ऐसे तो सोशल मीडिया वरदान भी है और अभिशाप भी है और बच्चों में बढ़ रहा मानसिक विस्तार सोशल मीडिया की ही देन है बच्चे इसका प्रयोग कैसे करते हैं यह उनके ऊपर निर्भर करता है आजकल बच्चे अधिकतर मोबाइल में ऑनलाइन पढ़ाई करते हैं और क्या वह सच में पढ़ाई करते हैं? बच्चों के बीच परिवार का सामंजस्य बराबर नहीं बैठ पा रहा है सवेरे उठना मंजन करना चाय पीना फिर मोबाइल ले करके बैठ जाना घंटो मोबाइल के अंदर अपनी आंख लगाए रखते हैं जिसकी वजह से उनके स्वास्थ्य पर भी मोबाइल का असर होता है अपने परिवार से ज्यादा बच्चे मोबाइल को महत्व देने लगते हैं और उसमें जुड़ी हुई हर गतिविधियों पर अपनी नजर बनाए रखते हैं जहां उन्हें अच्छी चीजें भी देखने मिलती है और बुरी चीजें भी। युवा बच्चे अक्सर सोशल मीडिया की चपेट में होते हैं उनकी पढ़ाई लिखाई सब दूर हो रही है। एक घंटा पढ़ाई करते हैं फिर मोबाइल में घंटों बैठ कर गपशप करते हैं अपने दोस्तों के साथ, जिसका परिणाम रिजल्ट आने पर लगता है बंद कमरे में रहने वाले बच्चे अपने मोबाइल के साथ खुद को बंद कर लेते हैं फिर यदि परिवार का कोई सदस्य उन्हें किसी कार्य के लिए उठाता है तो यह बच्चे चिड़चिड़ा जाते हैं। बच्चों में बढ़ रही विद्रोह की भावना आने वाली पीढ़ी के लिए बेहद घातक है पहले जमाने में बच्चे अपने परिवार के साथ समय व्यतीत करते थे अच्छा बुरा सब का ज्ञान लेते थे लेकिन आजकल तो केवल मोबाइल में ही अच्छा बुरा देखते रहते हैं, जिसमें से अच्छा कम बुरा देखने की ज्यादा प्रवृत्ति बच्चों में पाई जाती है जिसकी वजह से उनकी मानसिकता पर बुरा प्रभाव पड़ता है। जब परिवार का कोई व्यक्ति उन्हें हाथ में मोबाइल लेने से रोकता है तो उन्हें लगता है कि हमारी आजादी हम से छीनी जा रही है एक पल भी अपने मोबाइल को अपने से दूर नहीं रखना चाहते हैं भले ही परिवार का कोई भी सदस्य उनसे दूर हो जाए। हमें इस तरह की बच्चे में बढ़ती विसंगतियों को रोकना पड़ेगा वरना परिणाम घातक हो सकते हैं। आजकल देखा गया है कि छोटे -छोटे 3 या 4 साल के बच्चों के हाथ में भी मोबाइल होता है जिसका प्रभाव उनका सीधे आंखो पर पड़ता है, समय से पहले बच्चों को चश्मा लग जाता है उनकी आंखें खराब हो जाती है सोचिए अगर यह बच्चे बड़े होंगे तब तक इनकी आंखें कितनी खराब हो जाएगी, मोबाइल से उठने वाली तरंगे भी बच्चों के हार्ड लिवर किडनी पर असर करती है।
बच्चों को इन सब परेशानियों से दूर रखने के लिए सबसे पहले बहुत ही छोटे छोटे बच्चों को मोबाइल उनके हाथों से ले ले, उन्हें खिलौना खेलने की आदत डालें और उनके पास बैठकर उन्हें अच्छा बुरा का ज्ञान दें, उनके साथ खेले, समय व्यतीत करें, अधिकतर परिवार में यह देखा गया है कि वह कार्य के चलते अपने बच्चों पर ध्यान नहीं देते हैं जिसका परिणाम यह होता है यह बच्चे एक कमरे में अपने को अकेला कर लेते हैं।
घंटों बैठकर कानों में ईयर फोन लगाकर यह बच्चे बातें करते हैं जिसकी वजह से इनकी श्रवण शक्ति कमजोर पड़ जाती है कानों में सख्त मैल जम जाता है जो कि बहुत ही हानिकारक है कभी-कभी यह मैल इतना ज्यादा बढ़ जाता है कानों में सफाई कराने के लिए डॉक्टर की आवश्यकता पड़ती है आजकल ईयर फोन का ज्यादा प्रयोग करने से बच्चों में बहरापन अभी देखा गया है, अपने बच्चों को इनसे बचाइए।
बच्चे कच्ची मिट्टी के समान होते हैं इनका मन कोमल होता है जिस तरह आप इन्हें रखेंगे यह उस प्रकार ढल जाएंगे तो इसकी शुरुआत इनके बचपन से कीजिए क्योंकि यह बड़े होने पर किसी की नहीं सुनेंगे समय रहते इन्हें मोबाइल से दूर रखें इनके साथ समय व्यतीत करें।
स्वरचित और मौलिक लेख
पूजा गुप्ता मिर्जापुर उत्तर प्रदेश
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