बीकानेर, 21 जनवरी। वरिष्ठ पत्रकार स्व. अभय प्रकाश भटनागर की पांचवीं पुण्यतिथि के अवसर पर स्व. अभय प्रकाश भटनागर स्मृति संस्थान द्वारा शनिवार को महाराजा नरेंद्र सिंह ऑडिटोरियम नागरी भण्डार में दो-दो साहित्यकारों और पत्रकारों का सम्मान किया गया।
संस्था द्वारा साहित्यकार विशन मतवाला और डॉ. उमाकांत गुप्त पत्रकार हेम शर्मा एवं सहायक निदेशक (जनसंपर्क) हरिशंकर आचार्य का शॉल, श्रीफल, प्रतीक चिन्ह, अभिनन्दन-पत्र, माला एवं श्रीफल अर्पित कर सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम की शुरुआत में स्व. भटनागर को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। अविनाश व्यास ने मनुज देपावत के गीत ‘धोरा वाळा देश’ की सस्वर प्रस्तुति दी।
स्व. भटनागर के व्यक्तिव एवं कृतित्व पर बोलते हुए कवि-कथाकार कमल रंगा ने कहा कि वे पत्रकारिता को जनजीवन के इतिहास की तरह देखते थे। वे पत्रकारिता में प्रयुक्त शब्दाभिव्यक्ति की नैतिक कसौटी पर परखने के कायल थे।
कार्यक्रम अध्यक्ष महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य मनोज दीक्षित ने स्व. भटनागर की बेबाक टिप्पणियां। उनकी पत्रकारिता का एक सृजनात्मक आयाम रहीं। यह खूबी उनके सान्निध्य में रही नयी पीढ़ी के लेखन में मुंह बोलती नज़र आती हैं। उन्होंने कहा कि स्व. भटनागर मूल्यनिष्ठ पत्रकारिता के प्रकाश स्तंभ की तरह रहे। युवा पीढ़ी को उनसे प्रेरणा लेनी चाहिए।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राजूवास विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. ए.के. गहलोत ने पत्रकारिता से जुड़े उनके संस्मरणों को साझा किया। उन्होंने कहा कि अभय प्रकाश भटनागर ने हमेशा नई पीढ़ी के पत्रकारों को प्रोत्साहित किया। वे प्रत्येक बात को सरल सहज शब्दों में बात कहते। उन्होंने खबर के मामले में कभी किसी से समझौता नहीं किया।
वरिष्ठ पत्रकार शिवचरण शर्मा ने कहा कि स्व. भटनागर बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। उन्होंने प्रतिकूल परिस्थितियों में छह दशक से अधिक समय तक अखबार का संपादन और प्रकाशन किया।
वरिष्ठ साहित्यकार और पत्रकार मधु आचार्य ने कहा कि स्व. भटनागर ने पत्रकारिता में नए मूल्य स्थापित किए। उन्होंने कई पीढियां को पत्रकारिता में संस्कारित किया।
साहित्यकार विशन मतवाला ने कहा कि अभय भटनागर मौलिक की तलाश में रहने वाले शाश्वत खोजी पत्रकार थे। उन्होंने अपनी कविता के माध्यम से उन्हें नमन किया। डाॅ. उमाकांत गुप्त ने कहा कि उनका जीवन लोकहितार्थ था। इसके लिए उन्होंने अपने निजी और सार्वजनिक जीवन में बड़े त्याग किए। पत्रकार हेम शर्मा ने कहा कि उन्होंने अपने कार्य को समर्पित भाव से किया था। उनके द्वारा पत्रकारों के लिए संघर्ष करना आज भी प्रासंगिक है।जनसंपर्क विभाग के सहायक निदेशक हरिशंकर आचार्य ने कहा कि वे बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी थे। आचार्य ने उनसे जुडे़ हुए कई संस्मरण साझा किए।
इस अवसर पर नंदकिशोर सोलंकी, कमल रंगा, बुनियाद ज़हीन, क़ासिम बीकानेरी, ज़ाकिर अदीब, इरशाद अजीज और गंगाबिशन विश्नोई द्वारा अतिथियों। का सम्मान किया गया। वरिष्ठ शायर इरशाद अज़ीज़ ने स्वागत उद्बोधन दिया।
सम्मानित विभूतियों के सम्मान पत्र का वाचन डॉ. निकिता सोलंकी, संजय सांखला, आत्माराम भाटी और इंजी. निलय सोलंकी ने किया।
इनकी रही उपस्थिति
कार्यक्रम में एड. पारसनाथ, डाॅ. ज्ञानप्रकाश भटनागर, डाॅ. दिनेश चौहान, रमेश सुराणा, अली अकबर, सरदार अली पड़िहार, राजा सेवग, जे.पी. व्यास, मोतीलाल हर्ष, पवन भाटी, प्रतिमा तिवाड़ी, अनिल तिवाड़ी, राजेन्द्र जोशी, मधुरिमा सिंह, गिरिराज पारीक, पं. गोपाल गौतम, छगन सिंह, डॉ.फारूक चौहान, सरोज भाटी, डॉ. पी.आर. भाटी, कुलदीप सिंह गहलोत, इसरार हसन कादरी, दीपेश भटनागर, उमेश तंवर, महेन्द्र गवालिया, राजेंद्र स्वर्णकार, सुमित शर्मा, अशोक शर्मा, अमित गोस्वामी, डॉ.असित गोस्वामी, दिनेश चंद्र सक्सेना, बी. एल. नवीन, गोपाल कुमार कुंठित, रवि पुरोहित, पवन सोनी, दीपचंद सांखला, डॉ.जयकांत गुप्त, कपिला पालीवाल, मोईनुद्दीन मुईन, घनश्याम सिंह सहित अनेक लोगों ने स्व. भटनागर को स्मरण किया। कार्यक्रम का संयोजन हरीश बी.शर्मा ने किया।आभार स्मृति संस्थान की सचिव सरोज भटनागर ने ज्ञापित किया।
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