर लवण की परत जमा होने पर यह इलाका टापूओं की तरह नजर आ रहा है।

जम्भेश्वर वाइल्ड लाइफ एनवायरमेंट सोसायटी के जिला संयोजक भंवरलाल भादू के मुताबिक 15 साल पहले इस इलाके में अवैध खनन होने की वजह से जगह-जगह गड्‌डे हो गए। नर्मदा नहर का ओवर फ्लो का पानी यहां पर आता है। इस वजह से वन्य जीव के साथ विदेशी पक्षी यहां पर आते है।

विदेशी द्वीपों वाला नजारा रेगिस्तान के झाखरड़ा वन इलाके में देखने को मिला।

विदेशी द्वीपों वाला नजारा रेगिस्तान के झाखरड़ा वन इलाके में देखने को मिला।

हजारों की संख्या वन्य जीव
यह इलाका पूरा लवणीय रण है। नर्मदा नहर आने के बाद यहां ओवर फ्लो पानी आ जाता है। इससे करीब-करीब साल भर पानी भरा रहता है। इसमें 3000 वन्यजीव रहते हैं। साथ ही देशी-विदेशी पक्षी आते हैं। बीते साल 2 हजार 563 वन्य जीव देखे गए है।

इस पूरे एरिया में रेस्क्यू सेंटर डेवलप करने और यहां पक्षियों के संरक्षण को लेकर पहले भी बात हो चुकी है लेकिन अभी तक प्रोजेक्ट तैयार नहीं हुआ है।

इस पूरे एरिया में रेस्क्यू सेंटर डेवलप करने और यहां पक्षियों के संरक्षण को लेकर पहले भी बात हो चुकी है लेकिन अभी तक प्रोजेक्ट तैयार नहीं हुआ है।

दो साल में आए 4932 प्रवासी पक्षी
वन विभाग की हुई गणना के मुताबिक बाड़मेर जिले में गत दो साल में 4932 प्रवासी पक्षी आए है। वर्ष- 2020 में 73 प्रजाति के 2 हजार 594 पक्षी नजर आए तो वर्ष 2021 में 74 प्रजाति के 2 हजार 338 पक्षी देखे गए है। इसमें कई पक्षी तो यूरोप-ईरान से यहां पहुंच रहे हैं।

बाड़मेर के रेगिस्तान में कई विदेशी पक्षी पहुंचे हैं। यहां पाएड एवोसेट, ग्रेटर फ्लेमिंगो, ग्रे हैरेन, युरासिअन करल्यु, ब्क टेल्ड गोडविट सहित कई तरह के पक्षी बाड़मेर वन विभाग की गणना के दौरान नजर आए है। लेकिन, यहां संरक्षण नहीं होने की वजह से ये कई समय तक यहां रुक नहीं पाते हैं।

इस इलाके में अलग-अलग प्रजाति के देसी-विदेशी पक्षी पहुंचते है। पक्षी विहार नहीं होने के कारण वापस लौट जाते है।

इस इलाके में अलग-अलग प्रजाति के देसी-विदेशी पक्षी पहुंचते है। पक्षी विहार नहीं होने के कारण वापस लौट जाते है।

333 हेक्टेयर में फैला है रण
धोरीमन्ना क्षेत्र के झाखरड़ा में दूर-दूर तक फैले रण में कई जगह पर पानी के जमाव के साथ पानी में उभरे बर्फ के टापू नजर आ रहे है। यह क्षेत्र 333 हेक्टेयर में फैला है, लेकिन इसके संरक्षण को लेकर कोई प्रयास नहीं हुए है। जबकि यहां यूरोप-ईरान से पक्षी पहुंच जाते हैं, लेकिन वन क्षेत्र व पक्षी विहार नहीं होने पर पक्षी स्थाई बसेरा नहीं कर पा रहे हैं।यहां नर्मदा नहर का पानी पहुंचने के बाद यह रण हरा-भरा नजर आ रहा है। झाखरड़ा रण क्षेत्र में वर्ष-2018 की पक्षी गणना के दौरान देश का सबसे बड़ा पक्षी ग्रे हैरन भी नजर आया था।

चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन अरविंद तोमर ने मई महीने में इस रण में आए थे। झाखरड़ा प्राकृतिक रेस्क्यू सेंटर में पक्षी विहार बनाने की बात कही थी।

चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन अरविंद तोमर ने मई महीने में इस रण में आए थे। झाखरड़ा प्राकृतिक रेस्क्यू सेंटर में पक्षी विहार बनाने की बात कही थी।

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