DEFENCE / PARAMILITARY / NATIONAL & INTERNATIONAL SECURITY AGENCY / FOREIGN AFFAIRS / MILITARY AFFAIRS

हजारों टन के वॉरशिप को किया बैलेंस, बाइकिंग का भी पैशन, मिलिए नेवी की डॉक मास्टर से लहर सिंघल से

FacebookWhatsAppTelegramLinkedInXPrintCopy LinkGoogle TranslateGmailThreadsShare

हजारों टन के वॉरशिप को किया बैलेंस, बाइकिंग का भी पैशन, मिलिए नेवी की डॉक मास्टर से लहर सिंघल से

ये कहानी भारतीय नौसेना की लेफ्टिनेंट कमांडर लहर सिंघल की है, जो नेवी में डॉक मास्टर के रूप में वॉरशिप के बैलेंस का जिम्मा संभाल चुकी हैं। लहर एक बाइकर भी हैं, जो कई साहसिक बाइक रैली का हिस्सा रह चुकी हैं।

 

नई दिल्ली : महिलाओं के बारे में अक्सर कहा जाता है कि वे घर और वर्क लाइफ बैलेंस बनाने में माहिर होती हैं। बैलेंस क्या होता है ये पूछिए इंडियन नेवी की लेफ्टिनेंट कमांडर लहर सिंघल से। जो नेवी में डॉक मास्टर के तौर पर 30-40 हजार टन के वॉरशिप के बैलेंस की जिम्मेदारी संभाल चुकी हैं। एनबीटी ऑल विमिन बाइक रैली में लेफ्टिनेंट कमांडर लहर भी मौजूद रहेंगी, जो खुद भी एक बाइकर हैं। नॉर्थ-ईस्ट में और लद्दाख में दो बेहद साहसिक बाइक रैली का भी हिस्सा रह चुकी हैं लेफ्टिनेंट कमांडर लहर।

‘चैलेंजिंग होता है डॉक मास्टर का जॉब’
नेवी में डॉक मास्टर का जिम्मा मतलब चुनौतियों से भरा काम और तकनीकी तौर पर सुपर एक्सपर्ट से कम होने पर बात नहीं बनेगी। जब वॉरशिप या सबमरीन को डॉकयार्ड (जहां शिप का मेंटिनेंस होता है) पर लाया जाता है तो इतनी भारी शिप को इस तरह लगाना होता है कि जरा सा भी बैलेंस इधर उधर ना हो। रत्ती भर भी इधर-उधर हुआ तो इतने अहम एसेट (वॉरशिप) के डैमेज होने के साथ ही काम कर रहे लोगों की जान को भी खतरा हो जाता है। लहर कहती हैं कि डॉक मास्टर का जॉब बहुत चैलेंजिंग वाला होता है। जहां गलती की जरा भी गुंजाइश नहीं होती है। डॉक मास्टर का जिम्मा संभालने के उन करीब ढाई सालों ने मेरी जिंदगी को आकार दिया और मुझे ज्यादा कॉन्फिडेंट बनाया, साथ ही टेक्निकली कॉम्पिटेंट लीडर बनाया।

Lahar Singhal 1

‘पिता का सपना मैंने पूरा किया’
लेफ्टिनेंट कमांडर लहर सिंघल ने अपने मिकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद 2014 में इंडियन नेवी जॉइन की। मेरठ के एक व्यवसायी परिवार में पैदा हुई लहर बताती हैं कि मेरठ में एक बड़ा कैंट एरिया है और मेरे पिता डिफेंस सर्विस की जिंदगी के बारे में बहुत ही आकर्षण के साथ बात करते थे। उनका डिफेंस सर्विस में जाने का सपना था पूरा नहीं हो पया। मुझे लगता है कि उनका जो लगाव था वह मुझमें आया।

नेवी में मौकों की कमी नहीं
मैंने नेवल आर्किटेक्ट के तौर पर नेवी जॉइन की, वह ऑफिसर जो वॉरशिप और सबमरीन को डिजाइन करते हैं और मेंटेन करते हैं। मेरे आगे सारे मौके और चुनौतियों की दुनिया खुल गई, जिसने मुझे और सक्षम बनाया। वह कहती हैं कि नेवी में मौकों की कमी नहीं है। मैंने यहां बाइकिंग शुरू की और नेवी के जरिए ही मैं दो बहुत ही साहिसक बाइक रैली में गई। नेवी ने मुझे यकीन दिलाया की वाकई में स्काई इज द लिमिट। वह कहती हैं कि जब हम अपनी वाइट यूनिफॉर्म पहनते हैं तो हम महिला या पुरुष नहीं होते। हम ऑफिसर होते हैं, जिनका एक खास मकसद होता है।

FacebookWhatsAppTelegramLinkedInXPrintCopy LinkGoogle TranslateGmailThreadsShare

About the author

THE INTERNAL NEWS

Add Comment

Click here to post a comment

error: Content is protected !!