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आइंस्टीन से ज्यादा IQ वाले क्रिमिनल की मौत:FBI 20 साल तलाशती रही और वो झोपड़ी में बैठा धमाके करता रहा

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आइंस्टीन से ज्यादा IQ वाले क्रिमिनल की मौत:FBI 20 साल तलाशती रही और वो झोपड़ी में बैठा धमाके करता रहा

साल 1967 की बात है। अमेरिका के बर्कले यूनिवर्सिटी में महज 25 साल की उम्र में एक नौजवान असिस्टेंट प्रोफेसर बना। इसका IQ स्कोर 167 था, जो मशहूर साइंटिस्ट अल्बर्ट आइंस्टीन से भी 7 पॉइंट ज्यादा था। एक रोज अचानक ये प्रोफेसर अपनी नौकरी छोड़कर गायब हो गया।

अगले 17 साल तक ये शख्स अमेरिका के अलग-अलग हिस्सों में छोटे-बड़े धमाके करता है। अमेरिकी सुरक्षा एजेंसी FBI इसे पकड़ने के लिए सबसे खर्चीला ऑपरेशन चलाना पड़ा। 20 साल की मशक्कत के बाद ये प्रोफेसर जंगल में एक झोपड़ी से पकड़ा गया और तब से जेल में सजा काट रहा था।

शनिवार यानी 10 जून को नॉर्थ कैरोलिना की जेल में 81 साल के इस शख्स की मौत हो गई।  एक्सप्लेनर में युनाबॉम्बर के नाम से मशहूर टेड कजिंस्की की पूरी कहानी जानेंगे। कैसे ये जीनियस बॉम्बर बना और फिर एक चिट्ठी से पकड़ा गया…

अमेरिका के शिकागो शहर में थियोडोर रिचर्ड कजिंस्की नाम के एक बिजनेसमैन थे। 22 मई 1942 को उनकी पत्नी वांडा कजिंस्की ने एक बच्चे को जन्म दिया। इस बच्चे का नाम रखा गया ‘टेड कजिंस्की’।

टेड ने हाई स्कूल तक की पढ़ाई शिकागो से की। वह बचपन से ही लोगों से कम बातचीत करता था और खुद में ही मस्त रहता था। एक बार टेड से पिता ने पूछा कि इतने दिनों बाद तुमसे मिलने तुम्हारी चाची आई है। तुम अपनी चाची से बातचीत क्यों नहीं करते हो? इस पर टेड ने जवाब दिया- चाची मेरी बातों को और मुझे समझ ही नहीं पाएंगी तो मैं उनसे क्या बात करूं।

महज 16 साल की उम्र में टेड कजिंस्की को हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से स्कॉलरशिप मिल गई। यहां से बैचलर करने के बाद टेड ने आगे की पढ़ाई मिशिगन यूनिवर्सिटी से पूरी की। ऐसा कहा जाता है कि टेड से PhD की परीक्षा में जो सवाल पूछे गए थे, वो उसके लिए बेहद आसान थे।

उसने ऐसा रिसर्च पेपर लिखा कि उसके कई प्रोफेसर भी नहीं समझ पाए। पूरे अमेरिका में उसके रिसर्च को समझने वाले सिर्फ 10 से 12 लोग ही थे। टेड कजिंस्की ने 1969 में कैलिफोर्निया के बर्कले यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर के तौर पर नौकरी शुरू की। तब उसकी उम्र महज 25 साल थी। कुछ समय तक नौकरी करने के बाद एक रोज अचानक टेड ने इस्तीफा दे दिया।

1971 में नौकरी छोड़ने के बाद टेड कजिंस्की, लिंकन शहर के एक जंगल में झोपड़ी बनाकर रहने लगा। उसके इस फैसले से न सिर्फ उसका परिवार बल्कि हर कोई दंग रह गया। टेड ने ऐसा फैसला क्यों लिया, ये किसी को पता नहीं था। अमेरिका की टॉप यूनिवर्सिटी में पढ़ाने वाला प्रोफेसर अब अच्छी सैलरी वाली नौकरी छोड़कर ऐसे जंगल में रह रहा था, जहां बिजली-पानी कुछ भी नहीं था।

ये तस्वीर उस वक्त की है, जब टेड कजिंस्की की उम्र 20 साल थी। उसे हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से स्कॉलरशिप मिली थी।

ये तस्वीर उस वक्त की है, जब टेड कजिंस्की की उम्र 20 साल थी। उसे हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से स्कॉलरशिप मिली थी।

दुनिया के जीनियस प्रोफेसर के आतंकी बनने की शुरुआत…

25 मई 1978 को अमेरिका के नॉर्थ वेस्टर्न यूनिवर्सिटी कैंपस में एक बंद पैकेट मिलता है। इस पैकेट पर यहां पढ़ाने वाले प्रोफेसर बकले क्रिस्ट का नाम और पता लिखा होता है। प्रोफेसर ने अपनी जान-पहचान वालों से पूछा तो किसी ने ऐसे पैकेट भेजने की बात नहीं कही।

इसके बाद प्रोफेसर ने तुरंत पुलिस को इसकी सूचना दी। पुलिस ने जब इस पैकेट को खोला तो हल्के आवाज के साथ एक विस्फोट हुआ। पुलिस अधिकारी बाल-बाल बचे। बम कम ताकतवर होने की वजह से ज्यादा नुकसान नहीं हुआ।

1979 में एक बार फिर से इसी यूनिवर्सिटी के कैंपस में एक बार फिर से एक पैकेट मिला। इस पैकेट में भी एक बम पैक था। इस बार पुलिस के आने से पहले ही ये बम विस्फोट हो गया। इसमें एक छात्र को चोट लगी थी। जांच में पहले की तरह इस बार भी पुलिस के हाथ कुछ नहीं लगा।

1980 में अमेरिकन एयरलाइंस का एक प्लेन शिकागो से वॉशिंगटन जा रहा था। इसमें अचानक से एक बैगेज से धुआं निकलने लगा। बाद में जांच में ये बात सामने आई कि प्लेन में बम रखा था। किसी तकनीकी खराबी की वजह से ये बम नहीं फटा।

लिहाजा किस्मत से प्लेन में सफर कर रहे सैकड़ों लोगों की जान बच गई। इसी तरह के अलग-अलग धमाके में अमेरिका के 2 लोगों की मौत हो गई। आखिरकार सरकार ने बम विस्फोट कराने वाले शख्स को खोजने की जिम्मेदारी FBI को सौंप दी।

2 वजहों को प्रोफेसर टेड के आतंकी बनने के लिए जिम्मेदार माना गया

पहली वजह: मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जाता है कि टेड कजिंस्की हार्वर्ड में पढ़ रहा था। तब यूनिवर्सिटी की ओर से उसे साइकोलॉजी टेस्ट के लिए ले जाया जाता था। इस दौरान मनोवैज्ञानिक अक्सर टेड के बिहेवियर और उसके चेहरे के भाव को देखकर उसे डांटते-फटकारते और गालियां देते थे। इससे टेड इतना परेशान हो गया कि वो लोगों से घुलने-मिलने से बचने लगा।

दूसरी वजह: अपनी पसंद की महिलाओं से टेड कजिंस्की बात करने से बचता था। इसी वजह से अपनी पसंद की लड़की से वह प्यार का इजहार तो दूर कभी बात भी नहीं कर पाया। इस हिचक की वजह से उसके मन में घृणा, असंतोष और नाराजगी हावी होने लगी। उसे मॉडर्न लाइफ स्टाइल से चिढ़ होने लगी। वह धीरे-धीरे आतंक के रास्ते पर चलने लगा।

ये वो झोपड़ी है जहां टेड कजिंस्की अपनी नौकरी छोड़ने के बाद अकेले रहता था। जहां से उसे गिरफ्तार किया गया।

ये वो झोपड़ी है जहां टेड कजिंस्की अपनी नौकरी छोड़ने के बाद अकेले रहता था। जहां से उसे गिरफ्तार किया गया।

सिर्फ कचरा और चिट्ठी ही लगी जांच एजेंसी FBI के हाथ
अगले 20 साल तक अमेरिकी जांच एजेंसी FBI के 150 एजेंट इस बॉम्बर के बारे में पता करते रहे। जैसे ही कोई विस्फोट होता था, एजेंट वहां पहुंच जाते, लेकिन वहां उन्हें विस्फोट हुए बम के कचरे और नोट के सिवाय कुछ नहीं मिलता था।

अगले 17 साल तक अमेरिका में एक के बाद एक धमाके होते रहे, लेकिन जांच एजेंसी और पुलिस को इन्हें अंजाम देने वालों के बारे में कुछ पता नहीं चल पाया। अमेरिकी मीडिया ने इस तरह से बम विस्फोट कराने वाले का नाम- ‘युनाबॉम्बर’ रखा।

1995 में एक रोज ‘युनाबॉम्बर’ का खत अमेरिका के सबसे बड़े अखबार द वाशिंगटन पोस्ट के दफ्तर में आता है। ‘युनाबॉम्बर’ ने इस खत का नाम- ‘इंडस्ट्रियल सोसाइटी एंड इट्स फ्यूचर’ रखा था। इस खत में उसने लिखा था कि अखबार ने अगर इस पत्र को नहीं छापा तो अमेरिका में इस तरह के हमले जारी रहेंगे। FBI ने अखबार को ये चिट्ठी छापने की इजाजत दे दी।

इस चिट्ठी में लिखा था-

‘इंडस्ट्रियल रिवोल्यूशन के चलते इंसान टेक्नोलॉजी पर निर्भर हो गया है और उसने अपनी आजादी खो दी है। इंसान को इससे होने वाले खतरे के लिए सतर्क करना जरूरी है। इसके लिए विस्फोट होना जरूरी है।’

टेड कजिंस्की (बीच में) के बचपन की इस तस्वीर में उसका भाई डेविड (बाईं ओर) है। उसके बाकी भाई-बहन भी तस्वीर में नजर आ रहे हैं।

टेड कजिंस्की (बीच में) के बचपन की इस तस्वीर में उसका भाई डेविड (बाईं ओर) है। उसके बाकी भाई-बहन भी तस्वीर में नजर आ रहे हैं।

‘युनाबॉम्बर’ की चिट्ठी छपते ही भाई और भाभी ने पहचान कर ली…
‘युनाबॉम्बर’ ने 35 हजार शब्दों की अपनी इस चिट्ठी में मॉडर्न सोसाइटी का कड़ा विरोध किया था। FBI डायरेक्टर लुईस फ्रीह ने इस चिट्ठी को छापने की इजाजत ये सोचकर दी कि उसकी भाषा को पढ़कर कोई इस बॉम्बर की पहचान कर लेगा। FBI डायरेक्टर की ये सोच सही साबित हुई।

इस चिट्ठी को पढ़ने के बाद हजारों लोगों ने संभावित बॉम्बर की जानकारी पुलिस को दी। इन्हीं हजार लोगों में से एक शख्स का नाम डेविड कजिंस्की था। डेविड और उसकी पत्नी ने दावा किया कि वह इस बॉम्बर को पहचानते हैं। यह कोई और नहीं बल्कि डेविड का भाई है।

ऐसा दावा करने से पहले डेविड ने एक प्राइवेट जांच एजेंसी हायर की। इस एजेंसी ने 6 महीने की जांच के बाद कहा कि यह डेविड का भाई टेड ही है। इसके बाद डेविड और उसकी पत्नी ने FBI को ये जानकारी दी।

FBI ने टेड कजिंस्की की लोकेशन को ट्रेस करना शुरू कर दिया। अचानक एक रोज FBI और पुलिस की टीम ने जंगल से टेड कजिंस्की को गिरफ्तार कर लिया। उसके 10 फीट x 14 फीट की झोपड़ी से कई सारे कागजात जब्त किए गए।

ये तस्वीर टेड कजिंस्की को गिरफ्तार किए जाने के बाद की है।

ये तस्वीर टेड कजिंस्की को गिरफ्तार किए जाने के बाद की है।

जब टेड को पुलिस ने बताया कि उसके भाई डेविड ने उसकी पहचान करके पुलिस को जानकारी दी है, तो इस पर टेड ने कहा कि मेरा भाई मुझसे प्यार करता है। वह ऐसा नहीं कर सकता है। 4 मई 1998 को टेड ने अपने अपराध स्वीकार कर लिए। इसके बाद उसे उम्रकैद की सजा सुनाई गई। 10 जून को लंबे समय से बीमारी से जूझ रहे टेड कजिंस्की की आखिरकार जेल में मौत हो गई।

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