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आखिर कैसे लग गई मुख्यमंत्री के कमरे में आग:साजिश या लापरवाही, जांच रिपोर्ट में खुलासा; एक महीने में तीसरी बार सुरक्षा पर उठे सवाल

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आखिर कैसे लग गई मुख्यमंत्री के कमरे में आग:साजिश या लापरवाही, जांच रिपोर्ट में खुलासा; एक महीने में तीसरी बार सुरक्षा पर उठे सवाल

जयपुर

दिल्ली के जोधपुर हाउस में 17 जनवरी की रात मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के कमरे में हीटर में स्पार्किंग होकर आग लग गई थी। उस समय मुख्यमंत्री कमरे में अकेले थे।

आग लगने पर सीएम ने कमरे में रखी हुई बेल बजाई। इस पर पास के कमरे में सो रहा पीएसओ वहां पहुंचा और आग को कंट्रोल किया।

घटना को लेकर गठित कमेटी ने जांच रिपोर्ट तैयार कर ली है। जिसमें कई चिंताजनक खुलासे हुए हैं।

वहीं, सीएम की शपथ लेने के एक महीने के भीतर ही यह ऐसी तीसरी घटना थी, जिससे उनकी सुरक्षा पर सवालिया निशान लग गया है।

पढ़िए पूरी रिपोर्ट…

दिल्ली में स्थित जोधपुर हाउस जहां ये हादसा हुआ। ये दिल्ली में सरकार के सबसे प्रतिष्ठित गेस्ट हाउस में शामिल है।

दिल्ली में स्थित जोधपुर हाउस जहां ये हादसा हुआ। ये दिल्ली में सरकार के सबसे प्रतिष्ठित गेस्ट हाउस में शामिल है।

लापरवाही 1 : सीएम के कमरे में फायर डिटेक्टर तक नहीं लगे हुए थे

आमतौर पर वीआईपी के ठहरने वाली टॉप सिक्योर जगहों पर आग लगने या धुआं उठने (सिगरेट तक का धुआं भी) पर फायर अलार्म बज उठता है।

फायर डिटेक्टर लगाया जाता है ताकि आगजनी जैसी घटना होने पर अलार्म बज जाए और आग पर तुरंत काबू पाया जा सके।

जोधपुर हाउस में जहां सीएम भजनलाल शर्मा सो रहे थे, वहां फायर डिटेक्टर तक नहीं लगे हुए थे। जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में इसे भी नोट किया है।

लापरवाही 2 : साॅकेट चाइना मेड, जुगाड़ से स्विच में जोड़ा

सरकार के सबसे प्रतिष्ठित गेस्ट हाउस में सीएम और राज्यपाल के लिए बुक रहने वाले कमरे में हीटर का सॉकेट चाइना मेड था, जबकि नियमानुसार सरकार के इन अतिथि गृहों के सामान्य कक्षों में भी उच्च स्तरीय ब्रांडेड कंपनियों के सॉकेट, स्विच, एसी, पंखे, गीजर, फ्रिज, ट्यूबलाइट, बल्ब आदि लगाए जाते हैं।

इस सॉकेट को भी जुगाड़ से बिजली स्विच में जोड़ा हुआ था। उस सॉकेट की इतनी कैपेसिटी (क्षमता) ही नहीं थी कि वो हीटर का लोड (बिजली भार) वहन कर सके। ऐसा होने पर आग लगने या शॉर्ट सर्किट होने का खतरा रहता है और ऐसा ही हुआ।

जांच रिपोर्ट में बताया गया है कि आग बुझाने के उपकरण की नोजल पाइप कनेक्ट नहीं थी।

जांच रिपोर्ट में बताया गया है कि आग बुझाने के उपकरण की नोजल पाइप कनेक्ट नहीं थी।

लापरवाही 3 : टैंक से नहीं जुड़ा था आग बुझाने के उपकरणों का नोजल

जोधपुर हाउस में सीएम कक्ष के आग बुझाने के उपकरणों का नोजल टैंक से जुड़ा हुआ ही नहीं था। एक्सपट्‌र्स का कहना है कि यह हमेशा जुड़ा हुआ होना चाहिए, ताकि जरूरत पड़ने पर कोई सामान्य व्यक्ति भी एक स्प्रे बॉटल की तरह उसका उपयोग कर सके।

नोजल जुड़ा नहीं होने की स्थिति में आग लग जाए तो कोई तकनीकी कर्मी द्वारा ही उसे जोड़ा जा सकता है। इसमें टाइम भी वेस्ट होता है और सामान्य आदमी इसे आसानी से जोड़ भी नहीं सकता।

लापरवाही 4 : उपकरण पुराने, जिन्हें नहीं बदला

जांच कर रही कमेटी ने जोधपुर हाउस में आग बुझाने के सभी उपकरणों को देखा तो उनमें कई उपकरण ऐसे मिले, जो आउट डेटेड थे। आग लगने की स्थिति में उन्हें उपयोग में ही नहीं लिया जा सकता था।

वे आग बुझाने के लिए योग्य ही नहीं थे। कमेटी का कहना है कि इन्हें एक निश्चित समयावधि के बाद में रिप्लेस करना (बदलना) और री-फिल (गैस पुन: भरना) करना था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया था।

कमेटी की जांच में खुलासा हुआ कि आग बुझाने के कुछ उपकरण आउट डेटेड थे। इसके बावजूद उन्हें रिप्लेस नहीं किया गया।

कमेटी की जांच में खुलासा हुआ कि आग बुझाने के कुछ उपकरण आउट डेटेड थे। इसके बावजूद उन्हें रिप्लेस नहीं किया गया।

लापरवाही 5 : लगातार छह घंटे से ऑन हीटर नहीं बदला

जिस कमरे में सीएम भजनलाल को ठहराया गया, वहां का हीटर लगातार छह घंटे से चल रहा था। ऐसे में हीटर बदला जाना चाहिए था, ताकि शॉर्ट सर्किट की आशंका न रहे, लेकिन ऐसा नहीं किया गया।

लापरवाही 6 : स्थानीय स्तर पर बिना एक्सपर्ट की सलाह खरीदे उपकरण

बिजली के उपकरणों की खरीद जोधपुर हाउस (दिल्ली) के प्रबंधक और महाप्रबंधक की ओर से स्थानीय स्तर पर ही की थी, जबकि ये खरीद किसी टेक्निकल एडवाइजर और एक्सपर्ट की सलाह से ही की जानी थी।

कमेटी ने दिल्ली के जोधपुर हाउस में लगे सभी उपकरणों की जांच की।

कमेटी ने दिल्ली के जोधपुर हाउस में लगे सभी उपकरणों की जांच की।

कमेटी ने जांच रिपोर्ट में ये सिफारिशें की…

जोधपुर हाउस के एक-एक उपकरण की होगी जांच

जोधपुर हाउस राजस्थान सरकार का सबसे प्रतिष्ठित गेस्ट हाउस। यहां लगे बिजली के एक-एक स्विच से लेकर छोटे-बड़े सभी उपकरणों की जांच की जाएगी। इस हादसे को कमेटी और आवासीय आयुक्त कार्यालय ने बेहद चिंताजनक (ग्रेट कन्सर्न) माना है।

उपकरणों की खरीद में तकनीकी एक्सपर्ट शामिल होगा

किसी भी अतिथि गृह में लगने वाले उपकरणों की खरीद में अब एक विशेष कमेटी को भी शामिल किया जाएगा। इस कमेटी में उपकरण से संबंधित जानकार तकनीकी विशेषज्ञ शामिल किया जाएगा। वे ही उपकरणों की खरीद तय करेंगे।

बेस्ट क्वालिटी के उपकरण ही खरीदे जाएं

यह नियम अभी भी है, लेकिन इसका पालन नहीं किया गया।

ये भी सुझाव

  • जब भी सीएम दिल्ली जाएंगे तो पीडब्ल्यूडी के एक्सईएन और एईएन स्तर के इंजीनियर वहीं अतिथि गृहों में उपस्थित रहेंगे।
  • सभी अतिथि गृहों (राजस्थान में 34, दिल्ली में 3 और मुंबई में एक) के लिए एक सुरक्षा प्रबंधन कार्ययोजना बनाई जाएगी।
  • सभी अतिथि गृहों में आउट डेटेड और चाइना मेड या हल्की क्ववालिटी के सभी उपकरणों को हटाया जाना चाहिए। खासकर आग, इलेक्ट्रॉनिक्स और इलेक्ट्रिकल्स संबंधी उपकरणों के मामले में इसका तुरंत पालन किया जाए।
राजस्थान सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग के तहत आवासीय आयुक्त (दिल्ली) कार्यालय ने जांच कमेटी गठित की थी।

राजस्थान सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग के तहत आवासीय आयुक्त (दिल्ली) कार्यालय ने जांच कमेटी गठित की थी।

जांच कमेटी में कौन-कौन शामिल

यह जांच कमेटी राजस्थान सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग के तहत आवासीय आयुक्त (दिल्ली) कार्यालय ने गठित की थी। मुख्य सचिव सुधांश पंत के पास ही मुख्य आवासीय आयुक्त का अतिरिक्त कार्यभार भी है।

कमेटी में सुमन दीवान (आरसीओ दिल्ली), राजकुमार (एक्सईएन-पीडब्ल्यूडी), दिनेश कुमार (एक्सईएन-प्रोजेक्ट इलेक्ट्रिकल-पीडब्ल्यूडी) और महेंद्र कुमार (लेखाधिकारी आरसीओ-दिल्ली) शामिल थे। कमेटी की रिपोर्ट मुख्य सचिव पंत को सौंप दी है।

महाप्रबंधक बोले- उपकरणों की जिम्मेदारी पीडब्ल्यूडी की

मामले को लेकर जोधपुर हाउस के महाप्रबंधक मनमोहन कपलाश से बात की। कपलाश का कहना है कि बिजली के उपकरणों की सारी जिम्मेदारी पीडब्ल्यूडी के पास है। हमारी कोई भूमिका नहीं है।

वहीं जब पीडब्ल्यूडी के अधिशाषी अभियन्ता (दिल्ली) राजेश जैन से बात की तो उनका कहना था कि जोधपुर हाउस में सीएम के कमरे में हुई घटना के संबंध में सरकार जांच कमेटी बना चुकी है।‌ मैं इस विषय में अब कुछ भी कमेंट नहीं कर सकता हूं। जो भी आगे होगा वो कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार ही होगा।

जांच रिपोर्ट में प्रबंधक का जिक्र, लेकिन महाप्रबंधक को लेकर कुछ नहीं लिखा

रिपोर्ट में एक और चौंकाने वाली बात है। रिपोर्ट में जोधपुर हाउस के प्रबंधक (मैनेजर) मनोहर कोली का जिक्र तो कर दिया गया है, लेकिन महाप्रबंधक मनमोहन कपलाश की भूमिका का कोई जिक्र नहीं किया गया है।

जोधपुर हाउस और राजस्थान गेस्ट हाउस दोनों के महाप्रबंधक मनमोहन कपलाश ही हैं। उपकरणों की खरीद बिना उनकी भूमिका के नहीं की जा सकती।

मौके पर पहुंचे तकनीकी कर्मियों ने उच्चाधिकारियों और सीएम सिक्योरिटी के अफसरों को बताया कि उपकरण जोधपुर हाउस द्वारा ही लगाने को दिए गए थे। इन उपकरणों की खरीद प्रबंधक मनमोहन कोली के स्तर पर की गई थी। कोली भी मौके पर पहुंच गए थे।

इधर, सामान्य प्रशासन विभाग के सूत्रों का कहना है कि इस मामले में जल्द ही एक दूसरी बड़ी जांच भी हो सकती है, क्योंकि इस जांच रिपोर्ट में तकनीकी विषयों पर बात की गई है।

पूर्व की खरीद के संबंध में चल रही है लोकायुक्त में भी जांच

राजस्थान गेस्ट हाउस में कोरोना काल (24 से 31 मार्च 2020) के दौरान निर्माण कार्य किया गया था। उस दौरान दिल्ली में सभी प्रकार की व्यावसायिक गतिविधियां पूरी तरह से बंद थी। फिर भी वहां करीब 30-31 लाख रुपए के काम-काज हुए।

कैसे मजदूर आए, कैसे उपकरण आए, कैसे रंग-रोगन का काम हुआ…आदि सवालों के आधार पर एक जांच तभी से चल रही है। यह जांच लोकायुक्त के स्तर पर की जा रही है।

20 दिसंबर को गोवर्धन परिक्रमा के लिए जाते समय सीएम की कार सड़क से नीचे उतर गई थी।

20 दिसंबर को गोवर्धन परिक्रमा के लिए जाते समय सीएम की कार सड़क से नीचे उतर गई थी।

सीएम के साथ 1 महीने में तीन घटनाएं

सीएम के पद पर भजनलाल शर्मा ने 15 दिसंबर-2023 को शपथ ली और उसके बाद अभी लगभग एक महीना ही हुआ है, लेकिन सीएम की सुरक्षा को लेकर तीन घटनाएं हो चुकी हैं।

  • पहली : 20 दिसंबर 2023 को सीएम गोवर्धन परिक्रमा पर गए थे। उनकी गाड़ी सड़क से नीचे उतरने के कारण दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी। बाद में उन्हें किसी दूसरी गाड़ी में बैठाकर वहां से जयपुर के लिए भेजा गया।
  • दूसरी : हाल ही में 18 जनवरी 2024 को जयपुर जेल में बंद एक कैदी ने मोबाइल फोन से कॉल करके सीएम भजनलाल को मारने की धमकी दी। इस घटना के बाद पुलिस प्रशासन ने जांच शुरू की और जेल अधीक्षक को निलंबित किया गया।
  • तीसरी : सीएम दिल्ली के जोधपुर हाउस में थे। 17 जनवरी की रात जिस कमरे में वे ठहरे थे, उसके हीटर ने आग पकड़ ली। उन्होंने मदद के लिए आवाज लगाई।

हीटर की आग कितनी खतरनाक, इन आंकड़ों से समझें

एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार जब भी हीटर से आग लगती है तो अक्सर वहां सो रहे लोगों को भागने, कमरे से बाहर निकलने या आग पर काबू पाने का भी समय नहीं मिल पाता है। सर्दियों में गहरी नींद में सोए हुए लोग जब तक कुछ समझ पाते हैं, दुर्घटना घट जाती है।

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट के अनुसार देश भर में वर्ष 2021 में 1808 और वर्ष 2022 में 1567 दुर्घटनाएं हीटर में शॉर्ट सर्किट के कारण हुई। इन घटनाओं में लगभग इतने ही लोगों की मौत हो गई।

हाल ही में 19 जनवरी 2024 को दिल्ली के पीतमपुरा में हीटर से हुए शाॅर्ट सर्किट के कारण पांच लोगों की जान चली गई थी। इसी तरह राजस्थान के अलवर में 23 दिसंबर-2023 को पिता और पुत्री की हीटर से लगी आग के कारण जान चली गई।

अलवर के तिजारा में हीटर से बिस्तर में आग लगने से पिता-पुत्री की जान चली गई थी।

अलवर के तिजारा में हीटर से बिस्तर में आग लगने से पिता-पुत्री की जान चली गई थी।

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