अधिकारों से लड़ता बचपन:बिना छत के 5 कमरों में स्कूल, 10वीं तक 3 शिक्षक, 354 बच्चे, 11वीं-12वीं में एक भी नहीं, 34 बच्चों ने स्कूल छोड़ा
भीलवाड़ा

भीलवाड़ा| यह कविता इस स्कूल के हाल बयां कर रही है। इस स्कूल ने भाजपा और कांग्रेस दाेनाें राज देखे और दाेनाें राज में ऐसा ही है। यहां बच्चाें के सिर पर छत और शिक्षा दाेनाें ही अधूरे हैं। यह फाेटाे और कहानी है भीलवाड़ा शहर के सीनियर सैकंडरी स्कूल, बीलियां खुर्द की।
स्कूल 12वीं तक है लेकिन टीचर नहीं हाेने से कक्षाएं एक से 10 तक ही हैं। 2 साल से 11वीं-12वीं में एक भी एडमिशन नहीं हुआ। कक्षा एक से दस तक में 354 बच्चे हैं लेकिन इनके बैठने के लिए केवल 4 कमरे हैं। इनकाे पढ़ाने के लिए भी केवल तीन टीचर हैं।
छह नए कमराें का काम चल रहा है लेकिन बजरी नहीं हाेने से तीन महीने से इनका काम भी बंद पड़ा है। मजबूरी में बच्चाें काे बिना छत वाले कमराें में ही बैठना पड़ रहा है। ऐसे हालात से स्कूल और पैरेंट्स दाेनाें ही जूझ रहे हैं।
स्कूल बिल्डिंग और टीचर के लिए सरकार कुछ नहीं कर पा रही है इसलिए पैरेंट्स अब स्कूल से बच्चों की टीसी कटवाने लगे हैं। जुलाई में जब शैक्षणिक सत्र शुरू हुआ था तब 388 थे, लेकिन 354 बच्चे ही रह गए हैं। 34 बच्चे स्कूल छाेड़ चुके हैं। इनमें 18 बच्चे दसवीं के हैं।
चार साल में स्कूल 8वीं से 12वीं हाे गई लेकिन टीचर एक भी नहीं मिला, बजरी नहीं इसलिए 3 महीने से काम भी बंद पड़ा है
वर्ष 2020 में स्कूल 8वीं से 10वीं और 2022 में 10वीं से 12वीं किया। 10वीं तक स्कूल करने के बाद 7 पद स्वीकृत किए लेकिन मिले नहीं। 9वीं और 10वीं को गणित-विज्ञान पढ़ाने वाले शिक्षक नहीं हैं एक भी वरिष्ठ अध्यापक या व्याख्याता नहीं है। 6 नए क्लासरूम बन रहे हैं लेकिन बजरी की कमी के कारण इनका काम भी तीन महीने से बंद पड़ा है।
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