अमेरिका ने काबुल में अलकायदा प्रमुख अयमान अल जवाहिरी को 2 मिसाइलें दाग कर मार गिराया है। हालांकि, उस जगह पर धमाके का कोई निशान नहीं दिख रहा है, न ही कोई और कैजुअल्टी हुई। इसके बाद से यह चर्चा है कि अमेरिका ने कौन सी मिसाइल दागी जिससे विस्फोट भी नहीं हुआ और जवाहिरी मारा भी गया।
इसका जवाब है R9X हेलफायर मिसाइल, जिसे निंजा भी कहते हैं। इस मिसाइल में विस्फोटक के बजाय 6 रेजर जैसे ब्लेड लगे होते हैं जो टारगेट के टुकड़े-टुकड़े कर देता है। इसी सीक्रेट किलर मिसाइल से जवाहिरी को भी मार गया है।
कितनी खतरनाक : 6 धारदार ब्लेड्स बिल्डिंग्स की छत काट कर टारगेट पर हमला करते हैं
बाइडन प्रशासन के एक सीनियर अफसर ने बताया कि रविवार की सुबह करीब 6.18 बजे काबुल के शेरपुर में जवाहिरी बालकनी में टहल रहा था। उस वक्त 2 R9X हेलफायर मिसाइल आईं और जवाहिरी को मार गिराया। ये मिसाइल ड्रोन से दागी गईं थीं। इस हमले में न तो कोई विस्फोट हुआ, न कोई फैमिली मेंबर मारा गया और न आस-पास की इमारतों को कोई नुकसान हुआ।
दरअसल, R9X हेलफायर दुनिया की सबसे एडवांस्ड मिसाइलों में से एक है। ये पलक झपकते ही दुश्मन को ढेर कर देती है। इसकी सबसे बड़ी खासियत है कि इसमें विस्फोट नहीं होता, बल्कि 45 किलो वजनी मिसाइल में 6 धारदार ब्लेड्स लगे होते हैं। इससे बिना विस्फोट किए टारगेट को मारा जा सकता है। जवाहिरी को इसी मिसाइल से मारा गया। इस दौरान जवाहिरी के परिवार के अन्य सदस्यों को मामूली चोटें ही आई हैं।
2019 में पहली बार वॉल स्ट्रीट जर्नल ने R9X मिसाइल से हमले की रिपोर्ट की थी। इसमें बताया गया था कि मिसाइल का इस्तेमाल अफगानिस्तान, लीबिया, इराक, यमन और सोमालिया में बड़े आतंकियों को मारने के लिए किया गया। R9X को फ्लाइंग गिंसु भी कहा जाता है। यह एक जापानी चाकू होता है जिसे 1980 के दशक में टीवी विज्ञापनों में देखा जाता था। विज्ञापन में दिखाया जाता था कि चाकू टिन की बनी कैन आदि को कतर देता था और तब भी बेहद नुकीला और तेज बना रहता था।
सटीक : मिसाइल से कार में बैठा टारगेट ही मरेगा, ड्राइवर सेफ रहेगा
रिपोर्ट में बताया गया है कि R9X मिसाइल अपने टारगेट पर पूरी सटीकता के साथ हमले करता है। जैसे कि किसी कार में यदि किसी टारगेट को निशाना बनाया जाता है तो मिसाइल सिर्फ टारगेट को मारेगी और कार के ड्राइवर को कोई चोट भी नहीं आएगी। मिसाइल के ब्लेड इतने पैने होते हैं कि ये बिल्डिंगों और कार की छतों को काट सकते हैं।
खासियत : कोई बेगुनाह नहीं मारा जाता
R9X हेलफायर मिसाइल टारगेटेड किलिंग के लिए मशहूर है। इससे आसपास बहुत कम कैजुअल्टी होती है, यानी आम नागिरकों की जान जाने का खतरा नहीं होता है।
कब बनी : 11 साल पहले ओबामा के समय बनाई गई
2011 में जब बराक ओबामा राष्ट्रपति थे तब इस मिसाइल को बनाया गया था। ओबामा ने मिडिल ईस्ट में ड्रोन हमलों में कैजुअल्टी को कम करने के लिए इस मिसाइल को बनाने का आदेश दिया था। विस्फोटक नहीं होने के कारण इसे निंजा मिसाइल भी कहा जाता है।
R9X मिसाइल को CIA और अमेरिकी रक्षा विभाग के लिए लॉकहीड मार्टिन और नॉर्थ्राप गुम्मन ने मिलकर बनाया है। अब तक एक दर्जन से ज्यादा मामलों में टारगेटेड किलिंग के लिए इसका यूज किया जा चुका है।
बड़े हमले जहां R9X मिसाइल का इस्तेमाल हुआ…
2019 : R9X के जरिए ‘जमाल अल-बदावी’ को मारा गया था
यह पहली घटना नहीं है। इससे पहले जनवरी 2019 की बात है। अमेरिका ने इसी R9X मिसाइल के जरिए अपने सबसे बड़े दुश्मन में से एक आतंकी जमाल अल-बदावी को मार गिराया था। दरअसल, आतंकी जमाल अल-बदावी साल 2000 में यमन पोर्ट पर 17 अमेरिकी सेना पर हुए हमले में शामिल था। इस हमले में अमेरिकी सेना के सभी जवान मारे गए थे। अमेरिका ने अपने जवानों की बेरहमी से हुई हत्या के करीब 19 साल बाद R9X मिसाइल के जरिए बदला लिया था।
2017 : ‘अहमद हसन अबू अल-खैर अल-मसरी’ भी बना R9X का शिकार
अब बात फरवरी 2017 में घटी उस तीसरी घटना की जब अमेरिका R9X मिसाइल ने दुनिया के एक और खूंखार आतंकी का खात्मा किया था। मिस्र का रहने वाला अहमद हसन अबू अल-खैर अल-मसरी इस वक्त आतंकी संगठन अलकायदा का नंबर 2 नेता था। इसे अमेरिका ने सीरिया के इदलिब प्रोविंस में R9X मिसाइल से हमला कर मार गिराया था। रिपोर्ट के मुताबिक इस मिशन को अमेरिकी खुफिया एजेंसी CIA ने अंजाम दिया था। हालांकि, CIA इस तरह के किसी हमले की बात को स्वीकार करने से बचता रहा है।

2017 में R9X मिसाइल से जब अल मसरी को मारा गया तो अपनी कार से कहीं जा रहा था। हमले की तस्वीरों में देखा गया कि कार की छत पर एक बड़ा छेद हो गया था और कार के अंदर सवार लोग व इंटीरियर सबका सब ऐसे कतर दिया गया था जैसे कैंची से काटा गया हो। इसके बावजूद कार का अगला और पिछला हिस्सा सलामत थे।
2021 : 13 जवानों के मारे जाने पर अमेरिका ने किया R9X का इस्तेमाल
अगस्त 2021 में अमेरिका ने इसी R9X मिसाइल का इस्तेमाल अफगानिस्तान के नांगरहार प्रोविंस में 2 कुख्यात ISIS आतंकियों को मार गिराने के लिए किया था। अमेरिकी सेना ने MQ-9 रीपर ड्रोन के जरिए इस मिसाइल का इस्तेमाल किया था। अमेरिका ने ये हमला हामिद करजई इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर US जवानों पर किए हमले के जवाब में किया था। इस हमले में 13 अमेरिकी जवान मारे गए थे।

अमेरिका ने अलकायदा प्रमुख जवाहिरी का मारने से पहले अंतिम बार जून 2022 में सीरिया के इदलिब शहर में भी R9X हेलफायर मिसाइल का यूज किया था। उस दौरान हुर्रस अल दीन के आतंकी अबू हमजा अल यमनी का इस मिसाइल से मारा गया था।
72 साल पहले से अमेरिका के पास है ‘निंजा’ की तरह घातक हथियार
आज जिस खतरनाक टारगेटेड मिसाइल निंजा यानी R9X के जरिए अमेरिका ने आतंकी अयमान अल-जवाहिरी को मार गिराया है, उस तरह के हथियार के इस्तेमाल की शुरुआत अमेरिका में 72 साल पहले ही हो गई थी।
1950 के दशक में कोरिया और वियतनाम जंग के दौरान अमेरिकी सेना के जवानों ने इसी तरह के टारगेटेड किलिंग हथियार ‘लेजी डॉग’ बनाया था। ऐसा इसलिए, ताकि बिना बड़ा विस्फोट किए सिर्फ टारगेट को मारा जा सके।
जंग के दौरान अमेरिका ‘लेजी डॉग’ बम का इस्तेमाल एयरफोर्स की मदद से करता था। हालांकि, करीब 10 साल बाद ही अमेरिका ने 1960 में इस तरह के बम को बनाना बंद कर दिया था।

Add Comment