“नाटक लो आ गई वापस सोने की चिड़िया ने बच्चों को समझाया संस्कृति का महत्व”
बच्चों ने लगाए ठहाके, साथ ही सीखा विश्व गुरु बनने का तारिका”
रंग राजस्थान में पीयूष मिश्रा, अनूप सोनी, हिमानी शिवपुरी, राजेन्द्र गुप्ता अपने नाटकों और टॉक शोज के साथ करेंगे शिरकत”“
रंग राजस्थान के तीसरे दिन रंग बचपन के तहत हुआ नाटक लो आ गई वापस सोने की चिड़िया नाटक का निर्देशन किया गिरीश कुमार यादव ने और लेखन किया ललित प्रकाश ने , नाटक में मंच पर थे उज्जवल, दिव्यांश, दीपक, देव, प्रवीण ,नाटक ने बताया कि समाज मे कला का कितना मह्त्व है एवं हमारी संस्कृति और सभ्यता के रक्षण हेतु कला का और नाटक का कितना अहम योगदान है, नाटक में ललित प्रकाश जी ने ये कहने की कोशिश की है कि नाटक एक प्रकार का जादू होता है उसे देखकर हर कोई उसकी ओर खींचा चला आता है और इसलिए नाटक ही ऐसा सुदृढ़ साधन है जिसके माध्यम से हम लोगो को समाज में फैल रही बुराइयों के ख़िलाफ़ जागरुक कर सकते है, हमारे आने वाली युवा पीढ़ी को हम समाज मे होने वाले अत्याचार के ख़िलाफ़ तैयार कर सकते हैं और उन्हें ये समझा सकते है की हमारी संस्कृति और सभ्यता कितनी महान बस हमें अपनी पुरानी बातों को खंगाल कर उनका मंथन करने की आवश्यकता है ,नाटक ने जागरुक भारतीय नागरिक होने के पैमाने को साझा करते हुए ये समझाया कि हम ने इस विश्व को कितना कुछ दिया है जैसे कि शून्य और नालंदा, तक्षिला ,विक्रम शिला जैसे विश्वविद्यालय हमारे देश मे ही हुए और यह प्रमाण है की हमारा देश पढ़े लिखे लोगों से भरा हुआ था फिर गडबड तब हुई जब हमने एकता के अभाव मे अखंडता तो खो दिया, नाटक में ये भी दर्शाया गया कि किन किन बुराइयों को नाटक के माध्यम से दूर कर हम सारे विश्व का नेतृत्व कर सकते है और भारत आत्मनिर्भर और विश्व गुरु बन सकता है ।
28 फरवरी को रंग राजस्थान की औपचारिक शुरआत, राजस्थान इंटरनेशनल सेण्टर में उद्घाटन के साथ होगी, जिसमे चंडीगढ़ का नाटक “राम की शक्ति पूजा” होगा, जिसके निर्देशक राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के स्नातक श्री नीरेश कुमार हैं।
29 फरवरी को, महोत्सव में आर आई सी में, नाटक “रश्मिरथी” का मंचन होगा, जिसके निर्देशक हैं जयपुर के अभिषेक मुद्गल।
1 मार्च यह महोत्सव जवाहर कला केंद्र में भी शुरु हो जाएगा, नाटक “करवट”, “बागड़ बिल्ला”, और “माय वाइफ 8th वचन” का मंचन होगा।
2 मार्च को, नाटक “नौ एग्जिट”, “भागी हुई लड़कियां”, और पियूष मिश्र का नाटक “गगन दमामा बाज्यो” का मंचन होगा।
3 मार्च को, नाटक “रिहला”, “जीना इसी का नाम है”, और कथा सुकवि सूर्यमल का मंचन होगा।
महोत्सव में रंगकर्मी सरताज नारायण माथुर पर केंद्रित एक एग्जिबिशन का भी अयोजन किया गया है एवं रंग नवरस रंगमंच चित्र प्रदर्शनी भी राजेश कुमार सोनी जी द्वारा अलंकार आर्ट गैलरी जे के के में लगाई जाएगी ।
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